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गोडावण संरक्षण को लेकर मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट और WII की विशेष टीम पहुंची जैसलमेर, गोडावण विचरण क्षेत्र का लिया जायजा - गोडावण विचरण क्षेत्र

गोडावण संरक्षण को लेकर मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट और वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की विशेष टीम जैसलमेर पहुंची. इस दौरान एक महत्वपूर्ण बैठक भी आयोजित हुई.

Jaisalmer news, Ministry of Environment
गोडावण संरक्षण को लेकर मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट और WII की विशेष टीम पहुंची जैसलमेर
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Published : Feb 23, 2021, 10:30 PM IST

जैसलमेर. धरती पर तेजी से विलुप्त हो रहे शेड्यूल फर्स्ट के वन्य जीव प्राणी गोडावण (द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) को बचाने के लिए चल रहे कंजर्वेशन ब्रीडिंग प्रोग्राम को रिव्यू करने और गोडावण विचरण क्षेत्र की दोबारा से पहचान करने के साथ ही गोडावण के प्रजनन क्षेत्र से निकल रही बिजली की तारों को अंडरग्राउंड करने की संभावना का जायजा लेने के लिए केंद्र सरकार के निर्देशानुसार मिनिस्ट्री ऑफ फॉरेस्ट एनवायरनमेंट और वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की एक विशेष टीम रविवार को जैसलमेर पहुंची और 22 फरवरी सोमवार को जिले के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर गोडावण के क्षेत्र को इन समस्याओं से मुक्त करने के संबंध में संभावनाएं तलाशी.

गोडावण संरक्षण को लेकर मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट और WII की विशेष टीम पहुंची जैसलमेर

23 फरवरी मंगलवार को इस कमेटी की एक महत्वपूर्ण बैठक भी आयोजित हुई, जिसमें डेजर्ट नेशनल पार्क जैसलमेर के अधिकारी भी मौजूद रहे. साथ ही सुदासरी स्थित गोडावण कंजर्वेशन सेंटर का भी दौरा किया गया. केंद्र सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट एंड वाइल्डलाइफ के डीआईजी राकेश जगन्या के नेतृत्व में टीम में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के विशेषज्ञ वैज्ञानिक डॉ. यदुवेंद्रसिंह झाला, डॉ. सुथिरतो दत्ता, डॉ. कमर कुरैशी सहित केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के अधिकारी और राजस्थान सरकार के वन विभाग और बिजली विभाग के अधिकारी भी शामिल है.

WII के वैज्ञानिक डॉ. झाला ने जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय हरित न्यायालय के आदेशानुसार गोडावण को बचाने के लिए यह टीम मंत्रालय द्वारा गठित की गई है. टीम द्वारा गोडावण विचरण क्षेत्र का दौरा कर हाईटेंशन वायर से टकराने से होने वाली गोडावण की मौत को रोकने के लिए क्या प्रयास करने चाहिए. साथ ही गोडावण विचरण क्षेत्र को लेकर भी सर्वे किया जाएगा.

यह भी पढ़ें- चालान से परेशान होकर ट्रक मालिक ने परिवहन आयुक्त से की मुलाकात, की राहत देने की मांग

उन्होंने बताया कि अब गोडावण विचरण क्षेत्र से गुजरने वाली पावर लाइन भूमिगत होगी ऐसे एनजीटी के आदेश है, लेकिन जो पहले से तारे निकल रही है. उन्हें भूमिगत करने के संबंध में कुछ स्पष्ट नहीं है. ऐसे में उन पर आगामी 4 माह में बर्ड डाइवर्टर लगाने के आदेश है. साथ ही उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से डेजर्ट नेशनल पार्क में गोडावणों की गणना नहीं हो पाई है, ऐसे में इस वर्ष गोडावण की गणना की जाएगी.

जैसलमेर. धरती पर तेजी से विलुप्त हो रहे शेड्यूल फर्स्ट के वन्य जीव प्राणी गोडावण (द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) को बचाने के लिए चल रहे कंजर्वेशन ब्रीडिंग प्रोग्राम को रिव्यू करने और गोडावण विचरण क्षेत्र की दोबारा से पहचान करने के साथ ही गोडावण के प्रजनन क्षेत्र से निकल रही बिजली की तारों को अंडरग्राउंड करने की संभावना का जायजा लेने के लिए केंद्र सरकार के निर्देशानुसार मिनिस्ट्री ऑफ फॉरेस्ट एनवायरनमेंट और वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की एक विशेष टीम रविवार को जैसलमेर पहुंची और 22 फरवरी सोमवार को जिले के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर गोडावण के क्षेत्र को इन समस्याओं से मुक्त करने के संबंध में संभावनाएं तलाशी.

गोडावण संरक्षण को लेकर मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट और WII की विशेष टीम पहुंची जैसलमेर

23 फरवरी मंगलवार को इस कमेटी की एक महत्वपूर्ण बैठक भी आयोजित हुई, जिसमें डेजर्ट नेशनल पार्क जैसलमेर के अधिकारी भी मौजूद रहे. साथ ही सुदासरी स्थित गोडावण कंजर्वेशन सेंटर का भी दौरा किया गया. केंद्र सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट एंड वाइल्डलाइफ के डीआईजी राकेश जगन्या के नेतृत्व में टीम में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के विशेषज्ञ वैज्ञानिक डॉ. यदुवेंद्रसिंह झाला, डॉ. सुथिरतो दत्ता, डॉ. कमर कुरैशी सहित केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के अधिकारी और राजस्थान सरकार के वन विभाग और बिजली विभाग के अधिकारी भी शामिल है.

WII के वैज्ञानिक डॉ. झाला ने जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय हरित न्यायालय के आदेशानुसार गोडावण को बचाने के लिए यह टीम मंत्रालय द्वारा गठित की गई है. टीम द्वारा गोडावण विचरण क्षेत्र का दौरा कर हाईटेंशन वायर से टकराने से होने वाली गोडावण की मौत को रोकने के लिए क्या प्रयास करने चाहिए. साथ ही गोडावण विचरण क्षेत्र को लेकर भी सर्वे किया जाएगा.

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उन्होंने बताया कि अब गोडावण विचरण क्षेत्र से गुजरने वाली पावर लाइन भूमिगत होगी ऐसे एनजीटी के आदेश है, लेकिन जो पहले से तारे निकल रही है. उन्हें भूमिगत करने के संबंध में कुछ स्पष्ट नहीं है. ऐसे में उन पर आगामी 4 माह में बर्ड डाइवर्टर लगाने के आदेश है. साथ ही उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से डेजर्ट नेशनल पार्क में गोडावणों की गणना नहीं हो पाई है, ऐसे में इस वर्ष गोडावण की गणना की जाएगी.

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