जैसलमेर. प्रदेश में चल रहे सियासी उठापटक की धुरी इन दिनों बसपा के 6 विधायकों पर केंद्रित है, जिनका बसपा से कांग्रेस में विलय किया गया था. हाल ही में विलयीकरण को लेकर हाईकोर्ट की एकलपीठ द्वारा सभी विधायकों को नोटिस तामील किए गए थे. इस संबंध में शनिवार को उदयपुरवाटी विधानसभा के विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा से ईटीवी भारत ने विशेष बातचीत की.
इस दौरान गुढ़ा ने कहा कि नोटिस सामान्य प्रक्रिया है, जिसका 11 तारीख तक उनके वकीलों द्वारा द्वारा न्यायालय में जवाब पेश कर दिया जाएगा. विधायक गुढ़ा ने कहा कि कहीं भी कोई समस्या नहीं है, यह पिटीशन केवल इसलिए है कि विलय सही तरीके से हुआ है या नहीं. यदि न्यायालय इसे सही माना जाएगा तो वह कांग्रेस विधायक रहेंगे और यदि नहीं तो बसपा के विधायक रहेंगे. लेकिन वह विधायक तो रहेंगे और विधानसभा में मताधिकार का भी प्रयोग करेंगे और उनका मत अशोक गहलोत के पक्ष में ही होगा.
विधायक राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा के समाचार अब समाप्त हो गए हैं. उनके 72 वोट भी उनके पक्ष में पड़ जाए तो मेरा नाम बदल के रख देना. वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया पर कड़े शब्दों में वार करते हुए राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि उनको पहली बार जीत नसीब हुई है, इससे पहले विश्वविद्यालय चुनावों से लेकर सभी चुनाव हारे हैं. लेकिन आरएसएस और अन्य कारणों से उनको प्रदेशाध्यक्ष बना दिया गया है. उनकी राजनीति की कुछ खास समझ नहीं है.
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विधायक गुढ़ा ने केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह कोरोना पॉजिटिव होते हुए भी अपने लोकसभा क्षेत्र में दौरे कर रहे थे और यहां पर अपनी ही जनता में कोरोना बांट रहे थे. साथ ही विधायक ने विधानसभा सत्र में बहुमत साबित करने को लेकर कहा कि जादूगर का जादू चलेगा नहीं उड़ेगा और 200 प्रतिशत कांग्रेस की वर्तमान गहलोत सरकार की जीत होगी. उसके बाद भाजपा के लोगों का विधानसभा से अपने घर तक भी जाना मुश्किल हो जाएगा.