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जालोर में चिकित्सा व्यवस्था बदहाल, औचक निरीक्षण में खुली पोल

जालोर में चिकित्सा सुविधाओं को लेकर चिकित्सा विभाग कितना सजग है. इसका बड़ा उदाहरण बागोड़ा अस्पताल के औचक निरीक्षण के दौरान देखने को मिला. यहां राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आकस्मिक निरीक्षण करने पहुंचे तो भारी लापरवाही सामने आई.

Government Hospital in Jalore, अस्पताल का औचक निरीक्षण
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Published : Aug 30, 2019, 11:14 AM IST

जालोर. जिले में चिकित्सा सुविधा कितनी बदहाल है. इसका एक नमूना औचक निरीक्षण में सामने आया है. इस संबंध में जिला सेशन जज ने बकायदा प्रेस नोट जारी करके खुलासा किया, जिसके बाद बावजूद भी चिकित्सा विभाग के अधिकारी मौन धारण किए हुए हैं. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि जिले के चिकित्सा सुविधा बदहाल होने के बाद भी प्रशासन कुंभकर्ण की नींद में क्यों सो रहा है.

जालोर में औचक निरीक्षण के दौरान दिखी बदहाल चिकित्सा व्यवस्था

दरअसल, पूरा मामला जिले के बागोड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का है. यहां गुरुवार देर शाम अपर जिला जज अस्पताल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे. अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव नरेन्द्र सिंह और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पवन कुमार काला अचानक बागोड़ा के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे तो उन्हें भारी अनियमितताएं देखने को मिली. निरीक्षण में सामने आया कि अस्पताल में लगे चिकित्सक लम्बे समय से प्रतिनियुक्ति पर चल रहे हैं और अस्पताल केवल नर्सिंगकर्मी संभालते है. अस्पताल में चिकित्सक की जगह बिना प्रशिक्षित नर्सिंगकर्मी के द्वारा ही महिलाओं के डिलीवरी तक करवाने की जानकारी मिली.

पढ़ें: स्पेशल रिपोर्ट: शेखावटी के लाल ने 20 हजार फीट ऊंची चोटी पर फहराया तिरंगा

वहीं, निशुल्क दवाईयों की बात की जाए तो वो चूहों के द्वारा कुतरी हुई मिली. इसके अलावा अस्पताल परिसर में गंदगी का आलम दिखाई दिया. इलाज के लिए आने वाले मरीजों का समय पर इलाज नहीं करने की शिकायत मिली. साथ ही लेबर रूम में गंदगी का आलम इतना था कि वहां पर 5 मिनट तक खड़ा रहना भी मुश्किल था. ऐसे में प्रेस नोट जारी कर अचानक निरीक्षण करने की जानकारी गई. इसके बाद ईटीवी भारत ने जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी गजेंद्र सिंह देवल से बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

जालोर. जिले में चिकित्सा सुविधा कितनी बदहाल है. इसका एक नमूना औचक निरीक्षण में सामने आया है. इस संबंध में जिला सेशन जज ने बकायदा प्रेस नोट जारी करके खुलासा किया, जिसके बाद बावजूद भी चिकित्सा विभाग के अधिकारी मौन धारण किए हुए हैं. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि जिले के चिकित्सा सुविधा बदहाल होने के बाद भी प्रशासन कुंभकर्ण की नींद में क्यों सो रहा है.

जालोर में औचक निरीक्षण के दौरान दिखी बदहाल चिकित्सा व्यवस्था

दरअसल, पूरा मामला जिले के बागोड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का है. यहां गुरुवार देर शाम अपर जिला जज अस्पताल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे. अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव नरेन्द्र सिंह और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पवन कुमार काला अचानक बागोड़ा के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे तो उन्हें भारी अनियमितताएं देखने को मिली. निरीक्षण में सामने आया कि अस्पताल में लगे चिकित्सक लम्बे समय से प्रतिनियुक्ति पर चल रहे हैं और अस्पताल केवल नर्सिंगकर्मी संभालते है. अस्पताल में चिकित्सक की जगह बिना प्रशिक्षित नर्सिंगकर्मी के द्वारा ही महिलाओं के डिलीवरी तक करवाने की जानकारी मिली.

