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जैसलमेरः क्वॉरेंटाइन प्रवासी मजदूर खुद ही स्कूलों की कर रहे साफ-सफाई - Rajasthan news

जैसलमेर में फंसे प्रवासी श्रमिकों को उच्च प्राथमिक विद्यालय रिदवा में रखा गया है. जो खाली समय में स्कूल की साफ-सफाई, वाटिका की देखभाल और अन्य काम कर रहे हैं.

ईटीवी भारत,  Jaisalmer news
प्रवासी श्रमिक कर रहे स्कूल की देखभाल
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Published : Apr 27, 2020, 3:28 PM IST

जैसलमेर. जिले के उच्च प्राथमिक विद्यालय रिदवा में इन दिनों पंजाब के 38 प्रवासी श्रमिक रह रहे हैं. जिनके लिए स्कूल के प्रधानाध्यापक दीनाराम के द्वारा जिला प्रशासन और आमजन के सहयोग से आवास, भोजन और मनोरंजन के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जा रही है. इस दौरान प्रधानाध्यापक द्वारा सभी प्रवासी श्रमिकों को जहां सुबह योग करवाया जाता है. वही दिन में कैरम बोर्ड सहित अन्य खेल कोविड-19 संबंधित सरकारी दिशा-निर्देशों की पालना करते हुए खेलाए जाते हैं.

प्रवासी श्रमिक कर रहे स्कूल की देखभाल

पढ़ेंः जैसलमेरः पोकरण में कोरोना का एक और मरीज बढ़ा, 30 लोग हुए NEGATIVE

वहीं प्रवासी श्रमिकों का कहना है कि जब उन्होंने देखा की स्कूल के प्रधानाध्यापक दिनाराम उनकी सभी व्यवस्थाओं को देखने के बाद खाली समय में स्कूल की साफ-सफाई, वाटिका की देखभाल और अन्य काम करते हैं, तो प्रवासी श्रमिकों द्वारा श्रमदान करने का फैसला लिया गया. उनका कहना है कि लॉकडाउन में जिला प्रशासन, स्कूल प्रशासन और अन्य आमजन के द्वारा उनका इतना ख्याल रखा जा रहा है, तो उन्हें उनका भी फर्ज है कि वे स्कूल और स्थानीय निवासियों के लिए कुछ करें. इसी के मद्देनजर वे स्कूल में श्रमदान कर रहे हैं.

जैसलमेर. जिले के उच्च प्राथमिक विद्यालय रिदवा में इन दिनों पंजाब के 38 प्रवासी श्रमिक रह रहे हैं. जिनके लिए स्कूल के प्रधानाध्यापक दीनाराम के द्वारा जिला प्रशासन और आमजन के सहयोग से आवास, भोजन और मनोरंजन के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जा रही है. इस दौरान प्रधानाध्यापक द्वारा सभी प्रवासी श्रमिकों को जहां सुबह योग करवाया जाता है. वही दिन में कैरम बोर्ड सहित अन्य खेल कोविड-19 संबंधित सरकारी दिशा-निर्देशों की पालना करते हुए खेलाए जाते हैं.

प्रवासी श्रमिक कर रहे स्कूल की देखभाल

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वहीं प्रवासी श्रमिकों का कहना है कि जब उन्होंने देखा की स्कूल के प्रधानाध्यापक दिनाराम उनकी सभी व्यवस्थाओं को देखने के बाद खाली समय में स्कूल की साफ-सफाई, वाटिका की देखभाल और अन्य काम करते हैं, तो प्रवासी श्रमिकों द्वारा श्रमदान करने का फैसला लिया गया. उनका कहना है कि लॉकडाउन में जिला प्रशासन, स्कूल प्रशासन और अन्य आमजन के द्वारा उनका इतना ख्याल रखा जा रहा है, तो उन्हें उनका भी फर्ज है कि वे स्कूल और स्थानीय निवासियों के लिए कुछ करें. इसी के मद्देनजर वे स्कूल में श्रमदान कर रहे हैं.

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