जालोर. जिले के चितलवाना क्षेत्र में नेशनल हाइवे 825 ए का निर्माण कार्य किया जा रहा है. जिसके लिए प्रशासन ने जमीन अवाप्ति कर ली और सड़क निर्माण करने वाली कम्पनी ने जबरन किसानों से जमीन का कब्जा लेकर सड़क का निर्माण कर दिया, लेकिन किसानों को मुआवजे के नाम पर कुछ नहीं दिया.वहीं किसान मुआवजे की मांग को लेकर दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है, लेकिन मुआवजा नहीं मिल रहा है.
किसानों ने बताया कि जो मुआवजा प्रस्तावित था उससे काफी कम मिला है. अधिकारियों ने अपनी मनमर्जी के अनुसार मुआवजा सूची बना दी है. जिसके कारण किसानों की जमीन ज्यादा जा रही है या महंगी जमीन को कौड़ियों के भाव के हिसाब से मुआवजा दिया जा रहा है.
पढ़ेंः जालोर महोत्सव में झलके परंपरागत खेल, क्या बच्चे और क्या बूढ़े जमकर खेले
मुआवजे की राशि खातों में जमा नहीं हुई
किसान लाला राम ने बताया कि जमीन अवाप्ति करके अधिकारियों ने सोमवार को मुआवजा देने की बात कहीं थी. उसके बाद कई सोमवार चले गए है, लेकिन अभी तक मुआवजे की राशि खातों में जमा नहीं हुई है. पुलिस का धौस दिखाकर डराते है. किसानों को भारतमाला के तहत बन रहे नेशनल हाइवे के निर्माण कार्य करने वाली कंपनी जीएसवी के कार्मिक किसानों को पुलिस की धौंस भी दिखाते है.
किसान को शांति भंग का आरोप लगाकर जेल भिजवा
किसान मसरा राम देवासी ने बताया कि किसानों को मुआवजा राशि नहीं मिलने के कारण राशि देने की मांग करते है तो कंपनी के कार्मिक पुलिस की धौंस दिखाते है. एक बार तो झूठे मामले में किसान को रात को दस बजे घर में सो रहे किसान को शांति भंग के आरोप में जेल भिजवा दिया था, बाद में किसानों का विरोध बढ़ता देखकर आनन-फानन में किसान को छोड़ा गया. जिसके बाद में किसानों ने धरना प्रदर्शन शुरू किया.जिसके बाद एसपी ने थानाधिकारी को हटाकर मामला शांत करवाया था.
पढ़ेंः जालोर: पुलिस ने नाकेबंदी के दौरान 19 कार्टून देसी शराब की जब्त, 2 गिरफ्तार
मुआवजा राशि नहीं मिली तो रुकवाएंगे कार्य
जिले में भारतमाला के तहत बन रहे नेशनल हाइवे के निर्माण में कार्य शुरुआत से विवादों में घिर गया था. पहले किसानों के खेतों और घरों में निर्माण करने वाली कंपनी ने जबरन जेसीबी चला दी थी.जिससे किसानों लाखों का नुकसान हो गया. जिसके बाद किसानों ने विरोध किया तो मुआवजा देने का आश्वासन देकर शांत करवाया गया था. उसके बाद सर्वे करवाकर मुआवजे की सूची अधिकारियों ने अपने स्तर पर बना ली. न तो किसानों से उनके नुकसान की जानकारी ली, ना ही अधिकारियों ने मौके पर जाकर मौका स्थिति को देखा. जिसके कारण अब किसान आरोप लगा रहे है कि मुआवजा जितना दिया जाना प्रस्तावित किया गया है उससे कई गुणा ज्यादा उनका नुकसान हुआ है.