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स्पेशल: अभिज्ञान शाकुंतलम् और हैमलेट जैसे विश्व प्रसिद्ध नाटकों का मंचन करने वाली नाट्यशाला अनदेखी का शिकार

फारसी ओपेरा शैली में निर्मित झालावाड़ की ऐतिहासिक भवानी नाट्यशाला, जहां पर 'हैमलेट' और कालिदास द्वारा रचित सुप्रसिद्ध 'अभिज्ञान शाकुंतलम्' जैसे विश्व प्रसिद्ध नाटकों का मंचन हुआ है. ये नाट्यशाला करीब 99 बरस की हो गई है. समय के साथ इसका संरक्षण होना था, लेकिन इसके विपरीत यह नाट्यशाला आज दुर्दशा और अनदेखी का शिकार हो रही है. देखिये ये रिपोर्ट...

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99 बरस की हुई भवानी नाट्यशाला
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Published : Jul 17, 2020, 7:40 PM IST

झालावाड़. शहर में गढ़ पैलेस के पीछे स्थित भवानी नाट्यशाला समस्त उत्तरी भारत में अपने ढंग की एकमात्र नाट्यशाला है, जिसे झालावाड़ के तत्कालीन राजा भवानी सिंह ने बनवाया था. यहां पर 16 जुलाई 1921 को महाकवि कालिदास द्वारा रचित अभिज्ञान शाकुंतलम् नाटक का हिंदी में मंचन किया गया था. उसके बाद से यहां पर हैमलेट जैसे विश्व प्रसिद्ध नाटकों के अलावा अनेक देशी-विदेशी नाटकों का भी मंचन किया गया है.

99 बरस की हुई भवानी नाट्यशाला

इस बेमिसाल नाट्यशाला का निर्माण इस ढंग से किया गया है कि विदेशी वास्तुविद भी आश्चर्य कर जाते हैं. भवानी नाट्यशाला में 33 फुट लंबा, 28 फीट चौड़ा और 23 फीट ऊंचा मंच है. भव्यता लिए हुए यह नाट्यशाला वर्तमान में दुर्दशा का शिकार हो रही है. नाट्यशाला में नवीकरण (Renovation) का कार्य होना था. लेकिन बीते 1 साल से यह कार्य पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है, जिसके चलते भवानी नाट्यशाला में चारों तरफ कूड़े-करकट का ढेर लगा हुआ है. साथ ही प्रवेश द्वार पर भी कीचड़ भरा हुआ है. वहीं, नाट्यशाला के देखरेख की किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. नाट्यशाला की दीवारें क्षतिग्रस्त हो रही हैं तथा कई जगहों पर टीन शेड भी उड़ गए हैं.

यह भी पढ़ेंः स्पेशल: फसल से खरपतवार हटाने का देसी जुगाड़, समय और खर्च दोनों की बचत

इतिहासकार ललित शर्मा ने बताया कि इस नाट्यशाला में विदेशी नाटककार चार्ल्स डोरेन ने भी अभिनय किया था. उसके बाद वो यहीं के होकर रह गए. उसके अलावा पंडित उदयशंकर, जो विश्व-विख्यात नृत्यकार रहे हैं और पंडित रविशंकर ने भी इस नाट्यशाला में सितार वादन किया है. उन्होंने भी सबसे पहले अपना नृत्य इसी भवानी नाट्यशाला में प्रस्तुत किया था. यह नाट्यशाला अंडाकार (Oval) शैली में है. 61 फीट ऊंची, 48 फीट चौड़ी और 36 बालकनियों वाली ये भवानी नाट्यशाला पूरे भारत में अनूठापन लिए हुए है.

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प्रशासन की अनदेखी का आरोप

झालावाड़ की पर्यटन विकास समिति का कहना है कि प्रशासनिक उपेक्षा के चलते इस ऐतिहासिक भवानी नाट्यशाला की दुर्दशा हुई है. ऐसे में इसके रिनोवेशन के कार्य में तेजी लाई जाए. साथ ही इसका पूर्ण तरीके से संरक्षण किया जाए. रिनोवेशन के बाद यहां पर नाटक और अन्य प्रकार के सभी आयोजन फिर से शुरू किया जाएं, जिससे झालावाड़ में पर्यटन की संभावना भी बढ़ेगी.

