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SPECIAL: विश्व की सबसे बड़ी गौशाला में लॉकडाउन के चलते खड़ी हो गई ये बड़ी मुसीबत!

कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन से पूरा विश्व प्रभावित हुआ है. ऐसे में विश्व की सबसे बड़ी गौशाला और गौ-क्रांति की जनक गौधाम महातीर्थ आनंदवन पथमेड़ा पर भी लॉकडाउन का असर देखने को मिला है. इस अवधि के दौरान गौशाला में चारे का भारी संकट खड़ा हो गया, जिसके बाद गौशाला से जुड़े ट्रस्टी और कार्यकर्ताओं ने किसानों से सम्पर्क कर चारे का प्रबंध किया. इस गौशाला की कुल 64 शाखाएं हैं, जिनमें लगभग 1 लाख 44 हजार से ज्यादा गौवंश हैं, जिनकी यहां देखभाल की जाती है. इसके साथ ही बीमार और निराश्रित गायों के लिए इलाज और सार संभाल की भी यहां उत्तम व्यवस्था है.

जालोर समाचार, jalore news
महातीर्थ आनंदवन गौशाला पर चारे का संकट
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Published : Jun 1, 2020, 6:38 PM IST

जालोर. विश्व को सबसे बड़ी गौधाम महातीर्थ आनंदवन गोशाला भी अब वैश्विक महामारी कोरोना की चपेट में आ गया है. विश्व में गौ क्रांति का आगाज करने वाली ये गौशाला भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है. इस गौशाला की कुल 64 शाखाएं है. इन सभी शाखाओं में कोरोना के बचाव को लेकर लागू किए गए लॉकडाउन में चारे का भारी संकट खड़ा हो गया है, जिसके कारण गौशाला प्रबंधन को अब चारे की व्यवस्था करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में इस गौशाला में लगभग 1 लाख 44 हजार से ज्यादा गौवंश के लिए चारे की व्यवस्था करना काफी बड़ी चुनौती बन गया है.

महातीर्थ आनंदवन गौशाला पर चारे का संकट

गौधाम महातीर्थ आनंदवन पथमेड़ा के संचालक मंडल के विठ्ठल कृष्ण महाराज ने बताया कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच लागू हुए लॉकडाउन के कारण आवागमन पूरी तरह से बंद कर दिया था, जिसके कारण गौशाला में चारे की किल्लत हो गई थी. इसके बाद कार्यकर्ताओं ने आसपास के क्षेत्रों और गुजरात में नर्मदा नहर के किनारे किसानों से प्रतिदिन की जरूरत के हिसाब से चारे की व्यवस्था की गई, तब जाकर इतनी बड़ी संख्या में गौवंश को बचाया जा सका. साथ ही बताया कि गौशाला की पूरे भारत में 64 शाखाएं है, जिसमें 1 लाख 44 हजार से ज्यादा गौवंश हैं. इनके चारे की व्यवस्था को लेकर काफी प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन कोरोना महामारी से पहले जिस प्रकार से गौभक्तों का सहयोग मिलता था, वैसा अब नहीं मिल पा रहा है.

विठ्ठल कृष्ण महाराज ने बताया कि ज्यादातर लोगों का व्यापार इस लॉकडाउन में प्रभावित होने के कारण गौ ग्रास दान आना बंद हो गया है. अब आगे भी साल भर तक ऐसे ही हालात बने रहने के आसार हैं. इसलिए बड़े स्तर पर गौवंशों को बचाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को आगे आना चाहिए. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार एक साल में 9 महीने तक अनुदान देती है, जिसमें जनवरी, फरवरी और मार्च का अनुदान तो प्राप्त हो गया है, लेकिन यह अनुदान तीन-तीन महीनों के अंतराल में मिलता है और चारे की व्यवस्था प्रति दिन करनी पड़ती है. ऐसे में अगर यह अनुदान 9 महीने की जगह 12 महीने और तीन-तीन महीनों के अंतराल की जगह प्रत्येक महीने दिया जाता है तो गौशालाओं में गौवंश को बचाने में संबल मिल सकता.

