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जालोर: भाजपा नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य सरकार की नीतियों का किया विरोध

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Published : Aug 29, 2020, 10:11 PM IST

जालोर के भीनमाल में भाजपा नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राजस्थान सरकार की नीतियों का विरोध किया. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश नेतृत्व के निर्देशानुसार 'हल्ला बोल कार्यक्रम' के तहत शनिवार को भाजपा नेताओं ने गहलोत सरकार की कमियां बताईं.

Bhinmaam Jalore News, भाजपा नेता, प्रेस कॉन्फ्रेंस
जालोर में भाजपा नेताओं ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस

भीनमाल (जालोर). भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश नेतृत्व के निर्देशानुसार 'हल्ला बोल कार्यक्रम' के तहत शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राजस्थान सरकार की नीतियों का विरोध किया गया. सांसद पटेल देवजी ने कहा कि विधानसभा चुनाव दौरान राहुल गांधी ने एक नारा दिया था अब होगा न्याय, लेकिन वो न्याय कब होगा. आज 20 माह बाद हर मोर्चे पर विफल राज्य की कांग्रेस सरकार के मुखिया से राजस्थान की 8 करोड़ जनता चीख-चीख कर पूछ रही है, लेकिन न्याय करने की जगह राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार गरीब विरोधी निर्णय करके लोकसभा चुनाव की हार का जनता से बदला ले रही है. इस दौरान भाजपा के नेताओं ने कई मुद्दों को लेकर प्रदेश सरकार को घेरा.

जालोर में भाजपा नेताओं ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस

बेहाल किसानों की समस्याएं

भाजपा के नेताओं के मुताबिक राज्य सरकार में 10 दिन में समस्त किसानों के कर्जा माफी की बात कहीं गई थी. लेकिन आज भी सरकारी बैंक, ग्रामीण बैंक, वाणिज्यक बैंक 22 लाख किसान कर्जा माफी के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं.

पढ़ें: संयुक्त अभिभावक समिति की चेतावनी, राजस्थान बंद के बावजूद भी फीस माफ नहीं हुई तो करेंगे आंदोलन

बिजली के दाम में बढ़ोतरी

भाजपा के नेताओं के मुताबिक राज्य सरकार ने जन घोषणा पत्र में बिजली की दरों में बढ़ोतरी नहीं करने की घोषणा की थी. दूर्भाग्य से 20 महीनों में सरकार ने अलग-अलग समय में 70 पैसे प्रति यूनिट तक वृद्धि की है. इस 6 फरवरी 2020 को राज्य के 1 करोड़ 13 लाख उपभोक्ताओं पर विद्युत दर फिक्स चार्ज पर 12 प्रतिशत बढ़ोतरी कर 70 पैसे प्रति यूनिट बिजली की दरों में वृद्धि हुई है. 1400 करोड़ का अतिरिक्त घरेलू उपभोक्ताओं पर भार डाल दिया है.

कोरोना महामारी के काल में राज्य के घरेलू उपभोक्ता ने चार माह बिजली का बिल माफ करने एवं उद्योग जगत पर बंद पड़े उद्योगों पर फिक्स चार्ज 2.97 पैसे प्रति यूनिट माफ करने कि मांग की थी. दुर्भाग्य से राज्य सरकार ने मांगों को ठुकरा दिया. फ्यूल चार्ज जो भाजपा के राज में जो 30 पैसे यूनिट था, उसको बढ़ा कर 58 पैसे प्रति यूनिट कर दिया. इन सभी कारणों से इस कोरोना काल खंड में घरेलू उभोक्ताओं पर आर्थिक भार पड़ा है.

राज्य सरकार ने फरमान जारी करके कोरोना काल खंड में 3 माह के स्थगित बिजली के बिलों को 31 जून तक जमा कराने के आदेश जारी करने के साथ ही स्थाई चार्जेंज के नाम से प्रत्येक उपभोक्ता से 2000 से 5000 रुपये तक अतिरिक्त भार डाल दिया. वहीं, उद्योग जगत को भी आहत कर दिया. पिछले 3 माह से बिजली की अघोषित कटौती और वीसीआर के नाम पर किसानों से हजारों रुपये की वसूली करके भ्रष्टाचार के नये आयाम स्थापित किए हैं. विद्युत की दृष्टि से राजस्थान को आत्मनिर्भर बनाने की घोषणा के बाद भी सैकड़ों की महंगी बिजली खरीद कर भारी भ्रष्टाचार किया है.
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा प्रत्येक कृषि कनेक्शन पर 833 रूपए की सब्सिडी की छूट दी गई थी.

