जालोर. जिले में चिकित्सा सुविधा कितनी बदहाल है. इसका एक नमूना औचक निरीक्षण में सामने आया है. इस संबंध में जिला सेशन जज ने बकायदा प्रेस नोट जारी करके खुलासा किया, जिसके बाद बावजूद भी चिकित्सा विभाग के अधिकारी मौन धारण किए हुए हैं. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि जिले के चिकित्सा सुविधा बदहाल होने के बाद भी प्रशासन कुंभकर्ण की नींद में क्यों सो रहा है.
दरअसल, पूरा मामला जिले के बागोड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का है. यहां गुरुवार देर शाम अपर जिला जज अस्पताल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे. अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव नरेन्द्र सिंह और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पवन कुमार काला अचानक बागोड़ा के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे तो उन्हें भारी अनियमितताएं देखने को मिली. निरीक्षण में सामने आया कि अस्पताल में लगे चिकित्सक लम्बे समय से प्रतिनियुक्ति पर चल रहे हैं और अस्पताल केवल नर्सिंगकर्मी संभालते है. अस्पताल में चिकित्सक की जगह बिना प्रशिक्षित नर्सिंगकर्मी के द्वारा ही महिलाओं के डिलीवरी तक करवाने की जानकारी मिली.
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वहीं, निशुल्क दवाईयों की बात की जाए तो वो चूहों के द्वारा कुतरी हुई मिली. इसके अलावा अस्पताल परिसर में गंदगी का आलम दिखाई दिया. इलाज के लिए आने वाले मरीजों का समय पर इलाज नहीं करने की शिकायत मिली. साथ ही लेबर रूम में गंदगी का आलम इतना था कि वहां पर 5 मिनट तक खड़ा रहना भी मुश्किल था. ऐसे में प्रेस नोट जारी कर अचानक निरीक्षण करने की जानकारी गई. इसके बाद ईटीवी भारत ने जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी गजेंद्र सिंह देवल से बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.