जैसलमेर. पाकिस्तान के रास्ते लगातार आ रहे टिड्डी दल ने पिछले एक साल से जैसलमेर जिले के किसानों का जीना मुहाल कर दिया है. पिछले साल जून के महीने से टिड्डियों का आना शुरू हुआ था. जिसमें यहां के किसानों की खरीफ की फसलों को काफी नुकसान हुआ था. इसके बाद कुछ समय की शांति के बाद वापस रबी की फसलों पर टिड्डियों ने हमला बोल दिया था. जिससे इलाके में जीरे, ईसब, गेहूं, सरसों और चने की फसलों को बड़ा नुकसान हुआ था.
हालांकि उस समय जिला प्रशासन ने स्थानीय किसानों के सहयोग से टिड्डियों पर प्रभावी रूप से काबू पा लिया था. लेकिन इस बार फिर अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह से जिले में टिड्डियों का आना शुरू हो गया, जो लगातार जारी है. जैसलमेर जिला कलेक्टर की मानें तो उनकी ओर से जैसलमेर जिले को राजस्थान एग्रीकल्चर पेस्ट एंड डिजीज एक्ट 1951 के तहत टिड्डी आक्रमण के खतरे वाला जिला घोषित कर दिया गया है. जिसमें प्रशासन की ओर से जिले में टिड्डी नियंत्रण के खास उपाय किए जायेंगे.
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कलेक्टर नमित मेहता ने बताया कि इस बार जैसलमेर जिले में टिड्डियां छोटे-छोटे दल में ही प्रवेश कर रही हैं. ऐसे में अबतक कोई बडे़ नुकसान नहीं हुआ है. वहीं अभी तक जिले में 4 हजार 500 हेक्टेयर क्षेत्र में स्प्रे कर टिड्डी दलों पर नियंत्रण किया गया है. उन्होंने बताया कि इस बार टिड्डी नियंत्रण विभाग की दस टीमों का गठन किया गया है, जो सीमावर्ती पोस्टों पर तैनात रहेगी. जहां से टिड्डियों का संभावित आगमन रहता है. इनमें से तीन टीमें म्याजलार, धनाना और रामगढ़ नहरी इलाके में तैनात कर दी गई हैं.
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वहीं राज्य सरकार के निर्देशन के अनुसार आगामी दिनों में अगर टिड्डियों का खतरा बढ़ता है, तो उसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. जिसमें तकरीबन 400 से अधिक ट्रैक्टर सहित स्प्रे मशीनों को चिन्हित किया जा चुका है. ताकि टिड्डियों के हमले को तत्काल रोका जा सके. वहीं पिछले साल की तुलना में लोकस्ट विभाग को अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध करवाये गये हैं. जिला कलेक्टर मेहता ने इलाके के किसानों को आश्वस्त किया है कि केन्द्र और राज्य सरकार किसानों के हित में टिड्डियों से निपटने के लिये हर संभव प्रयास कर रही है. साथ ही किसानों से भी अपील की गई है कि वे भी इस आपदा से निपटने में प्रशासन का पूरा सहयोग करें.