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गौशालाओं के नाम फर्जीवाड़े का बड़ा खेल उजागर, एक भी गाय नहीं, लेकिन उठा रहे अनुदान राशि - फर्जीवाड़े का बड़ा खेल उजागर

जिले में गोवंश के नाम पर कई गौशालाओं के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. जिसमें सालाना करोड़ों रुपए का अनुदान राज्य सरकार और केंद्र सरकार की योजनाओं के माध्यम से उठाया गया, लेकिन धरातल पर गोवंश के लिए कोई भी व्यवस्था दिखाई नहीं दे रही है. ऐसे में गोवंश संरक्षण के नाम पर संचालित गौशालाओं में बड़ा घपला सामने आया है.

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गौशालाओं के नाम फर्जीवाड़े का बड़ा खेल उजागर...
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Published : Mar 21, 2021, 10:30 AM IST

जैसलमेर. जिले में गोवंश के नाम पर कई गौशालाओं के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. जिसमें सालाना करोड़ों रुपए का अनुदान राज्य सरकार और केंद्र सरकार की योजनाओं के माध्यम से उठाया गया, लेकिन धरातल पर गोवंश के लिए कोई भी व्यवस्था दिखाई नहीं दे रही है. ऐसे में गोवंश संरक्षण के नाम पर संचालित गौशालाओं में बड़ा घपला सामने आया है.

गौशालाओं के नाम फर्जीवाड़े का बड़ा खेल उजागर...

पशुपालन विभाग की टीम के निरीक्षण में गौशालाओं के संचालकों की पोल खुलकर सामने आ गई. हाल ही में 25 गौशालाओं का भौतिक सत्यापन किया गया, तो इस दौरान 12 गौशालाओं में एक भी गाय नहीं मिली. बावजूद इसके गौशालाओं के संचालक हर साल अनुदान राशि उठा रहे थे, साथ ही इनमें 6 गौशालाएं ऐसी भी है. जिन्होंने पिछले वर्ष का लगभग 62 लाख रुपए का भुगतान भी उठा लिया. हाल ही में विभागीय टीम की ओर से जैसलमेर नोडल की 25 गौशालाओं का आकस्मिक निरीक्षण किया गया. इस दौरान सिर्फ 4 गौशाला में ही भवन पाया गया. इसके साथ ही, पशुधन के लिए 20 ऐसी गौशालाएं हैं, जिसमें छाया की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. जबकि, सरकार की ओर से प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपए का भुगतान किया जाता है. इसके साथ ही 9 ऐसी गौशालाएं भी सामने आई, जिसमें पिछले साल की तुलना में इस साल गोवंश की संख्या कम पाई गई.

पढ़ें: पाकिस्तान ने घुसपैठिए का शव लेने से किया इनकार

गौरतलब है कि जैसलमेर जिले में गोवंश संरक्षण के लिए सैंकड़ो गौशालाओं का संचालन हो रहा है. संचालकों ने कागजों में गायों को दर्शाते हुए लाखों रुपए का फर्जी तरीके से अनुदान उठा भी लिया. ऐसे में हर वर्ष विभाग की टीमों से जो भौतिक सत्यापन करवाया जाता है, उस पर भी सवाल उठ रहे हैं. इस वर्ष अनुदान के लिए जैसलमेर की कुल 143 गौशालाओं में से 76 के आवेदन प्राप्त हुए थे. जिसके बाद पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक के निर्देशों के बाद आकस्मिक भौतिक सत्यापन किया गया. जैसलमेर ब्लॉक की 25 गौशालाओं का निरीक्षण किया गया, तो वास्तविक स्थिति सामने आ गई है. ऐसे में सवाल उठ रहे है कि विभाग की ओर से अब तक गौशाला संचालकों को जो लाखों रुपये का अनुदान दिया गया है, वो किस तर्ज पर किया गया है.

जैसलमेर. जिले में गोवंश के नाम पर कई गौशालाओं के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. जिसमें सालाना करोड़ों रुपए का अनुदान राज्य सरकार और केंद्र सरकार की योजनाओं के माध्यम से उठाया गया, लेकिन धरातल पर गोवंश के लिए कोई भी व्यवस्था दिखाई नहीं दे रही है. ऐसे में गोवंश संरक्षण के नाम पर संचालित गौशालाओं में बड़ा घपला सामने आया है.

गौशालाओं के नाम फर्जीवाड़े का बड़ा खेल उजागर...

पशुपालन विभाग की टीम के निरीक्षण में गौशालाओं के संचालकों की पोल खुलकर सामने आ गई. हाल ही में 25 गौशालाओं का भौतिक सत्यापन किया गया, तो इस दौरान 12 गौशालाओं में एक भी गाय नहीं मिली. बावजूद इसके गौशालाओं के संचालक हर साल अनुदान राशि उठा रहे थे, साथ ही इनमें 6 गौशालाएं ऐसी भी है. जिन्होंने पिछले वर्ष का लगभग 62 लाख रुपए का भुगतान भी उठा लिया. हाल ही में विभागीय टीम की ओर से जैसलमेर नोडल की 25 गौशालाओं का आकस्मिक निरीक्षण किया गया. इस दौरान सिर्फ 4 गौशाला में ही भवन पाया गया. इसके साथ ही, पशुधन के लिए 20 ऐसी गौशालाएं हैं, जिसमें छाया की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. जबकि, सरकार की ओर से प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपए का भुगतान किया जाता है. इसके साथ ही 9 ऐसी गौशालाएं भी सामने आई, जिसमें पिछले साल की तुलना में इस साल गोवंश की संख्या कम पाई गई.

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गौरतलब है कि जैसलमेर जिले में गोवंश संरक्षण के लिए सैंकड़ो गौशालाओं का संचालन हो रहा है. संचालकों ने कागजों में गायों को दर्शाते हुए लाखों रुपए का फर्जी तरीके से अनुदान उठा भी लिया. ऐसे में हर वर्ष विभाग की टीमों से जो भौतिक सत्यापन करवाया जाता है, उस पर भी सवाल उठ रहे हैं. इस वर्ष अनुदान के लिए जैसलमेर की कुल 143 गौशालाओं में से 76 के आवेदन प्राप्त हुए थे. जिसके बाद पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक के निर्देशों के बाद आकस्मिक भौतिक सत्यापन किया गया. जैसलमेर ब्लॉक की 25 गौशालाओं का निरीक्षण किया गया, तो वास्तविक स्थिति सामने आ गई है. ऐसे में सवाल उठ रहे है कि विभाग की ओर से अब तक गौशाला संचालकों को जो लाखों रुपये का अनुदान दिया गया है, वो किस तर्ज पर किया गया है.

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