पढ़ें: स्पेशल रिपोर्ट: शेखावटी के लाल ने 20 हजार फीट ऊंची चोटी पर फहराया तिरंगा

वहीं, निशुल्क दवाईयों की बात की जाए तो वो चूहों के द्वारा कुतरी हुई मिली. इसके अलावा अस्पताल परिसर में गंदगी का आलम दिखाई दिया. इलाज के लिए आने वाले मरीजों का समय पर इलाज नहीं करने की शिकायत मिली. साथ ही लेबर रूम में गंदगी का आलम इतना था कि वहां पर 5 मिनट तक खड़ा रहना भी मुश्किल था. ऐसे में प्रेस नोट जारी कर अचानक निरीक्षण करने की जानकारी गई. इसके बाद ईटीवी भारत ने जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी गजेंद्र सिंह देवल से बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

Intro:चूहों के कुतरी हुई मिली दवाइयां
सचिव एवं मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा किये गये निरीक्षण के दौरान पाया गया अस्पताल में चूहों द्वारा कुतरी हुई दवाइयां लेबर रूम में पाई गई। वहीं निरीक्षण में लेबर रूम की हालत काफी खराब पाई गई ऐसा लग रहा था कि यहां पर कई दिनों से सफाई नहीं की गई थी, जगह जगह ब्लड के धब्बे पाये गये, रूम से बदबू आ रही थी।



Body:जिले में बदहाल चिकित्सा व्यवस्था, औचक निरीक्षण में खुली पोल, चिकित्सा विभाग खामोश
जालोर
जिले में चिकित्सा सुविधा कितनी बदहाल है इसका एक नमूना औचक निरीक्षण में सामने आया। जिसका बकायदा जिला सेशन जज ने प्रेस नोट जारी करके खुलासा किया। जिसके बाद बावजूद भी चिकित्सा विभाग के अधिकारी मौन धारण किए हुए है। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि जिले के चिकित्सा सुविधा बदहाल होने के बाद भी प्रशासन कुंभकर्ण की नींद में क्यों सो रहा है। पूरा मामला जिले के बागोड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का है। वहा पर गुरुवार देर शाम को अपर जिला जज अस्पताल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे। अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव नरेन्द्रसिंह व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पवन कुमार काला अचानक बागोड़ा के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का आकस्मिक निरीक्षण करने पहुंचे। तो उन्हें भारी अनियमितताएं देखने को मिली। अस्पताल में चिकित्सक की जगह बिना प्रशिक्षित
नर्सिंगकर्मी ही महिलाओं के डिलीवरी तक करवाने की जानकारी मिली। निरीक्षण में सामने आया कि अस्पताल में लगा चिकित्सक लम्बे समय से प्रतिनियुक्ति पर चल रहा है, जबकि अस्पताल केवल नर्सिंगकर्मी संभालते है। वहीं निशुल्क दवाईयों की बात की जाए तो वो चूहों के कुतरी हुई मिली। इसके अलावा अस्पताल परिसर में गंदगी का आलम, इलाज के लिए आने वाले मरीजों को समय पर इलाज नहीं करने, लेबर रूम में गंदगी का आलम इतना था कि वहा पर 5 मिनट तक खड़ा रहना भी मुश्किल था। ऐसे में प्रेस नोट जारी कर अचनाक निरीक्षण करने के बाद कमियों के खुलासा किया। इसके बाद ईटीवी भारत ने जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी गजेंद्र सिंह देवल से बात करने की कोशिश भी की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
निरीक्षण के लिए पहुंचे तो केवल इंतजार करते मरीज मिले
जिले में लोगों को चिकित्सा सुविधा को लेकर विभाग कितना सजग है। इसका बड़ा उदाहरण बागोड़ा अस्पताल के औचक निरीक्षण से अच्छा दूसरा नहीं हो सकता। यहां पर राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा संयुक्त रूप से स्वास्थ्य केन्द्र का आकस्मिक निरीक्षण किया गया। जिसमें भारी लापरवाही सामने आई। चिकित्सक लम्बे से प्रतिनियुक्ति पर था, लेकिन नर्सिंगकर्मी जो अस्पताल संभालते है वो भी वहां से नदारद था। टीम अस्पताल में पहुंची तब अस्पताल परिसर में नारींगकर्मियों का इंतजार करते मरीज मिले। टीम के अचानक निरीक्षण करने की जानकारी के बाद नर्सिंगकर्मी मौके पर पहुंचे।


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