गौशाला से चलता हैं 4,000 लोगों का परिवार...

बता दें कि गौधाम महातीर्थ आनंदवन पथमेड़ा गौशाला की पूरे देश में 64 शाखाएं हैं, जिसमें से 10 शाखाएं अकेले जालोर जिले में हैं. वहीं, हनुमान नंदी गौशाला गोलासन में करीब 15 हजार नंदी हैं. इसके अलावा अन्य गोशालाओं में करीबन डेढ़ लाख गौवंश हैं, जिनकी देखभाल करने के लिए गौशाला से करीबन 4 हजार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लोग जुड़े हुए हैं, जिनके परिवार की आजीविका इसी गौशाला पर निर्भर करती है. लेकिन कोरोना महामारी के बीच गौ दान आना बंद हो जाने के कारण इन 4 हजार परिवारों पर संकट खड़ा हो गया है. इस गौशाला में पूरे 1065 स्थाई कर्मचारी हैं, जबकि 2,500 लोग गायों की देखभाल करने के अलावा चारा लेकर आने वाले ट्रक चालक, चारा खाली करने वाले मजदूर हैं, जो सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं.

प्रतिदिन इतने चारे की पड़ती है जरूरत...

गौधाम महातीर्थ आनंदवन पथमेड़ा से जुड़ी सभी 64 शाखाओं में 1 लाख 44 हजार गौवंश हैं, जिसमें जालोर और सिरोही जिले में कुल 45 हजार गौवंश हैं, इसमें ज्यादातर गाय निराश्रित हैं. इन गायों के लिए गौशाला प्रबंधन को प्रतिदिन 250 टन सूखा चारा, 30 टन पौष्टिक आहार और 300 टन हरे चारे की जरूरत पड़ती है. इसक अलावा बीमार गायों के लिए भारी मात्रा में दवाइयों की आवश्यकता रहती है.

बीमार गायों के लिए है अलग से स्पेशल व्यवस्था

इस गौशाला में बीमार और बिल्कुल निराश्रित गायों की देखभाल स्पेशल तरीके से की जाती है. इस गौशाला में धन्वंतरी विभाग बना हुआ है, जिसमें केवल बीमार गायों को ही रखा जाता है, जिनकी सेवा के लिए चार से पांच गौ पालक हर वक्त मौजूद रहते हैं. इस विभाग में गायों के उपचार करने के अलावा पूरी तरह से गर्मी से बचाने के लिए पंखे एवं कूलर तक लगाए गए हैं. ताकि बीमार गौवंश को परेशान नहीं होना पड़े. वहीं, इस गौशाला का साल 2018 में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम भी दर्ज हो चुका है.

महाराज का दावा: एक भी गौभक्त को नहीं हुआ कोरोना वायरस

गौशाला प्रबंधन समिति से जुड़े महाराज विठ्ठल कृष्ण महाराज ने ईटीवी भारत को बताया कि जो पंचगव्य अमृत का प्रतिदिन सेवन करते हैं, उन्हें कोरोना असर नहीं कर पाया. उन्होंने बताया कि पूरे भारत में फैली गौधाम पथमेड़ा की गौशालाओं से लाखों की तादाद में गौभक्त जुड़े हुए हैं, जो प्रतिदिन गौमाता से प्राप्त पंचगव्य अमृत का सेवन करते हैं, जिसके कारण देशभर में कही से यह समाचार नहीं आया कि एक भी गौशाला से जुड़ा हुआ गौभक्त कोरोना ग्रसित हुआ हो.

