सांचौर (जालोर). सरकार की ओर से खाद्य सुरक्षा योजना की शुरुआत की गई ताकि कोई गरीब भूखा ना सोए. लेकिन समाज के कुछ ऐसे भी लोग है, जो अपने पद का गलत फायदा उठाते है और इन गरीबों का हक मारने के लिए सबसे आगे नजर आते है. दरअसल, एक सरकारी शिक्षक ने खाद्य सुरक्षा योजना में नाम जुड़वा कर पिछले 4 साल से राशन के गेहूं उठा रहा था. इस बीच उसने साढ़े सात क्विंटल गेहूं लिया. ये सारा कारनामा उसने अपनी राशन डीलर पत्नी के साथ मिलकर किया.
बता दें कि वीरावा ग्राम पंचायत मुख्यालय पर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक विरदाराम खोरवाल ने खाद्य सुरक्षा में अपना नाम जुड़वा लिया और लंबे समय से गेहूं उठाता रहा. वहीं, जिले में कुछ महीने पूर्व सरकारी कर्मचारियों के नाम खाद्य सुरक्षा से निकालने को लेकर सर्वे भी किया गया और वर्तमान में भी जरूरतमंदों को छोड़कर अन्य लोगों का नाम खाद्य सुरक्षा से निकालने को लेकर सर्वे किया जा रहा है. लेकिन इस सर्वे में फर्जीवाड़ा इस तरह साबित हो रहा है कि शिक्षक का नाम अभी तक काटा नहीं गया है. इस शिक्षक के नाम से अप्रैल महीने का गेहूं भी उठाया गया है.
पढ़ें- खोखले सरकारी दावे: क्वॉरेंटाइन सेंटर में दो वक्त की रोटी को तरसता जालोर का यह परिवार
पति शिक्षक और पत्नी राशन डीलर
वीरावा निवासी विरदाराम खोरवाल गांव में ही राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं. इनकी ओर से साल 2016 में अपने नाम से खाद्य सुरक्षा में जोड़कर गेहूं उठाना शुरू कर दिया. वहीं, उसकी पत्नी संतोष देवी वीरावा में ही जय सरस्वती स्वयं सहायता समूह का संचालन करती हैं और राशन डीलर का कार्य भी संभालती हैं. शिक्षक की ओर से कोरोना महामारी को लेकर अप्रैल महीने में गेहूं घर-घर पहुंचाने पर भी गेहूं उठाया गया है.
इस मामले को लेकर जब ईटीवी भारत ने शिक्षक विरदाराम खोरवाल से बात की तो शिक्षक ने साफ तौर पर कहा कि मेरा नाम खाद्य सुरक्षा में कैसे जुड़ा और गेहूं किसने उठाया, इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है. लेकिन जब इस मामले का खुलासा हुआ तो पता चला कि शिक्षक विरदाराम के नाम पर उसके खुद के बॉयोमेट्रिक तरीके से गेहूं उठाया गया है. वहीं, चितलवाना तहसीलदार सीमा तिवाड़ी ने कहा कि अगर कोई सरकारी शिक्षक गेहूं उठा रहा है तो उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी और उनकी ओर से उठाए गए गेहूं की रिकवरी भी की जाएगी.