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स्पेशल रिपोर्ट: जालोर में 1 करोड़ की लागत से बनी धर्मशाला को पीएमओ ने बनाया दफ्तर...तिमारदार ठंड में खुले आसमान तले सोने को मजबूर

जालोर जिले के सबसे बड़े अस्पताल में मरीजों के साथ आने वाले के रुकने के लिए सरकार ने एक करोड़ रुपये की लागत से धर्मशाला का निर्माण करवाया गया था, लेकिन धर्मशाला में पीएमओ ने अपना ऑफिस खोल दिया, जिसके कारण मरीजों के अटेंडर आसमान तले खुले में हाड़ कांपती ठंड में सोने को मजबूर है.

एक करोड़ की लागत से बनी धर्मशाला में पीएमओ ने बनाया अपना ऑफिस
एक करोड़ की लागत से बनी धर्मशाला में पीएमओ ने बनाया अपना आफिस
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Published : Dec 1, 2019, 8:32 PM IST

Updated : Dec 1, 2019, 9:06 PM IST

जालोर. जिले के सबसे बड़े अस्पताल में सरकार की ओर से अटेंडरों के लिए एक करोड़ की लागत से धर्मशाला बनाई गई थी, जिस पर पीएमओ ने कब्जा करके अपना ऑफिस बनाना लिया है.जिसके चलते मरीजों और उनके साथ आने वाले अटेंडरों को ठिठुराती ठंडी रात में अस्पताल की चौखट पर ही रात बिताने को मजबूर है. बता दें, इस धर्मशाला का निर्माण कार्य 2013 में शुरू हुआ था, जो 2014 में पूरा हुआ.

एक करोड़ की लागत से बनी धर्मशाला में पीएमओ ने बनाया अपना ऑफिस

कोई मरीज नहीं रुका तो धर्मशाला में ऑफिस बना दिया - पीएमओ
जिले के सबसे बड़े अस्पताल के अधिकारी पीएमओ एसपी शर्मा से ईटीवी भारत से सवाल किया तो उन्होंने कहना कि हमने दो साल धर्मशाला को संचालित किया था, लेकिन किसी मरीज या उनके साथ आये अटेंडर ने रुकना उचित नहीं समझा, रजिस्टर खाली रहता था. जिसके बाद बड़े भवन का उपयोग लेते हुए ऑफिस बना दिया गया.

पढ़ेंः जालोरः गाड़ी पलटने से 15 महिलाएं घायल, सभी का राजकीय अस्पताल में इलाज जारी

पीएमओ की मनमानी तिमारदारों पर भारी
जिला मुख्यालय पर करोड़ों की लागत से धर्मशाला का भवन बना हुआ है. जिला अस्पताल प्रशासन की ओर से उसका ऑफिस में उपयोग किया जा रहा है, जबकि यह भवन सिर्फ धर्मशाला के उपयोग के लिए ही रिजर्व किया था. जिसमें मरीज या उनके साथ आये परिजन रुक सकते है, लेकिन पीएमओ की हठधर्मिता के चलते अपना ऑफिस खोल कर उसमें आराम से अस्पताल का संचालन कर रहे हैं, जबकि अस्पताल के अंदर पीएमओ का अलग से ऑफिस बना हुआ है, लेकिन उस ऑफिस में ना बैठकर पीएमओ के की ओर से इस धर्मशाला में ही अपना ऑफिस बना दिया गया हैं. जिसके चलते आम गरीब लोग और रात में ठंडी हवाओं में बैठकर रात गुजारते हैं. परिजनों के साथ बच्चे भी इस सर्द हवा में अस्पताल परिसर में खुले आसमान के नीचे सोते हैं.

छोटे बच्चे भी आसमान तले सोते नजर आए
इस अस्पताल में बड़े लोगों के साथ ठिठुराती ठंड में छोटे मासूम बच्चे भी उनके परिजनों के साथ सोते नजर आए. उनको ठंड नहीं लगे उसके लिए उनके परिजन छोटे बच्चों को कंबल वगैर ओढ़ाते नजर आए, जबकि खुद सिकुड़ कर बैठे दिखे.