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अभिज्ञान शाकुंतलम् और हैमलेट नाटकों का हो चुका है मंचन

वहीं, दुर्दशा का शिकार हो रही है भवानी नाट्यशाला से जुड़े हुए स्थानीय पुरातत्व विभाग के कर्मचारी जवाब देने से बचते नजर आए. कर्मचारियों का कहना है कि इसके बारे में उनको कोई जानकारी नहीं है. जो भी जानकारी सही है, वह कोटा या जयपुर के स्तर से मिल पाएगी.

झालावाड़. शहर में गढ़ पैलेस के पीछे स्थित भवानी नाट्यशाला समस्त उत्तरी भारत में अपने ढंग की एकमात्र नाट्यशाला है, जिसे झालावाड़ के तत्कालीन राजा भवानी सिंह ने बनवाया था. यहां पर 16 जुलाई 1921 को महाकवि कालिदास द्वारा रचित अभिज्ञान शाकुंतलम् नाटक का हिंदी में मंचन किया गया था. उसके बाद से यहां पर हैमलेट जैसे विश्व प्रसिद्ध नाटकों के अलावा अनेक देशी-विदेशी नाटकों का भी मंचन किया गया है.

99 बरस की हुई भवानी नाट्यशाला

इस बेमिसाल नाट्यशाला का निर्माण इस ढंग से किया गया है कि विदेशी वास्तुविद भी आश्चर्य कर जाते हैं. भवानी नाट्यशाला में 33 फुट लंबा, 28 फीट चौड़ा और 23 फीट ऊंचा मंच है. भव्यता लिए हुए यह नाट्यशाला वर्तमान में दुर्दशा का शिकार हो रही है. नाट्यशाला में नवीकरण (Renovation) का कार्य होना था. लेकिन बीते 1 साल से यह कार्य पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है, जिसके चलते भवानी नाट्यशाला में चारों तरफ कूड़े-करकट का ढेर लगा हुआ है. साथ ही प्रवेश द्वार पर भी कीचड़ भरा हुआ है. वहीं, नाट्यशाला के देखरेख की किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. नाट्यशाला की दीवारें क्षतिग्रस्त हो रही हैं तथा कई जगहों पर टीन शेड भी उड़ गए हैं.

यह भी पढ़ेंः स्पेशल: फसल से खरपतवार हटाने का देसी जुगाड़, समय और खर्च दोनों की बचत

इतिहासकार ललित शर्मा ने बताया कि इस नाट्यशाला में विदेशी नाटककार चार्ल्स डोरेन ने भी अभिनय किया था. उसके बाद वो यहीं के होकर रह गए. उसके अलावा पंडित उदयशंकर, जो विश्व-विख्यात नृत्यकार रहे हैं और पंडित रविशंकर ने भी इस नाट्यशाला में सितार वादन किया है. उन्होंने भी सबसे पहले अपना नृत्य इसी भवानी नाट्यशाला में प्रस्तुत किया था. यह नाट्यशाला अंडाकार (Oval) शैली में है. 61 फीट ऊंची, 48 फीट चौड़ी और 36 बालकनियों वाली ये भवानी नाट्यशाला पूरे भारत में अनूठापन लिए हुए है.

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प्रशासन की अनदेखी का आरोप

झालावाड़ की पर्यटन विकास समिति का कहना है कि प्रशासनिक उपेक्षा के चलते इस ऐतिहासिक भवानी नाट्यशाला की दुर्दशा हुई है. ऐसे में इसके रिनोवेशन के कार्य में तेजी लाई जाए. साथ ही इसका पूर्ण तरीके से संरक्षण किया जाए. रिनोवेशन के बाद यहां पर नाटक और अन्य प्रकार के सभी आयोजन फिर से शुरू किया जाएं, जिससे झालावाड़ में पर्यटन की संभावना भी बढ़ेगी.

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अभिज्ञान शाकुंतलम् और हैमलेट नाटकों का हो चुका है मंचन

वहीं, दुर्दशा का शिकार हो रही है भवानी नाट्यशाला से जुड़े हुए स्थानीय पुरातत्व विभाग के कर्मचारी जवाब देने से बचते नजर आए. कर्मचारियों का कहना है कि इसके बारे में उनको कोई जानकारी नहीं है. जो भी जानकारी सही है, वह कोटा या जयपुर के स्तर से मिल पाएगी.

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