गौशाला की शुरुआत

गौधाम महातीर्थ आनंदवन गौशाला की 1993 में 8 गायों से शुरुआत हुई थी. अब इस गोशाला की विभिन्न शाखाओं में 1 लाख 44 हजार गौवंश हैं. वहीं, अकेले जालोर और सिरोही जिले में 45 हजार निराश्रित गायों की देखभाल की जाती है. वहीं, इन दोनों गौशालाओं में 1065 स्थाई कर्मचारी हैं. साथ ही गौशाला प्रबंधन को इन गायों के लिए प्रतिदिन 250 टन सूखा चारा, 30 टन पौष्टिक आहार और 300 टन हरा चारे की आवश्यकता होती है. वहीं, सूखे चारे की अनुमानित कीमत लगभग 20 लाख रुपए, हरा चारे की कीमत लगभग 8 लाख रुपए और पौष्टिक आहार की कीमत लगभग 10 लाख रुपए यानी की कुल मिलाकर लगभग 38 लाख रुपए की प्रतिदिन जरूरत पड़ती है.

जालोर. विश्व को सबसे बड़ी गौधाम महातीर्थ आनंदवन गोशाला भी अब वैश्विक महामारी कोरोना की चपेट में आ गया है. विश्व में गौ क्रांति का आगाज करने वाली ये गौशाला भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है. इस गौशाला की कुल 64 शाखाएं है. इन सभी शाखाओं में कोरोना के बचाव को लेकर लागू किए गए लॉकडाउन में चारे का भारी संकट खड़ा हो गया है, जिसके कारण गौशाला प्रबंधन को अब चारे की व्यवस्था करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में इस गौशाला में लगभग 1 लाख 44 हजार से ज्यादा गौवंश के लिए चारे की व्यवस्था करना काफी बड़ी चुनौती बन गया है.

महातीर्थ आनंदवन गौशाला पर चारे का संकट

गौधाम महातीर्थ आनंदवन पथमेड़ा के संचालक मंडल के विठ्ठल कृष्ण महाराज ने बताया कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच लागू हुए लॉकडाउन के कारण आवागमन पूरी तरह से बंद कर दिया था, जिसके कारण गौशाला में चारे की किल्लत हो गई थी. इसके बाद कार्यकर्ताओं ने आसपास के क्षेत्रों और गुजरात में नर्मदा नहर के किनारे किसानों से प्रतिदिन की जरूरत के हिसाब से चारे की व्यवस्था की गई, तब जाकर इतनी बड़ी संख्या में गौवंश को बचाया जा सका. साथ ही बताया कि गौशाला की पूरे भारत में 64 शाखाएं है, जिसमें 1 लाख 44 हजार से ज्यादा गौवंश हैं. इनके चारे की व्यवस्था को लेकर काफी प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन कोरोना महामारी से पहले जिस प्रकार से गौभक्तों का सहयोग मिलता था, वैसा अब नहीं मिल पा रहा है.

विठ्ठल कृष्ण महाराज ने बताया कि ज्यादातर लोगों का व्यापार इस लॉकडाउन में प्रभावित होने के कारण गौ ग्रास दान आना बंद हो गया है. अब आगे भी साल भर तक ऐसे ही हालात बने रहने के आसार हैं. इसलिए बड़े स्तर पर गौवंशों को बचाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को आगे आना चाहिए. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार एक साल में 9 महीने तक अनुदान देती है, जिसमें जनवरी, फरवरी और मार्च का अनुदान तो प्राप्त हो गया है, लेकिन यह अनुदान तीन-तीन महीनों के अंतराल में मिलता है और चारे की व्यवस्था प्रति दिन करनी पड़ती है. ऐसे में अगर यह अनुदान 9 महीने की जगह 12 महीने और तीन-तीन महीनों के अंतराल की जगह प्रत्येक महीने दिया जाता है तो गौशालाओं में गौवंश को बचाने में संबल मिल सकता.

गौशाला से चलता हैं 4,000 लोगों का परिवार...

