जैसलमेर. प्रदेशभर में इन दिनाें कोरोना की वैक्सीन की कमी को लेकर चर्चाएं तेज है. इसी बीच जैसलमेर जिले में सरकार की ओर से जितनी वैक्सीन उपलब्ध करवाई जा रही है, उसमें से एक भी डोज बर्बाद नहीं किया गया है. राजस्थान के कई जिलों में 40 फीसदी वैक्सीन खराब हो गई, लेकिन जैसलमेर एकमात्र ऐसा जिला है जहां एक भी डोज खराब नहीं हुई.
जैसलमेर में चिकित्सा विभाग ने 10 फीसदी छीजत को भी खराब नहीं करते हुए आमजन के टीके लगा दिए. ऐसे में जैसलमेर जिले में वैक्सीन खराबा माइनस 10.24 है. प्रदेश में कुछ जिलों में वैक्सीन के उपयोग में लापरवाही बरती गई है. प्रदेश में अब तक करीब 7 फीसदी यानी करीब 11.5 लाख डोज खराब हो चुके हैं. हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिकतम खराबे की सीमा 10 फीसदी मानी है. कोविड-19 वैक्सीनेशन डोज के उपयोग में चूरू जिले में सर्वाधिक 39.7 फीसदी वैक्सीन खराब हुई है.
प्रदेश के अन्य जिलों में एक गांव से दूसरे गांव के बीच कम दूरियां है, लेकिन जैसलमेर में आबादी घनत्व कम होने के साथ साथ दूरियां सबसे ज्यादा है. जिससे जैसलमेर में कोरोना वैक्सीन के खराब होने की सबसे ज्यादा उम्मीद थी, लेकिन इसके विपरीत जैसलमेर में एक भी डोज को खराब होने नहीं दिया गया है.
10 हजार से ज्यादा लोगों को लगाया टीका
जैसलमेर में अब तक 18 से 44 वर्ष तक के वैक्सीनेशन में 10 हजार से ज्यादा लोगों को कोरोना वैक्सीन का पहला डोज लगाया जा चुका है. जिसमें सरकार के हिसाब से 9 हजार डोज का उपयोग हो चुका है, लेकिन जैसलमेर में छीजत को पूरी तरह से रोकते हुए 10 हजार टीके लगा दिए गए हैं.
4 घंटे में लगाए गए 11 डोज
एक वॉयल में 11 डोज होती है, जिसमें से सरकार की ओर से 1 डोज को छीजत या खराब होना माना गया है. जिसके चलते एक वॉयल में 10 डोज की ही गिनती होती है. ऐसे में जैसलमेर में उस छीजत माने जाने वाले डोज को भी खराब नहीं करते हुए उसका उपयोग लिया है. इसके साथ ही एक डोज खोलने के बाद अधिकतम 4 घंटे में उपयोग कर ली जानी चाहिए. जैसलमेर में गांव और ढाणियों के बीच दूरी ज्यादा होने के चलते व्यवस्थित रूप से डोज खोले गएय इसके साथ ही चार घंटे में सभी 11 को डोज लगा दिए गए, जिससे एक भी डोज और वॉयल खराब नहीं हुई.