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झालावाड़ के डग में हुआ चूल का आयोजन, धधकते अंगारों के बीच से निकले भक्त

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Published : Mar 11, 2020, 3:26 PM IST

झालावाड़ के डग में होली के अवसर पर मंगलवार को हनुमान मंदिर में चूल का आयोजन किया गया. इस दौरान सभी भक्त धधकते अंगारों के बीच से नंगे पैर निकले. आयोजन के लिए 10 फीट लंबी डेढ़ फिट चौड़ी और सवा 2 फीट गहरी खाई खोदकर उसमें 2 क्विंटल लकड़ी के धधकते अंगारे तैयार जाते हैं.

Chul organized Jhalawar News, चूल का आयोजन झालावाड़ न्यूज
झालावाड़ के डीग में हुआ चूल का आयोजन

झालावाड़. जिले के डग कस्बे में 100 सालों से अधिक वर्षों से चली आ रही परम्परा आज भी कायम है, जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ अब भी बड़ी मात्रा में मौजूद रहती है.

झालावाड़ के डीग में हुआ चूल का आयोजन

होली के अवसर पर शाम 5 बजे चौकड़ी दरवाजा स्थित हनुमान मंदिर पर धधकते अंगारों से नंगे पैर श्रद्धालुओं के निकलने का सिलसिला जारी रहता है. जिसमें 10 फीट लंबी डेढ़ फिट चौड़ी और सवा 2 फीट गहरी खाई खोदकर उसमें 2 क्विंटल लकड़ी के धधकते अंगारे तैयार किए जाते हैं. साथ ही उसमें 10 किलो शुद्ध देसी घी से अंगारों को धधकाया जाता है. वहीं इस पर श्रद्धालु नंगे पैर निकलते है.

यह परम्परा पिछले 100 वर्षों से चली आ रही है, जिसको देखने के लिए कस्बे के सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. 10 फीट लंबी और डेट फिट चोड़ी चूल में कई महिला और पुरुष श्रद्धालु धधकते अंगारो पर नंगे पैर निकलते हैं. मंगलवार को भी 51 महिला, पुरुष और बच्चे धधकते अंगारो से गुजरे. माना जाता है, कि चूल में निकलने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

पढ़ें- मौसम UPDATE : होली पर इंद्रदेव ने प्रदेश के कई इलाकों को भिगोया, तापमान पर ज्यादा असर नहीं

चूल में धधकते अंगारो को देखने के लिए डग और आसपास के ग्रामीण क्षेत्र और दूर दराज से लोग आते हैं. भगवान हनुमान जी और वेराई माता की पूजा अर्चना के बाद श्रद्धालु चूल में धधकते अंगारो पर निकलते हैं.

झालावाड़. जिले के डग कस्बे में 100 सालों से अधिक वर्षों से चली आ रही परम्परा आज भी कायम है, जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ अब भी बड़ी मात्रा में मौजूद रहती है.

झालावाड़ के डीग में हुआ चूल का आयोजन

होली के अवसर पर शाम 5 बजे चौकड़ी दरवाजा स्थित हनुमान मंदिर पर धधकते अंगारों से नंगे पैर श्रद्धालुओं के निकलने का सिलसिला जारी रहता है. जिसमें 10 फीट लंबी डेढ़ फिट चौड़ी और सवा 2 फीट गहरी खाई खोदकर उसमें 2 क्विंटल लकड़ी के धधकते अंगारे तैयार किए जाते हैं. साथ ही उसमें 10 किलो शुद्ध देसी घी से अंगारों को धधकाया जाता है. वहीं इस पर श्रद्धालु नंगे पैर निकलते है.

यह परम्परा पिछले 100 वर्षों से चली आ रही है, जिसको देखने के लिए कस्बे के सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. 10 फीट लंबी और डेट फिट चोड़ी चूल में कई महिला और पुरुष श्रद्धालु धधकते अंगारो पर नंगे पैर निकलते हैं. मंगलवार को भी 51 महिला, पुरुष और बच्चे धधकते अंगारो से गुजरे. माना जाता है, कि चूल में निकलने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

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चूल में धधकते अंगारो को देखने के लिए डग और आसपास के ग्रामीण क्षेत्र और दूर दराज से लोग आते हैं. भगवान हनुमान जी और वेराई माता की पूजा अर्चना के बाद श्रद्धालु चूल में धधकते अंगारो पर निकलते हैं.

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