जालोर. जिले के सबसे बड़े अस्पताल में सरकार की ओर से अटेंडरों के लिए एक करोड़ की लागत से धर्मशाला बनाई गई थी, जिस पर पीएमओ ने कब्जा करके अपना ऑफिस बनाना लिया है.जिसके चलते मरीजों और उनके साथ आने वाले अटेंडरों को ठिठुराती ठंडी रात में अस्पताल की चौखट पर ही रात बिताने को मजबूर है. बता दें, इस धर्मशाला का निर्माण कार्य 2013 में शुरू हुआ था, जो 2014 में पूरा हुआ.

एक करोड़ की लागत से बनी धर्मशाला में पीएमओ ने बनाया अपना ऑफिस

कोई मरीज नहीं रुका तो धर्मशाला में ऑफिस बना दिया - पीएमओ
जिले के सबसे बड़े अस्पताल के अधिकारी पीएमओ एसपी शर्मा से ईटीवी भारत से सवाल किया तो उन्होंने कहना कि हमने दो साल धर्मशाला को संचालित किया था, लेकिन किसी मरीज या उनके साथ आये अटेंडर ने रुकना उचित नहीं समझा, रजिस्टर खाली रहता था. जिसके बाद बड़े भवन का उपयोग लेते हुए ऑफिस बना दिया गया.

पढ़ेंः जालोरः गाड़ी पलटने से 15 महिलाएं घायल, सभी का राजकीय अस्पताल में इलाज जारी

पीएमओ की मनमानी तिमारदारों पर भारी
जिला मुख्यालय पर करोड़ों की लागत से धर्मशाला का भवन बना हुआ है. जिला अस्पताल प्रशासन की ओर से उसका ऑफिस में उपयोग किया जा रहा है, जबकि यह भवन सिर्फ धर्मशाला के उपयोग के लिए ही रिजर्व किया था. जिसमें मरीज या उनके साथ आये परिजन रुक सकते है, लेकिन पीएमओ की हठधर्मिता के चलते अपना ऑफिस खोल कर उसमें आराम से अस्पताल का संचालन कर रहे हैं, जबकि अस्पताल के अंदर पीएमओ का अलग से ऑफिस बना हुआ है, लेकिन उस ऑफिस में ना बैठकर पीएमओ के की ओर से इस धर्मशाला में ही अपना ऑफिस बना दिया गया हैं. जिसके चलते आम गरीब लोग और रात में ठंडी हवाओं में बैठकर रात गुजारते हैं. परिजनों के साथ बच्चे भी इस सर्द हवा में अस्पताल परिसर में खुले आसमान के नीचे सोते हैं.

छोटे बच्चे भी आसमान तले सोते नजर आए
इस अस्पताल में बड़े लोगों के साथ ठिठुराती ठंड में छोटे मासूम बच्चे भी उनके परिजनों के साथ सोते नजर आए. उनको ठंड नहीं लगे उसके लिए उनके परिजन छोटे बच्चों को कंबल वगैर ओढ़ाते नजर आए, जबकि खुद सिकुड़ कर बैठे दिखे.

Intro:जिले के सबसे बड़े अस्पताल में मरीजो के साथ आने वाले के रुकने के लिए सरकार ने एक करोड़ रुपये की लागत से धर्मशाला का निर्माण करवाया गया था, लेकिन धर्मशाला में पीएमओ ने अपना आफिस खोल दिया, जिसके कारण मरीजों के अटेंडर आसमान तले खुले में हाड़ कांपती ठंड में सोने को मजबूर है।



