जालोर. सांचोर और चितलवाना क्षेत्र के 5 गांवों के किसान अनकमांड क्षेत्र में रह गए. किसान कमांड क्षेत्र में जोड़ने की मांग को लेकर पिछले 40 दिनों से नर्मदा नहर के किनारे कड़ाके की ठंड में रात-दिन डटकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अभी तक किसानों की सुनवाई नहीं हुई है. जिससे परेशान होकर किसानों ने अब पंचायतीराज चुनाव का बहिष्कार करने की खुली चेतावनी प्रशासन को दी है.
मेघावा, मणोहर, विरावा, कुंडकी और गड़ावा गांव के किसान कड़ाके की ठंड में पिछले 40 दिन से रात- दिन डटकर नर्मदा नहर के किनारे धरना दे रहे हैं. किसान अपनी जमीन को कमांड क्षेत्र में जुड़वाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई खास आश्वासन नहीं मिला है. ना ही इनकी समस्या के समाधान को लेकर कोई कदम उठाए गए हैं. जिससे परेशान होकर किसानों ने अब पंचायतीराज चुनावों के बहिष्कार करने की खुली चेतावनी प्रशासन को दी है. किसानों ने प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपा.
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ज्ञापन में बताया गया, कि किसानों की जमीन को औने-पौने दामों में अवाप्त कर लिया गया. जिसके बाद जमीन में नर्मदा नहर का निर्माण करवा दिया गया,लेकिन किसानों की जमीन को सिंचित कमांड क्षेत्र में नहीं जोड़ा गया.जिसके कारण अब किसानों के खेतों के बीच से पानी से भरी नर्मदा नहर तो गुजर रही है, लेकिन किसान नहर के अंदर से एक बूंद पानी तक सिंचाई के लिए नहीं ले पा रहे हैं.
'मंत्री ने जयपुर बुलाया, लेकिन जरूरी दस्तावेज नहीं दे रहा प्रशासन'
सांचोर से विधायक और वन व पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई के विधानसभा में किसानों का धरना चल रहा था. जिसके कारण मंत्री धरनास्थल पर पहुंचे. मंत्री ने किसानों को जरूरत के दस्तावेज लेकर जयपुर में बुलाया. जिसके बाद किसान उन आवश्यक दस्तावेजों के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. किसानों का आरोप है, कि पिछले 15 दिन से आवश्यक दस्तावेजों के लिए नर्मदा नहर परियोजना के अधिकारियों और तहसील के चक्कर काट रहे हैं. वहीं इतना समय बीत जाने पर भी कार्मिक आवश्यक दस्तावेज ही उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं. जिसके कारण किसान परेशान हो रहे हैं.
किसानों का आरोप, 'धमका रहे हैं अधिकारी'
किसानों ने बताया, कि खेत में नहर की जमीन को अवाप्त करके नहर का निर्माण किया गया. उस समय अधिकारियों ने जानबूझकर अनकमांड क्षेत्र में रख दिया. उसके बाद किसान धरना देकर कमांड क्षेत्र में जोड़ने की मांग कर रहे हैं, लेकिन नर्मदा परियोजना और सरकार हमारी समस्या का समाधान करने के बजाय हमें उल्टा धमका रहे हैं.
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किसानों ने आरोप लगाया, कि प्रशासनिक अधिकारी धमकी दे रहे हैं, कि 5 से ज्यादा लोग धरनास्थल पर जुटे तो जेल भेज देंगे. जिसके बाद अब किसानों ने पंचायतीराज चुनाव के बहिष्कार की चेतावनी दी.