पोकरण (जैसलमेर). जिले में आए दिन धमाके की आवाज गूंजने वाली पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में आए दिन होने वाले हादसों का दौर अभी तक थमा नहीं है. हालांकि भादरिया के पास हुए हादसे में एक बार फिर जिम्मेदारों की चिंता बढ़ा दी है. बता दें कि पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में आए दिन ऐसे हादसों की बानगी देखने को मिल रही है. हालांकि सरकार व रक्षा विभाग की ओर से पूरी रेंज को सील किया गया है, लेकिन आमजन अज्ञानतावश अपनी जान गवा रहे हैं.
इसके साथ ही आए दिन फील्ड फायरिंग रेंज में होने वाले हादसों में लोगों की जान जा रही है. दूसरी तरफ लोग जागरूक होने की बजाय अज्ञानता व लापरवाही के कारण अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं. गौरतलब है कि पोकरण कस्बे से जैसलमेर जाने वाले मार्ग के उत्तर दिशा में पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज स्थित हैं. सैकड़ों किमी लंबी भू-भाग में फैले रेंज क्षेत्र में आम व्यक्ति का आवागमन पूरी तरह से प्रतिबंधित है.
यदि कोई व्यक्ति पकड़ा जाता है तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है. रेंज में एक तरफ पोकरण जैसलमेर रोड तो दूसरी तरफ रामदेवरा नाचना रोड लगती है. बीच में कई पुराने रास्ते हैं जो वर्षों पूर्व लोगों के आवागमन में काम आते थे. रेंज की स्थापना के बाद इन रास्तों पर भी आवागमन प्रतिबंधित कर दिया गया है, लेकिन आज भी लोग इन्हीं मार्गों से चोरी छिपे आवागमन करते हैं. इसी प्रकार रेंज में कई जगह ऐसी है जो गांव से बिल्कुल लगती हुई है. ऐसे में पशु पालन अपने पशुओं को यहां चराने के लिए लेकर आते हैं.
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इसी दौरान यहां पड़े बमों से कई बार हादसे हो जाते हैं और लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. 1998 में सिलसिलेवार परमाणु परीक्षण के बाद सुर्खियों में आए पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज भारत के बड़े रेज क्षेत्र में से एक है. इसे चार भागों में बांटा गया है और खेतोलाई दलिया लाठी के पास स्थित रेंज क्षेत्र में थल सेना और चानन क्षेत्र के पास स्थित रैन क्षेत्र में वायु सेना के युद्ध अभ्यास होते हैं.
यहां वर्ष भर युद्ध व्यास चलता रहता है. विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में देश के कई हिस्सों से बटालियने यहां आती है और युद्ध अभ्यास किया जाता है. कई नई तोप बंदूक गोलों के साथ अन्य हथियारों का परीक्षण भी यहां पर होता है. कई बार तो बंदूक से निकली गोली या रेत में धंस जाती है और जिंदा ही रह जाती है. जैसलमेर जिला रेगिस्तानी क्षेत्र होने के कारण यहां वर्ष भर आंधियों का दौर चलता रहता है. चारों तरफ प्रेत का समुद्र होने के कारण बम व गोलियां गिरने के बाद आंधी से उन पर रेत की चादर चढ़ जाती है. जिसके कारण स्क्रैप के ठेकेदार को नजर नहीं आते और जिंदा बम भी इस स्क्रैप में जाने के से बच जाते हैं.