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जैसलमेरः सोनार दुर्ग के लक्ष्मीनाथ मंदिर में फागोत्सव की धूम - जैसलमेर सोनार दुर्ग के लक्ष्मीनाथ मंदिर

जैसलमेर के सोनार दुर्ग स्थित नगर आराध्या लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर में होलकाष्टमी से ही होली की धूम दिखाई देना शुरू हो गई है. बता दें कि जैसलमेर में होलकाष्टमी लगने के साथ ही पहली होली नगर आराध्या लक्ष्मीनाथ जी के साथ खेली जाती है.

Phagotsav celebrated in Lakshminath temple, लक्ष्मीनाथ मंदिर में फागोत्सव की धूम
लक्ष्मीनाथ मंदिर में फागोत्सव की धूम
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Published : Mar 23, 2021, 2:02 PM IST

जैसलमेर. शहर में आज भी रियासत कालीन परंपराओं का निर्वहन सैकड़ों वर्षो बाद भी हो रहा है और यहां के बाशिंदे अपनी संस्कृति को जीवंत रखे हुए हैं. कुछ ऐसा ही नजारा इन दिनों देखने को मिल रहा है. जहां सोनार दुर्ग स्थित नगर आराध्या लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर में होलकाष्टमी से ही होली की धूम दिखाई देना शुरू हो गई है.

लक्ष्मीनाथ मंदिर में फागोत्सव की धूम

वहीं कई श्रद्धालुओं सहित स्थानीय निवासी और रसिया होली में हिस्सा लेने के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं. अष्टमी से शुरू हुआ फागोत्सव होली के दिन तक मंदिर में खेला जाएगा, दोपहर में शहर भर के होली के रसिया मंदिर में एकत्रित होकर भगवान के साथ फाग खेलकर होली का लुफ्त उठाएंगे.

पढ़ें- RLP सांसद बेनीवाल पर हमले का मामलाः राजस्थान के दो अफसर आज संसद की विशेषाधिकार समिति के समक्ष होंगे पेश

जैसलमेर में होलकाष्टमी लगने के साथ ही पहली होली नगर आराध्या लक्ष्मीनाथ जी के साथ खेली जाती है. यहां मान्यता है कि भगवान लक्ष्मीनाथ स्वयं भक्तों के साथ होली खेलते हैं. होली के रसिया की ओर से अष्टमी में लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर पहुंचकर परंपरागत रूप से होली की शुरुआत की जाती है, इसके बाद धूलंडी तक मंदिर में होली की धूम रहती है.

हिन्दू कलेंडर के अनुसार एकादशमी के दिन राज परिवार के सदस्यों की ओर से भगवान के साथ होली खेलने की परंपरा है, इसके बाद मंदिर में फाग खेलने के बाद यहां से परंपरागत गैरे निकलती है और गैर सबसे पहले एक साथ राज परिवार के यहां जाती हैं और महारावल के साथ होली खेलते हैं.

जैसलमेर में कोई भी त्यौहार हो, उसकी शुरुआत नगर आराध्या लक्ष्मीनाथ जी मंदिर से होती है और यह परंपरा रियासत काल से चली आ रही है और आज भी स्थानीय निवासी इसी परंपरा को जीवित रखे हुए हैं. जैसलमेर की होली देशभर में प्रसिद्ध है और इसका एक मुख्य कारण यह है कि होली में आमजन और राज परिवार सदस्य एक साथ मिलकर होली का त्योहार उत्साह के साथ मनाते हैं, जो पम्परा सैंकड़ों वर्षों से चली आ रही है.

पढ़ें- Kishan Singh Drug: बिजनेसमैन बनने का सपना लेकर पहुंचा था लंदन, ऐसे बन बैठा अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स तस्कर

मरू प्रदेश के लोग जीवन में अलग-अलग त्योहारों और प्रमुख में गीतों का विशेष महत्व है, ऐसे में होली के पर्व पर भी यहां के लोग अपने कठोर जीवन को सरल बना कर फाग के गीतों में रम जाते हैं और आनंदित हो जाते है.

जैसलमेर. शहर में आज भी रियासत कालीन परंपराओं का निर्वहन सैकड़ों वर्षो बाद भी हो रहा है और यहां के बाशिंदे अपनी संस्कृति को जीवंत रखे हुए हैं. कुछ ऐसा ही नजारा इन दिनों देखने को मिल रहा है. जहां सोनार दुर्ग स्थित नगर आराध्या लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर में होलकाष्टमी से ही होली की धूम दिखाई देना शुरू हो गई है.

लक्ष्मीनाथ मंदिर में फागोत्सव की धूम

वहीं कई श्रद्धालुओं सहित स्थानीय निवासी और रसिया होली में हिस्सा लेने के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं. अष्टमी से शुरू हुआ फागोत्सव होली के दिन तक मंदिर में खेला जाएगा, दोपहर में शहर भर के होली के रसिया मंदिर में एकत्रित होकर भगवान के साथ फाग खेलकर होली का लुफ्त उठाएंगे.

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जैसलमेर में होलकाष्टमी लगने के साथ ही पहली होली नगर आराध्या लक्ष्मीनाथ जी के साथ खेली जाती है. यहां मान्यता है कि भगवान लक्ष्मीनाथ स्वयं भक्तों के साथ होली खेलते हैं. होली के रसिया की ओर से अष्टमी में लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर पहुंचकर परंपरागत रूप से होली की शुरुआत की जाती है, इसके बाद धूलंडी तक मंदिर में होली की धूम रहती है.

हिन्दू कलेंडर के अनुसार एकादशमी के दिन राज परिवार के सदस्यों की ओर से भगवान के साथ होली खेलने की परंपरा है, इसके बाद मंदिर में फाग खेलने के बाद यहां से परंपरागत गैरे निकलती है और गैर सबसे पहले एक साथ राज परिवार के यहां जाती हैं और महारावल के साथ होली खेलते हैं.

जैसलमेर में कोई भी त्यौहार हो, उसकी शुरुआत नगर आराध्या लक्ष्मीनाथ जी मंदिर से होती है और यह परंपरा रियासत काल से चली आ रही है और आज भी स्थानीय निवासी इसी परंपरा को जीवित रखे हुए हैं. जैसलमेर की होली देशभर में प्रसिद्ध है और इसका एक मुख्य कारण यह है कि होली में आमजन और राज परिवार सदस्य एक साथ मिलकर होली का त्योहार उत्साह के साथ मनाते हैं, जो पम्परा सैंकड़ों वर्षों से चली आ रही है.

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मरू प्रदेश के लोग जीवन में अलग-अलग त्योहारों और प्रमुख में गीतों का विशेष महत्व है, ऐसे में होली के पर्व पर भी यहां के लोग अपने कठोर जीवन को सरल बना कर फाग के गीतों में रम जाते हैं और आनंदित हो जाते है.

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