जालोर. पाकिस्तान सीमा से सटे प्रदेश के कई जिलों में अभी भी टिड्डियों का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले 6 महीनों से जिले में टिड्डी दल का हमला लगातार हो रहा है. इस संकट के कारण किसान अब पसोपेश की स्थिति में हैं कि खरीफ फसल की बुवाई करें या नहीं करें. बता दें कि खरीफ की फसल बुआई का समय हो चुका है, ऐसे में किसान अब इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अगर फसल की बुवाई कर दी और टिड्डियों का हमला होता है तो वे पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे.
बता दें कि 6 महीने पहले रबी की सीजन में किसानों ने कर्ज लेकर फसल की बुवाई की थी, लेकिन टिड्डियों ने फसल चौपट कर दी थी. उसके बाद वन मंत्री सुखराम बिश्नोई और तत्कालीन कलेक्टर महेंद्र कुमार सोनी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा करवाने के लिए जिलेभर में अभियान चलाया. इस दौरान किसानों को भरोसा दिलाया गया कि उन्हें बीमा क्लेम दिलवाया जाएगा, लेकिन अभी तक बीमा क्लेम नहीं मिला है. ऐसे में किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से भरोसा उठ चुका है.
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कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में करोड़ों का जीरा, अरंडी और तारामीरा सहित अन्य फसल बर्बाद हो गई थी. ऐसे में अब किसानों को लग रहा है कि महंगाई में कर्ज लेकर बुवाई करें और टिड्डी ने वापस धावा बोला तो वे बर्बाद हो जाएंगे. किसानों का कहना है कि उन्होंने कर्ज लेकर रबी की फसल बोई थी, लेकिन टिड्डियों ने पूरी फसल बर्बाद कर दी थी, जिसके कारण वे पहले से ही कर्ज में डूबे हुए हैं.
बुवाई नहीं हुई तो किसानों के सामने खड़ा हो जाएगा अन्न संकट
जालोर जिले की कुल आबादी करीब 20 लाख से ज्यादा है. इनमें आधे से ज्यादा लोग खाने में बाजरे का उपयोग करते हैं. लेकिन इस बार खरीफ की सीजन में अगर बाजरे की बुवाई नहीं हो पाई तो किसानों के सामने अन्न का संकट खड़ा हो जाएगा. ऐसे हालात में किसान पसोपेश की स्थिति में फंसे हुए हैं कि वह करें तो क्या करें.
4 लाख हेक्टेयर में होती है खरीफ फसल की बुवाई
जालोर में खरीफ फसल के बुवाई का आंकड़ा देखा जाए तो पूरे जिले में करीब 4 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसल की बुवाई की जाती है. इसमें से करीब 2 लाख हेक्टेयर में बाजरा बोया जाता है, जबकि बचे हिस्से में मूंग, मोठ, तिल और ग्वार की खेती होती है. किसानों का कहना है कि अगर वह खेती करते हैं और टिड्डी का हमला होता है तो उनका फसल चौपट हो जाएगी. साथ ही वे अगर बुवाई नहीं करते हैं तो किसानों के सामने परिवार पालने का संकट खड़ा हो जाएगा.
बैंक वाले भी कर रहे हैं तकाजा
बता दें कि रबी फसल की सीजन अक्टूबर में शुरू होती है और फरवरी-मार्च महीने तक फसल तैयार होकर बाजार में आ जाती है, लेकिन इस बार दिसंबर महीने में ही टिड्डी ने फसल चौपट कर दी. ऐसे में जिन किसानों ने बैंक से कर्ज लेकर फसल बोई थी, उनके घर बैंक वाले लोन की राशि चुकाने को लेकर तकाजा कर रहे हैं. लेकिन किसानों का कहना है कि वे लोन की राशि चुकाने की स्थिति में नहीं हैं.
डीजल के बढ़ते दामों ने बुवाई को किया प्रभावित
खरीफ की सीजन शुरू होने के साथ सरकार और पेट्रोलियम कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ाने शुरू कर दिए हैं. इन दोनों के भावों में अब तक 10 रुपए से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है. डीजल के भाव बढ़ने के कारण किसानों की बुवाई पर इसका असर पड़ा है.
किसानों का आरोप, नहीं मिला क्लेम राशि
किसानों ने बताया कि कर्ज लेकर रबी की फसल बोई थी. प्रीमियम भरकर फसल का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा भी करवाया था, लेकिन टिड्डी ने फसल चौपट कर दी. उनका कहना है कि ऐसे में 25 प्रतिशत क्लेम तुरंत और 75 प्रतिशत क्लेम राशि आगामी 2 महीनों में मिलनी चाहिए थी, लेकिन 6 महीने बीतने के बावजूद क्लेम राशि नहीं मिली है. ऐसे में इस बार खरीफ की सीजन में बीमा करवाने के नाम पर भी किसान घबराने लगे हैं.
कृषि यंत्रों की बिक्री में भी गिरावट
जालोर जिले में इस बार टिड्डी के हमले और डीजल के दामों में बढ़ोतरी के कारण किसान खरीफ फसल की बुवाई नहीं करना चाह रहे हैं. ऐसे में जिले के कृषि यंत्रों की दुकानों पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है. व्यापारी घमण्डाराम गोदारा का कहना है कि कृषि यंत्रों की खरीददारी का अभी सीजन है, लेकिन इस बार कोई किसान कृषि यंत्र खरीदने के लिए नहीं आ रहे हैं. गोदारा का कहना है कि उन्होंने करोड़ों का माल स्टॉक कर लिया है, लेकिन बार-बार टिड्डियों के हमले के कारण किसानों ने कृषि यंत्रों की खरीददारी से दूरी बना ली है.