बता दें कि गौधाम महातीर्थ आनंदवन पथमेड़ा गौशाला की पूरे देश में 64 शाखाएं हैं, जिसमें से 10 शाखाएं अकेले जालोर जिले में हैं. वहीं, हनुमान नंदी गौशाला गोलासन में करीब 15 हजार नंदी हैं. इसके अलावा अन्य गोशालाओं में करीबन डेढ़ लाख गौवंश हैं, जिनकी देखभाल करने के लिए गौशाला से करीबन 4 हजार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लोग जुड़े हुए हैं, जिनके परिवार की आजीविका इसी गौशाला पर निर्भर करती है. लेकिन कोरोना महामारी के बीच गौ दान आना बंद हो जाने के कारण इन 4 हजार परिवारों पर संकट खड़ा हो गया है. इस गौशाला में पूरे 1065 स्थाई कर्मचारी हैं, जबकि 2,500 लोग गायों की देखभाल करने के अलावा चारा लेकर आने वाले ट्रक चालक, चारा खाली करने वाले मजदूर हैं, जो सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं.

प्रतिदिन इतने चारे की पड़ती है जरूरत...

गौधाम महातीर्थ आनंदवन पथमेड़ा से जुड़ी सभी 64 शाखाओं में 1 लाख 44 हजार गौवंश हैं, जिसमें जालोर और सिरोही जिले में कुल 45 हजार गौवंश हैं, इसमें ज्यादातर गाय निराश्रित हैं. इन गायों के लिए गौशाला प्रबंधन को प्रतिदिन 250 टन सूखा चारा, 30 टन पौष्टिक आहार और 300 टन हरे चारे की जरूरत पड़ती है. इसक अलावा बीमार गायों के लिए भारी मात्रा में दवाइयों की आवश्यकता रहती है.

बीमार गायों के लिए है अलग से स्पेशल व्यवस्था

इस गौशाला में बीमार और बिल्कुल निराश्रित गायों की देखभाल स्पेशल तरीके से की जाती है. इस गौशाला में धन्वंतरी विभाग बना हुआ है, जिसमें केवल बीमार गायों को ही रखा जाता है, जिनकी सेवा के लिए चार से पांच गौ पालक हर वक्त मौजूद रहते हैं. इस विभाग में गायों के उपचार करने के अलावा पूरी तरह से गर्मी से बचाने के लिए पंखे एवं कूलर तक लगाए गए हैं. ताकि बीमार गौवंश को परेशान नहीं होना पड़े. वहीं, इस गौशाला का साल 2018 में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम भी दर्ज हो चुका है.

महाराज का दावा: एक भी गौभक्त को नहीं हुआ कोरोना वायरस

गौशाला प्रबंधन समिति से जुड़े महाराज विठ्ठल कृष्ण महाराज ने ईटीवी भारत को बताया कि जो पंचगव्य अमृत का प्रतिदिन सेवन करते हैं, उन्हें कोरोना असर नहीं कर पाया. उन्होंने बताया कि पूरे भारत में फैली गौधाम पथमेड़ा की गौशालाओं से लाखों की तादाद में गौभक्त जुड़े हुए हैं, जो प्रतिदिन गौमाता से प्राप्त पंचगव्य अमृत का सेवन करते हैं, जिसके कारण देशभर में कही से यह समाचार नहीं आया कि एक भी गौशाला से जुड़ा हुआ गौभक्त कोरोना ग्रसित हुआ हो.

गौशाला की शुरुआत

गौधाम महातीर्थ आनंदवन गौशाला की 1993 में 8 गायों से शुरुआत हुई थी. अब इस गोशाला की विभिन्न शाखाओं में 1 लाख 44 हजार गौवंश हैं. वहीं, अकेले जालोर और सिरोही जिले में 45 हजार निराश्रित गायों की देखभाल की जाती है. वहीं, इन दोनों गौशालाओं में 1065 स्थाई कर्मचारी हैं. साथ ही गौशाला प्रबंधन को इन गायों के लिए प्रतिदिन 250 टन सूखा चारा, 30 टन पौष्टिक आहार और 300 टन हरा चारे की आवश्यकता होती है. वहीं, सूखे चारे की अनुमानित कीमत लगभग 20 लाख रुपए, हरा चारे की कीमत लगभग 8 लाख रुपए और पौष्टिक आहार की कीमत लगभग 10 लाख रुपए यानी की कुल मिलाकर लगभग 38 लाख रुपए की प्रतिदिन जरूरत पड़ती है.

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