रानीवाड़ा (जालोर). शांतिनाथ महाराज की आज यानी रविवार को सातवीं पुण्यतिथि भोमिया राजपूत समाज की ओर देश के 15 राज्यों में अलग-अलग जगह पर मनाई जा रही है. भोमिया राजपूत युवा परिषद जालोर के जिला अध्यक्ष सर्जन सिंह राठौड़ ने बताया कि भोमिया राजपूत समाज की ओर से देश के 15 राज्यों में शांतिनाथ महाराज की पुण्यतिथि मनाई जा रही है. जिसमें देश के राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, मध्यप्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, आन्ध्रप्रदेश, तेलगांना, उत्तरप्रदेश, बिहार, केरल, झारखंड, हरियाणा, उतराखंड राज्य के अलग अलग जगह पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर पुण्यतिथि मनाई जा रही है.
पुण्यतिथि के अवसर पर रविवार शाम को एक शाम पीर शांतिनाथ महाराज के नाम विशाल भजन संध्या का आयोजन होगा. जिसमें राजस्थान व देश के सुप्रसिद्ध गायक कलाकारों द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी जाएगी. वहीं सोमवार को समाज की ओर से महाप्रसादी का भी आयोजन होगा. जिसमें 36 कौम के लोग हिस्सा लेंगे. भोमिया राजपूत समाज की ओर से प्रतिवर्ष शांतिनाथ महाराज की पुण्यतिथि धूमधाम से समाज के लोग मनाते हैं.
उन्होनें बताया की शांतिनाथ महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर भोमिया राजपूत समाज के लोग नशा प्रवृत्ति छोड़ने का संकल्प लेते हैं. साथ ही समाज में शिक्षा बढ़ावा देने व आगामी वर्ष शांतिनाथ महाराज की पुण्यतिथि कार्यक्रम को लेकर विशेष चर्चा की जाती हैं. भोमिया राजपूत समाज के लोगों कई जगह पर रक्तदान, पौधारोपण एंव मरीजों को फल वितरित कर पुण्यतिथि मनाते हैं. भोमिया राजपूत समाज के लोगों राजस्थान राज्य के छह जिलों में निवासरत हैं जिसमें बाड़मेर, जालोर, सिरोही, पाली, राजसमंद, भीलवाड़ा, उदयपुर जिलों में निवासरत हैं.
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समाज के लोगों ने प्रवास में मनाये मंदिर
राजस्थान के भोमिया राजपूत समाज के लोगों ने प्रवास में पुणे, मुंबई, मैसूर सहित कई देश के कई जगहों पर शांतिनाथ महाराज के मंदिर बनाएं, साथ ही उनकी वर्षगांठ पर भी विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन समाज के लोग करते हैं.
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शांतिनाथ महाराज का जीवन परिचय
शांतिनाथ महाराज का जन्म जालोर की पावन धन्य धरा गांव भागली में राठौड़ जोरावर परिवार में 19 जनवरी 1940 में सोमवार के दिन हुआ था. उनका सांसारिक नाम ओटसिह था. पिताश्री का नाम रावत सिंह और माता का नाम सिणगार कंवर था. 1 नवम्बर 1954 सोमवार के दिन दीक्षा ग्रहण की थी. तथा 28 अक्टूबर 1968 को सोमवार के दिन सिरे मंदिर पीठ पर पीठाधीश के रूप में आसीन हुए थे. 1 अक्टूबर 2012 को सोमवार के दिन संसारी शरीर त्यागकर देवलोकन हो गए. शान्तिनाथ महाराज के गुरू योगीराज केशरनाथ महाराज थे.