जैसलमेर. भारत-पाक सीमा पर स्थित जैसलमेर जिला एक बार फिर भारतीय सैन्य शस्त्र परीक्षण का साक्षी बना है. जैसलमेर जिले की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में गुरुवार को डीआरडीओ की ओर से विकसित और भारत डायनामिक्स लिमिटेड की तरफ से निर्मित एंटी टैंक मिसाइल 'नाग' के एडवांस वर्जन का सफल परीक्षण हुआ.
जानकारी के अनुसार पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में गुरुवार अल सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर डीआरडीओं और सेना के अधिकारियों के निर्देशन में नाग मिसाइल के एडवांस वर्जन द्वारा फायर किया गया, जिसने दुश्मन के काल्पनिक ठिकाने को एक ही वार में नेस्तनाबूत कर दिया. भारत में निर्मित इस मिसाइल के सफल परीक्षण के दौरान डीआरडीओ और सेना के अधिकारी मौजूद रहे. जैसलमेर के इस थार रेगिस्तान में इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने. परीक्षण के दौरान यह मिसाइल सेना की ओर से तय मापदंडों पर एकदम खरी उतरी.
क्या है नाग मिसाइल...
नाग मिसाइल 42 किलो वजनी व 6 फीट 3 इंच लंबी मिसाइल है, जो जमीन से जमीन पर 5 किलोमीटर तक मार कर सकती है. ये मिसाइल 3 से 7 किलोमीटर दूर दुश्मन को 230 मीटर प्रति सेकंड की गति से पहुंच कर पल भर में तबाह कर देती है. इस मिसाइल द्वारा लक्ष्य को इतनी सटीकता से भेदा जाता है कि इसकी इस खूबी के कारण इसे फायर एंड फॉरगेट कहा जाता है.
युद्ध क्षेत्र में ऐसे होता है नाग से हमला...
युद्ध क्षेत्र में दुश्मनों के टैंक को देखने के बाद उन्हें तबाह करने के लिए नाग दागी जाती है, इसीलिए इसकी रेंज कम रखी गयी है. टैंक की ऊपरी सतह उसके अन्य हिस्सों की अपेक्षा कमजोर होती है. ऐसे में यह ऊपर से हमला बोल टैंक की ऊपरी सतह में होल कर उसके अंदर जाकर विस्फोट करती है. नाग मिसाइल किसी भी टैंक को ध्वस्त करने में सक्षम मानी जाती है.
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नाग मिसाइल की खासियत यह है कि यह उड़ान भरने के बाद ऑपरेटर के पास पूरे क्षेत्र के फोटो भी भेजती है. इससे उस क्षेत्र में मौजूद दुश्मन के टैंकों की सटीक संख्या पता चल जाती है. जिसके आधार पर अन्य मिसाइल दाग कर उन्हें नष्ट किया जा सकता है. सतह से सतह पर मार करने वाली नाग मिसाइल का एक हवा से जमीन पर मार करने वाला हेलिना वर्जन भी है. इसे हेलिकॉप्टर से दागा जाता है. हेलिना की रेंज 10 किलोमीटर है.