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जालोर के इस गांव में महिलाएं भी बन रहीं आत्मनिर्भर, सीख रहीं सिलाई के गुण

कोरोना संकट काल में जालोर के गांव की महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन रही हैं. जिले में ग्रामीण महिलाओं को स्थानीय महिलाओं काे सलवार सूट सहित महिलाओं की हर एक पोशाक की सिलाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

Women are becoming independent in Jalore
Women are becoming independent in Jalore
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Published : Sep 14, 2020, 6:20 PM IST

सांचौर (जालोर). कोरोना वायरस के कारण देश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से आत्मनिर्भर बनने की अपील की है. पीएम मोदी की इस अपील के बाद चितलवाना सेवा संस्थान की प्रेमा देवी अब गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं.

दरअसल, महिलाओं को स्वावलंबी बनाने और रोजगार उपलब्ध कराने हेतु चितलवाना सेवा संस्थान निःशुल्क सिलाई प्रशिक्षण केंद्र खोलकर ग्राम पंचायत चितलवाना की महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवा रही है. बीते 2 माह में 240 महिलाएं इस सिलाई प्रशिक्षण केंद्र पर प्रशिक्षण लेकर सक्षम बन गई हैं. अब इन्ही प्रशिक्षण प्राप्त महिलाओं को एक सिलाई उद्योग खोलकर रोजगार दिया जाएगा.

स्थानीय महिलाओं काे सलवार सूट सहित महिलाओं की प्रत्येक पोशाक की सिलाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. चितलवाना सेवा संस्थान द्वारा संचालित हाे रही स्वराेजगार याेजना का उद्देश्य महिलाओं काे राेजगार दिलाकर ग्राम पंचायत चितलवाना काे आत्मनिर्भर बनाना है. चार-चार घंटे के 2 बैच लगाए जा रहे हैं. जिसमें सलवार-सूट सिलाई की बारीकियां सिखाई जा रही हैं. संस्थान ने 300 महिलाओं काे सिलाई सिखाने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

चितलवाना सेवा संस्थान आने वाले महीने में 300 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने की योजना है. उसके बाद चितलवाना में ही एक पेटीकोट उद्योग खोला जाएगा. जिसके अन्तर्गत 300 सिलाई मशीन लगाकर उन प्रशिक्षण प्राप्त महिलाओ को रोजगार दिया जाएगा. जो उद्योग सेंटर में काम करके अपनी आजीविका चला सकेंगी. इसमें महिलाएं मासिक 12 से 15 हजार रुपये कमा सकेंगी.

अभी यह स्थिति

60 मशीनें लगाकर 2 पारी में कुल 120 महिलाएं प्रतिदिन प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है. जो एक माह में सभी प्रकार की पोशाक बनाना सीख जाती है. गत दो माह में 240 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना दिया है.

भविष्य का प्लान

जब 300 महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर लेगी, तो चितलवाना में ही एक कपड़ा सिलाई उद्योग खोलकर इन 300 महिलाओं को रोजगार दिया जाएगा और आगे ज्यों ही महिलाओं का पंजीकरण होगा, तो उन्हें भी प्रशिक्षण देकर इनमें शामिल कर लिया जाएगा और उद्योग में बढ़ोतरी की जाएगी।जिससे पंचायत की महिलांए आत्मनिर्भर बनेंगी और उन्हें रोजगार भी नसीब होगा.

यह भी पढे़ं: ट्रांसपोर्टरों ने सीएम गहलोत को पत्र लिखकर बताई समस्याएं, जल्द समाधान की मांग

चितलवाना सेवा संस्थान की सदस्य प्रेमा देवी का कहना है कि हमारा उद्देश्य चितलवाना ग्राम पंचायत की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है. जिससे महिलाओं को रोजगार मिल सके और भविष्य में पूरे पंचायत की महिलाएं स्वावलंबी और सक्षम हो. वहीं शुरूआत में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए चितलवाना सेवा संस्थान ने तकरीबन पचास हजार मास्क बनाकर लोगों की सेवा की थी.

