रानीवाड़ा (जालोर). इस बार अक्षय तृतीया की रंगत पर कोरोना की दहशत भारी पड़ती नजर आ रही हैं. कोरोना के खतरे को रोकने के लिए लॉकडाउन पार्ट 2 जारी है. ऐसे में इस बार अक्षय तृतीया पर ना तो शादी ब्याह होंगे ना हीं अन्य धार्मिक कार्यक्रम. जबकि अबूझ मुहूर्त के लिए अपनी खास पहचान रखने वाले अक्षय तृतीया को विशेष तौर पर एक पर्व के रूप में मनाया जाता हैं.
गर्मी का मौसम होने से दक्षिणी राज्यों में इस अवधि में काम धंधे में भी मंदी रहती है. जिसके कारण इस अवधि में हर साल बड़ी तादाद में प्रवासी मारवाड़ पहुंचते हैं. इस अवधि में ही बड़ी तादाद में शादी ब्याह होते हैं, लेकिन इस बार हालात अलग है. कोरोना के खतरे के बीच इस बार 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया होने के बाद भी शादी ब्याह के मुहूर्त नहीं निकाले गए. जो मुहूर्त निकले भी थे, उन्हें स्थगित कर दिया गया.
पढ़ेंः ईटीवी भारत के सवाल पर बोले गहलोत, कहा- पाक विस्थापितों को मिला राशन
जबकि हर साल अक्षय तृतीया पर बाल विवाह की संभावना भी अधिक रहती है और प्रशासन को भी अलर्ट रहना पड़ता है. लेकिन इस बार निषेधाज्ञा के बीच बाल विवाह पर खुद ही लगाम लग गई. इस अवधि में ही मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान भी होते हैं. सीधे तौर पर इस बार अक्षय तृतीया की रंगत कोरोना के खतरे के बीच काफूर हो चुकी है.
बाजार को भी नुकसान
किराना व्यापारीयों ने बताया कि हर साल अक्षय तृतीया के चलते बाजार में रौनक रहती थी. मुख्य रूप से मार्केट में बड़े स्तर पर खरीदारी का दौर जारी रहता था. दूसरी तरफ कपड़ा व्यापारियों का कहना है कि शादी के सीजन के चलते हर बार जरुरत के अनुसार विभिन्न वैरायटी के लिए कपड़े, परिधान मंगवाए जाते थे. लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते कपड़ा मार्केट ही बंद पड़ा है.
पढ़ेंः युवा चिकित्सक जोड़ी ने टाली अपनी शादी, कहा- देश को अभी हमारी जरूरत
दूसरी तरफ सब्जी के होलसेल विक्रेताओं का कहना है कि अक्सर शादी के सीजन के चलते इस समय हर साल हरी सब्जियों की डिमांड काफी ज्यादा होती थी. लेकिन शादी समारोह समेत अन्य सभी आयोजनों के स्थगित होने से इस बार ऐसा नहीं हैं. वहीं पंडित जितेंद्र दवे और पंडित किशोर कुमार ने बताया कि हर साल शादी समारोह और अन्य धार्मिक आयोजनों के लिए बुकिंग रहती है, लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार ना तो आयोजन हो रहें हैं ना ही शादी समारोह