झालावाड़. जिले के मिनी सचिवालय के सामने बीएसटीसी संघर्ष समिति के द्वारा धरना देते हुए राजस्थान सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया गया है. इस दौरान बीएसटीसी डिग्री धारियों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की है.
बीएसटीसी डिग्री धारियों का कहना है कि रीट परीक्षा 2020 के बारे में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने पिछले दिनों अजमेर में एनसीटीई की गाइडलाइन और पंचायत राज के नियमों में संशोधन करते हुए रीट लेवल प्रथम में बीएड डिग्री धारियों को शामिल करने की बात कही थी. जिसके बाद से प्रदेश के करीब तीन लाख से ज्यादा बीएसटीसी डिग्री धारी विद्यार्थी विरोध में आ चुके हैं.
उन्होंने कहा कि 2 जून 2012 को आयोजित आरटेट (अध्यापक पात्रता परीक्षा) में सबसे पहले यह मुद्दा सामने आया था, जिसमें परीक्षा के महज 5 दिन पहले हाईकोर्ट ने बीएसटीसी डिग्री धारियों के पक्ष में फैसला देते हुए लेवल प्रथम में बीएससी डिग्री धारियों को ही योग्य माना था. साथ ही बीएड डिग्री धारियों को बाहर करने का आदेश दिया था. उसके बाद भी लगातार 6 सालों तक रीट लेवल प्रथम में बीएड डिग्री धारियों को जगह दी गई थी.
वहीं, एनसीटीई की ओर से जून 2020 को अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि रीट लेवल प्रथम में बीएड डिग्री धारियों को भी शामिल किया जा सकता है, जो बीएसटीसी डिग्री धारियों के साथ गलत हो रहा है. बीएसटीसी डिग्री धारियों के पास केवल रीट लेवल प्रथम का ही विकल्प मौजूद है, जबकि बीएड डिग्री धारियों के पास रीट लेवल द्वितीय और सेकंड ग्रेड जैसे कई विकल्प मौजूद है.
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उन्होंने कहा कि बीएसटीसी डिग्री धारियों ने कक्षा 1 से 8 तक का शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त कर रखा है, जबकि बीएड वालों ने कक्षा 6 से 12वीं तक का शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त किया हुआ है. कक्षा 1 से 8 केवल बीएसटीसी धारियों के लिए ही है, फिर भी हमारा हक और अधिकार हमसे छीना जा रहा है. ऐसे में हमारी मांग है कि रीट लेवल प्रथम सिर्फ बीएसटीसी डिग्री धारियों के लिए ही रखा जाए. अगर हमारी मांग नहीं मानी जाती है, तो राजस्थान सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन और प्रदर्शन किया जाएगा.