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यहां बच्चों को बुरी नजर से बचाता है रावण का परिवार, दरबार में शीश झुकाते हैं लोग

झालावाड़ के झालरापाटन कस्बे के (Ravana family in Jhalawar) दशहरा मैदान में रावण का पूरा परिवार दरबार लगाए बैठा है. दशहरा पर सभी शहरों में पुतले बनाकर उनका दहन किया जाता है और फिर वापस दशहरे पर ही रावण बनाया जाता है. लेकिन यहां रावण का पूरा परिवार साल भर जमा रहता है.

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Published : Oct 5, 2022, 3:01 PM IST

झालावाड़. जिले के झालरापाटन कस्बे के मेला मैदान पर रावण का पूरा कुनबा (Ravana family in Jhalawar) मौजूद है, जो पूरे साल यहां आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है. स्थानीय बाशिंदे अपने बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिए उन्हें यहां (Ravana protects children from evil eyes) लाते हैं. ऐसे तो विजयादशमी के मौके पर देशभर में रावण के पुतले का दहन होता है, लेकिन झालावाड़ के झालरापाटन कस्बे में रावण का पूरा कुनबा बसा है. जिन्हें देखने के लिए देश-दुनिया से पर्यटक आते हैं.

रियासतकालीन परंपरा के दौरान यहां रावण के परिवार के सदस्यों का पुतला बनवाया गया (Unique princely tradition of Jhalawar) था. जिनमें रावण, मंदोदरी, विभीषण, सोयी मुद्रा में कुंभकरण, मेघनाथ और रावण के सेवक द्वारपाल समेत अन्य दरबारी शामिल हैं. पहले इन पुतलों का निर्माण मिट्टी और गोबर के मिश्रण से किया गया था, लेकिन अब नगर पालिका ने यहां सीमेंट की मूर्तियां बना दी हैं.

बच्चों को बुरी नजर से बचाता है रावण का परिवार

इसे भी पढ़ें - Special : यहां पैरों से रौंदा जाता है रावण का 'अहंकार', 300 साल से चल रही परंपरा...

झालरापाटन के स्थानीय बताते हैं कि रावण दरबार और उसके परिवार के सदस्यों के पुतले झालावाड़ के तत्कालीन रियासत के महाराज ने (Ravana Dahan in Jhalawar) बनवाये थे. उन दिनों दशहरे के दौरान कागज के पुतलों का दहन नहीं होता था. ऐसे में मिट्टी और गोबर से पुतले बनाए जाते थे.

वर्तमान में देश के हर शहर व कस्बों में रावण के पुतलों का दहन होता है, लेकिन झालरापाटन के मेला मैदान में स्थित रावण परिवार पूरे सालभर स्थायी रूप से खड़ा रहकर लोगों को बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रेरणा देता है. साथ ही हर साल दशहरे पर इन पुतलों के पास ही कागज के दूसरे पुतले बनाकर उनका दहन किया जाता है.

झालावाड़. जिले के झालरापाटन कस्बे के मेला मैदान पर रावण का पूरा कुनबा (Ravana family in Jhalawar) मौजूद है, जो पूरे साल यहां आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है. स्थानीय बाशिंदे अपने बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिए उन्हें यहां (Ravana protects children from evil eyes) लाते हैं. ऐसे तो विजयादशमी के मौके पर देशभर में रावण के पुतले का दहन होता है, लेकिन झालावाड़ के झालरापाटन कस्बे में रावण का पूरा कुनबा बसा है. जिन्हें देखने के लिए देश-दुनिया से पर्यटक आते हैं.

रियासतकालीन परंपरा के दौरान यहां रावण के परिवार के सदस्यों का पुतला बनवाया गया (Unique princely tradition of Jhalawar) था. जिनमें रावण, मंदोदरी, विभीषण, सोयी मुद्रा में कुंभकरण, मेघनाथ और रावण के सेवक द्वारपाल समेत अन्य दरबारी शामिल हैं. पहले इन पुतलों का निर्माण मिट्टी और गोबर के मिश्रण से किया गया था, लेकिन अब नगर पालिका ने यहां सीमेंट की मूर्तियां बना दी हैं.

बच्चों को बुरी नजर से बचाता है रावण का परिवार

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झालरापाटन के स्थानीय बताते हैं कि रावण दरबार और उसके परिवार के सदस्यों के पुतले झालावाड़ के तत्कालीन रियासत के महाराज ने (Ravana Dahan in Jhalawar) बनवाये थे. उन दिनों दशहरे के दौरान कागज के पुतलों का दहन नहीं होता था. ऐसे में मिट्टी और गोबर से पुतले बनाए जाते थे.

वर्तमान में देश के हर शहर व कस्बों में रावण के पुतलों का दहन होता है, लेकिन झालरापाटन के मेला मैदान में स्थित रावण परिवार पूरे सालभर स्थायी रूप से खड़ा रहकर लोगों को बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रेरणा देता है. साथ ही हर साल दशहरे पर इन पुतलों के पास ही कागज के दूसरे पुतले बनाकर उनका दहन किया जाता है.

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