Body:एक करोड़ की लागत से बनी धर्मशाला में पीएमओ ने बनाया अपना आफिस, मरीजों के साथ आने वाले अटेंडर आसमान तले ठंड में सोने को मजबूर
जालोर
सर्द हवाएं चलने से एकाएक बढ़ी सर्दी, अस्पताल परिसर में आसमान तले खुले में हाड़ कांपती ठंड में सो रहे मरीजों के साथ आने परिजन और सरकार द्वारा अटेंडरों के लिए एक करोड़ की लागत से बनाई गई धर्मशाला में पीएमओ ने कब्जा करके बनाया आफिस, यह किसी फिल्म का सीन नहीं, बल्कि यह हकीकत है जालोर जिले के सबसे बड़े अस्पताल की। यहां पर मरीजों के साथ आने वाले अटेंडरों के लिए सरकार ने एक करोड़ की लागत से घर्मशाला का निर्माण करवाया था। 2013 में निर्माण शुरू करवाया गया और 2014 में धर्मशाला बनकर तैयार हो गई, लेकिन मरीजों के परिजनों के लिए बनाई गई धर्मशाला में अस्पताल के पीएमओ एसपी शर्मा ने अपना ऑफिस खोल दिया। जिसके चलते मरीजों व उनके साथ आने वाले अटेंडरों को ठिठुराती ठंडी रात में अस्पताल की चौखट पर ही रात बिताने को मजबूर है। सरकार के द्वारा मरीजों के साथ आए परिजनों के रुकने के लिए बनाई गई धर्मशाला जो मरीजों व उनके परिजनों के लिए पूरी तरह नकारा साबित हो रही है। जिला अस्पताल के आसपास कही रेन बसेरा नहीं होने की वजह से गरीब लोग घर से ही सर्दी से बचने के लिए बोरिया बिस्तर साथ लेकर अस्पताल में आते हैं। जिनको ओढ़ कर खुले आसमान तले सोते है।
कोई मरीज नहीं रुका तो धर्मशाला में आफिस बना दिया - पीएमओ
जिले के सबसे बड़े अस्पताल के अधिकारी पीएमओ एसपी शर्मा से ईटीवी भारत से सवाल किया तो उनका जवाब भी बचकाना था। उनका कहना था कि हमने दो साल धर्मशाला को संचालित किया था, लेकिन किसी मरीज या उनके साथ आये अटेंडर ने रुकना उचित नहीं समझा, रजिस्टर खाली रहता था। जिसके बाद बड़े भवन का उपयोग लेते हुए आफिस बना दिया गया, ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि अगर धर्मशाला को संचालित किया जाता तो शायद आसमान तले खुले में हाड़ कंपती सर्दी में शायद गरीब लोग सोने को मजबूर नहीं होते।
पीएमओ की मनमानी अटेंडरों पर भारी
जिला मुख्यालय पर करोड़ों की लागत से धर्मशाला का भवन बना हुआ है। जिला अस्पताल प्रशासन द्वारा उसका आफिस में उपयोग किया जा रहा है, जबकि यह भवन सिर्फ धर्मशाला के उपयोग के लिए ही रिजर्व किया था। जिसमें मरीज या उनके साथ आये परिजन रुक सकते है, लेकिन पीएमओ की हठधर्मिता के चलते अपना ऑफिस खोल कर उसमें आराम से अस्पताल का संचालन कर रहे हैं। जबकि अस्पताल के अंदर पीएमओ का अलग से ऑफिस बना हुआ है। लेकिन उस ऑफिस में ना बैठकर पीएमओ के द्वारा इस धर्मशाला में ही अपना ऑफिस बना दिया गया हैं। जिसके चलते आम गरीब लोग और रात में ठंडी हवाओं में बैठकर रात गुजारते हैं। परिजनों के साथ बच्चे भी इस सर्द हवा में अस्पताल परिसर में खुले आसमान के नीचे सोते हैं।
छोटे बच्चे भी आसमान तले सोते नजर आए
इस अस्पताल में बड़े लोगों के साथ ठिठुराती ठंड में छोटे मासूम बच्चे भी उनके परिजनों के साथ सोते नजर आए। उनको ठंड नहीं लगे उसके लिए उनके परिजन छोटे बच्चों को कंबल वगैर ओढ़ाते नजर आए, जबकि खुद सिकुड़ कर बैठे दिखे।

बाईट- सांवलाराम, अटेंडर
बाईट- केशाराम, अटेंडर
बाईट- दिनेश, अटेंडर
बाईट- कमला जोगी, अटेंडर
बाईट- धर्मी जोगी, अटेंडर
बाईट- एसपी शर्मा, पीएमओ जिला अस्पताल


Conclusion:
Last Updated : Dec 1, 2019, 9:06 PM IST
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