रानीवाड़ा (जालोर). सेवाड़ा निवासी एक परिवार ने कोरोना से बचाव के लिए एक सराहनीय पहल की है. सेवाड़ा के जोगाराम पटेल अपने दो पुत्रों के साथ हाल ही में कर्नाटक के तुमकूर से घर लौटे हैं. इन लोगों के घर पहुंचने से पहले ही परिवार वालों ने खेत में उनके रहने के लिए अलग से छप्पर बना दिया है. अब जोगाराम और उनके दोनों बेटे छप्पर में रह रहे हैं और क्वॉरेंटाइन के सारे नियमों की पालना कर रहे हैं. उन्होंने इस पहल से कोरोना के प्रति जागरूकता का संदेश दिया है.
देशभर में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. कोरोना पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार प्रयासरत हैं. वहीं जालोर जिले में अन्य राज्यों से आए बहुतायत संख्या में प्रवासियों को प्रशासन की ओर से घर में रहने की हिदायत दी जा रही है. साथ ही प्रशासन गांवों में अलग-अलग टीम बनाकर प्रवासियों का सर्वे करवाकर उन्हें होम क्वॉरेंटाइन में रहने के लिए पाबंद कर रहा है. दूसरी तरफ लोग होम क्वॉरेंटाइन की अवमानना करते मिल रहे हैं. जिससे पुलिस को लोगों को जागरूक करना पड़ रहा है लेकिन सेवाड़ा निवासी जोगाराम पटेल के परिवार ने एक सराहनीय पहल की है. जोगाराम का परिवार कोरोना संक्रमण को लेकर जागरूक भी है और सतर्क भी.
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बता दें कि 7 मई को कर्नाटक के तुमकूर से जोगाराम और उनके दो पुत्र अपनी निजी कार से अपने घर पहुंचे. जब से जोगाराम अपने बेटों के साथ घर पहुंचे हैं, तब से खेत में अलग बने छप्पर में रह रहे हैं. परिवारजन उन्हें वहां पर खाने-पीने सहित अन्य आवश्यक सामान समय-समय पर पहुंचा रहे हैं.
जोगाराम पटेल के बेटे खेताराम पटेल का कहना है कि जहां से वे आए हैं, उस क्षेत्र में एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीज नहीं है लेकिन कोरोना के प्रति सतर्कता और सावधानी रखने के लिए 28 दिनों के लिए परिवार से दूर रहकर खेत में रह रहे हैं. खेताराम ने बताया कि परिवार के किसी भी सदस्य से वे नहीं मिलते हैं.
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वहीं जोगाराम कहते हैं कि अन्य राज्यों से आने वाले सभी प्रवासी यदि प्रशासन के दिए गए निर्देशों की पालना करें. साथ ही अपने घर में ही अलग होम क्वॉरेंटाइन में रहे तो कोरोना वायरस महामारी पर हम आराम से काबू पा सकते हैं. पटेल के परिवारवालों का कहना है कि उनके खाने-पीने सहित अन्य वस्तुएं उनके छप्पर में बाहर रख दी जाती है. हम परिवार वाले नहीं तो मिलेंगे और ना ही किसी को मिलने देंगे क्योंकि कोरोना वायरस का इलाज नहीं है सिर्फ सावधानी और सतर्कता ही इसका इलाज है. क्वॉरेंटाइन की पालना के लिए छप्पर बनाकर अलग रहने की व्यवस्था की क्षेत्रवासी सराहना कर रहे हैं.