जालोर. प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से अनुसूची-5 में किये जा रहे सुधार के विरोध में राज्य कर्मचारी लामबद्ध हो रहे हैं. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी सयुंक्त महासंघ के तत्वावधान में शुक्रवार को राज्य कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री के नाम एडीएम छगनलाल को 15 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा. साथ ही पूरा नहीं करने पर प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है.
कर्मचारी महासंघ के जिलाध्यक्ष पूनमचंद बिश्नोई ने बताया कि सरकार अनुसूची-5 में संसोधन करके राज्य कर्मचारियों को दी गई सुविधा और परिलाभ को वापस लेने की कोशिश कर रही है, लेकिन राज्य कर्मचारी यह कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे. उन्होंने बताया कि बताया कि राज्य सरकार के सम्मुख राज्य कर्मचारियों की न्यायोचित और सैद्धांतिक मांगों को लेकर कर्मचारी महासंघ ने कई बार ज्ञापन दिए, लेकिन कर्मचारियों की उचित मांगों को लेकर राज्य सरकार गंभीर नहीं है. ऐसे में परेशान राज्य कर्मचारियों को बड़े स्तर पर आंदोलन करना पड़ है. इसी के साथ उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा 15 सूत्रीय मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया तो कर्मचारियों की ओर से बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा.
राज्य कर्मचारी महासंघ की यह है मांगे
महासंघ के पदाधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार की अनुसूची-5 में संशोधन करके मूल वेतन की कटौती करने का आदेश जारी किया गया था उसको निरस्त किया जाए, ग्रेड पे के अनुसार मूल वेतन पर पे मैट्रिक्स निर्धारित किया जाए. साथ ही उन्होंने बताया कि सातवें वेतन आयोग के संबंध में जारी सूचना में स्वीकृत पे मैट्रिक्स का शीघ्र संशोधन कर केंद्र सरकार द्वारा जारी पे मैट्रिक के सम्मान किया जाए. 2004 के बाद नियुक्त राज्य कर्मचारियों के लिए नवीन पेंशन योजना एनपीएस के स्थान पर पुरानी पेंशन को लागू की जाए.
राज्य कर्मचारियों की ओर से 7,14, 21, 28 और 32 की सेवा अवधि पूर्ण करने पर चयनित वेतनमान वाला लाभ देते हुए पदोन्नत किया जाए. कर्मचारी कल्याण के लिए की गई घोषणाओं की क्रियान्वयन किया जाए. सभी मंत्रालयिक, सहायक कर्मचारियों और शिक्षकों की वेतन विसंगति को दूर किया जाए. राज्य सरकार के अधीन अस्थाई और संविदा पर कार्य करने वाले कर्मचारियों को स्थाई किया जाए. कर्मचारियों को मिल रही सुविधा को रोकने की कार्रवाई पर अविलंब रोक लगाने और द्विपक्षीय वार्ता का निराकरण करने की मांग की है.
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इसी के साथ उन्होंने बताया कि 5 अक्टूबर 2018 को सामूहिक अवकाश के संबंध में अधिसूचना जारी करके अवैतनिक अवकाश घोषित करने और राज्य में ठेका प्रथा और निजीकरण नहीं करने की मांग की. इसके साथ प्रदेशभर में चल रहे रिक्त पदों को भरने और न्यूनतम वेतन 28 हजार करने की मांग की है.