संस्थान की पहल के बाद अब पंचायत की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. संस्थान की कोशिश है कि महिलाएं हुनरमंद बनें और खुद अपने पैरों पर खड़ी हो सकें. इसी के तहत चितलवाना में महिलाओं को सिलाई की ट्रेनिंग दी गई जा रही है जिससे महिलाएं स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बन रही हैं.

सांचौर (जालोर). कोरोना वायरस के कारण देश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से आत्मनिर्भर बनने की अपील की है. पीएम मोदी की इस अपील के बाद चितलवाना सेवा संस्थान की प्रेमा देवी अब गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं.

दरअसल, महिलाओं को स्वावलंबी बनाने और रोजगार उपलब्ध कराने हेतु चितलवाना सेवा संस्थान निःशुल्क सिलाई प्रशिक्षण केंद्र खोलकर ग्राम पंचायत चितलवाना की महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवा रही है. बीते 2 माह में 240 महिलाएं इस सिलाई प्रशिक्षण केंद्र पर प्रशिक्षण लेकर सक्षम बन गई हैं. अब इन्ही प्रशिक्षण प्राप्त महिलाओं को एक सिलाई उद्योग खोलकर रोजगार दिया जाएगा.

स्थानीय महिलाओं काे सलवार सूट सहित महिलाओं की प्रत्येक पोशाक की सिलाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. चितलवाना सेवा संस्थान द्वारा संचालित हाे रही स्वराेजगार याेजना का उद्देश्य महिलाओं काे राेजगार दिलाकर ग्राम पंचायत चितलवाना काे आत्मनिर्भर बनाना है. चार-चार घंटे के 2 बैच लगाए जा रहे हैं. जिसमें सलवार-सूट सिलाई की बारीकियां सिखाई जा रही हैं. संस्थान ने 300 महिलाओं काे सिलाई सिखाने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

चितलवाना सेवा संस्थान आने वाले महीने में 300 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने की योजना है. उसके बाद चितलवाना में ही एक पेटीकोट उद्योग खोला जाएगा. जिसके अन्तर्गत 300 सिलाई मशीन लगाकर उन प्रशिक्षण प्राप्त महिलाओ को रोजगार दिया जाएगा. जो उद्योग सेंटर में काम करके अपनी आजीविका चला सकेंगी. इसमें महिलाएं मासिक 12 से 15 हजार रुपये कमा सकेंगी.

अभी यह स्थिति

60 मशीनें लगाकर 2 पारी में कुल 120 महिलाएं प्रतिदिन प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है. जो एक माह में सभी प्रकार की पोशाक बनाना सीख जाती है. गत दो माह में 240 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना दिया है.

भविष्य का प्लान

जब 300 महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर लेगी, तो चितलवाना में ही एक कपड़ा सिलाई उद्योग खोलकर इन 300 महिलाओं को रोजगार दिया जाएगा और आगे ज्यों ही महिलाओं का पंजीकरण होगा, तो उन्हें भी प्रशिक्षण देकर इनमें शामिल कर लिया जाएगा और उद्योग में बढ़ोतरी की जाएगी।जिससे पंचायत की महिलांए आत्मनिर्भर बनेंगी और उन्हें रोजगार भी नसीब होगा.

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चितलवाना सेवा संस्थान की सदस्य प्रेमा देवी का कहना है कि हमारा उद्देश्य चितलवाना ग्राम पंचायत की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है. जिससे महिलाओं को रोजगार मिल सके और भविष्य में पूरे पंचायत की महिलाएं स्वावलंबी और सक्षम हो. वहीं शुरूआत में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए चितलवाना सेवा संस्थान ने तकरीबन पचास हजार मास्क बनाकर लोगों की सेवा की थी.

संस्थान की पहल के बाद अब पंचायत की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. संस्थान की कोशिश है कि महिलाएं हुनरमंद बनें और खुद अपने पैरों पर खड़ी हो सकें. इसी के तहत चितलवाना में महिलाओं को सिलाई की ट्रेनिंग दी गई जा रही है जिससे महिलाएं स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बन रही हैं.

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