राजस्थान सरकार से मांग है कि-

  • कोरोना काल खंड के अंतर्गत उपभोक्ताओं के 4 माह के बिजली के बिल माफ करें.
  • फ्यूल चार्ज एवं स्थाई शुल्क के नाम पर की गई वद्धि वापस लें.
  • किसानों के बिजली बिल माफ करें.
  • बिजली कटौती बंद करें.
  • किसानों की अवैध वीसीआर भरना बंद करें.
  • किसानों की बंद कर दी गई सब्सिडी को पुनः शुरू किया जाए.

भीनमाल (जालोर). भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश नेतृत्व के निर्देशानुसार 'हल्ला बोल कार्यक्रम' के तहत शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राजस्थान सरकार की नीतियों का विरोध किया गया. सांसद पटेल देवजी ने कहा कि विधानसभा चुनाव दौरान राहुल गांधी ने एक नारा दिया था अब होगा न्याय, लेकिन वो न्याय कब होगा. आज 20 माह बाद हर मोर्चे पर विफल राज्य की कांग्रेस सरकार के मुखिया से राजस्थान की 8 करोड़ जनता चीख-चीख कर पूछ रही है, लेकिन न्याय करने की जगह राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार गरीब विरोधी निर्णय करके लोकसभा चुनाव की हार का जनता से बदला ले रही है. इस दौरान भाजपा के नेताओं ने कई मुद्दों को लेकर प्रदेश सरकार को घेरा.

जालोर में भाजपा नेताओं ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस

बेहाल किसानों की समस्याएं

भाजपा के नेताओं के मुताबिक राज्य सरकार में 10 दिन में समस्त किसानों के कर्जा माफी की बात कहीं गई थी. लेकिन आज भी सरकारी बैंक, ग्रामीण बैंक, वाणिज्यक बैंक 22 लाख किसान कर्जा माफी के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं.

पढ़ें: संयुक्त अभिभावक समिति की चेतावनी, राजस्थान बंद के बावजूद भी फीस माफ नहीं हुई तो करेंगे आंदोलन

बिजली के दाम में बढ़ोतरी

भाजपा के नेताओं के मुताबिक राज्य सरकार ने जन घोषणा पत्र में बिजली की दरों में बढ़ोतरी नहीं करने की घोषणा की थी. दूर्भाग्य से 20 महीनों में सरकार ने अलग-अलग समय में 70 पैसे प्रति यूनिट तक वृद्धि की है. इस 6 फरवरी 2020 को राज्य के 1 करोड़ 13 लाख उपभोक्ताओं पर विद्युत दर फिक्स चार्ज पर 12 प्रतिशत बढ़ोतरी कर 70 पैसे प्रति यूनिट बिजली की दरों में वृद्धि हुई है. 1400 करोड़ का अतिरिक्त घरेलू उपभोक्ताओं पर भार डाल दिया है.

कोरोना महामारी के काल में राज्य के घरेलू उपभोक्ता ने चार माह बिजली का बिल माफ करने एवं उद्योग जगत पर बंद पड़े उद्योगों पर फिक्स चार्ज 2.97 पैसे प्रति यूनिट माफ करने कि मांग की थी. दुर्भाग्य से राज्य सरकार ने मांगों को ठुकरा दिया. फ्यूल चार्ज जो भाजपा के राज में जो 30 पैसे यूनिट था, उसको बढ़ा कर 58 पैसे प्रति यूनिट कर दिया. इन सभी कारणों से इस कोरोना काल खंड में घरेलू उभोक्ताओं पर आर्थिक भार पड़ा है.

राज्य सरकार ने फरमान जारी करके कोरोना काल खंड में 3 माह के स्थगित बिजली के बिलों को 31 जून तक जमा कराने के आदेश जारी करने के साथ ही स्थाई चार्जेंज के नाम से प्रत्येक उपभोक्ता से 2000 से 5000 रुपये तक अतिरिक्त भार डाल दिया. वहीं, उद्योग जगत को भी आहत कर दिया. पिछले 3 माह से बिजली की अघोषित कटौती और वीसीआर के नाम पर किसानों से हजारों रुपये की वसूली करके भ्रष्टाचार के नये आयाम स्थापित किए हैं. विद्युत की दृष्टि से राजस्थान को आत्मनिर्भर बनाने की घोषणा के बाद भी सैकड़ों की महंगी बिजली खरीद कर भारी भ्रष्टाचार किया है.
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा प्रत्येक कृषि कनेक्शन पर 833 रूपए की सब्सिडी की छूट दी गई थी.

राजस्थान सरकार से मांग है कि-

  • कोरोना काल खंड के अंतर्गत उपभोक्ताओं के 4 माह के बिजली के बिल माफ करें.
  • फ्यूल चार्ज एवं स्थाई शुल्क के नाम पर की गई वद्धि वापस लें.
  • किसानों के बिजली बिल माफ करें.
  • बिजली कटौती बंद करें.
  • किसानों की अवैध वीसीआर भरना बंद करें.
  • किसानों की बंद कर दी गई सब्सिडी को पुनः शुरू किया जाए.
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