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World Toilet Day 2022: तब थी तारत की व्यवस्था, आज सार्वजनिक शौचालय की कमी - Rajasthan Hindi News

19 नवंबर यानी आज वर्ल्ड टॉयलेट डे (World Toilet Day 2022) मनाया जा रहा है. इस मौके पर ईटीवी भारत ने शौच की स्थिति का जायजा लिया तो राजस्थान की राजधानी जयपुर में ही शर्मसार करने वाली तस्वीरें सामने आईं. जयपुर में सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था संतोषजनक नहीं होने के कारण लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

World Toilet Day
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Published : Nov 19, 2022, 1:03 PM IST

Updated : Nov 19, 2022, 2:27 PM IST

जयपुर. प्रदेश की राजधानी जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का तमगा मिला हुआ है. इसके सौंदर्य को निहारने के लिए हर साल हजारों-लाखों देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं, लेकिन यहां के बाजारों में टॉयलेट की सुविधा उपलब्ध कराने में नाकाम प्रशासन की उदासीनता शहर की छवि पर बट्टा लगा रही है. वर्ल्ड टॉयलेट डे (World Toilet Day 2022) पर शहर में कई तरह के आयोजन किए जा रहे हैं. साथ ही लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जा रहा है. वहीं, दूसरी ओर जयपुर में सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था संतोषजनक नहीं होने के कारण लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

1727 में सवाई जयसिंह द्वितीय ने नगरीय व्यवस्था के तहत जयपुर में तारत की व्यवस्था सुनिश्चित की थी, जिसे घरेलू शौचालय कहते हैं. ये तारत सभी हवेली और घरों के एक हिस्से में हुआ करता था. वहीं जयसिंह ने ऐसी व्यवस्था कर रखी थी कि लोगों को खुले में शौच जाना ही नहीं पड़ता था, लेकिन आज जयपुर 295 साल का हो चुका है. लेकिन जनसंख्या के नजरिए से शहर में सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था संतोषजनक नहीं है. आलम यह है किशनपोल और अजमेरी गेट के पास महज एक सुलभ शौचालय है. ऐसे में छोटी चौपड़ के नजदीकी दुकानदार और ग्राहकों को शौचालय के लिए 1 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.

आज सार्वजनिक शौचालय की कमी

पढ़ें- जयपुर में 14 अस्थायी रैन बसेरे बनकर तैयार, व्यवस्थाओं के बारे में जानने को करें यहां क्लिक

कुछ कोतवाली थाने के पास बने सार्वजनिक शौचालय का रुख करते हैं. वो भी अमूमन गंदा ही पड़ा रहता है. वहीं महिलाओं के लिए तो ये व्यवस्था भी नहीं है. शहरवासियों का आरोप है कि सरकार शहर को स्मार्ट तो बना रही है, लेकिन सार्वजनिक शौचालय की कोई व्यवस्था ही नहीं कर रही. कुछ यही हालात चांदपोल और त्रिपोलिया बाजार के भी हैं. परकोटे के पुराने बाजार होने के चलते यहां सैकड़ों पर्यटक हर दिन पहुंचते हैं, लेकिन विरासत को निहारते वक्त जब टॉयलेट की दरकार होती है तो निराशा हाथ लगती है.

जयपुर को भले ही वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का तमगा मिला हो, लेकिन इसी हेरिटेज सिटी के बाजारों में महिलाओं के लिए टॉयलेट जैसी मूलभूत सुविधा तक का अभाव है. यहां कुछ बाजारों में गली के नुक्कड़ पर पुरुषों के लिए टॉयलेट जरूर बने हैं, लेकिन इनके हालात भी बद से बदतर हैं. इनकी कनेक्टिविटी सीवरेज से नहीं होने के चलते यूरीन सड़कों पर बहता रहता है. ऐसा नहीं कि बाजार में टॉयलेट बनाने का स्थान नहीं, लेकिन हकीकत ये है कि प्रशासन इसे लेकर गंभीर नहीं है.

शहर में लोगों को टॉयलेट के लिए शौचालय की सुविधा नहीं मिलने के कारण वो गलियों और कोनो में टॉयलेट करने लगते हैं, जिसको रोकने के लिए कई जगह 'यहां टॉयलेट करना मना है' जैसे स्लोगन लिखे हैं. परकोटे में कई नुक्कड़ और गलियों की दीवारों पर ये सूचना देखी-पढ़ी जा सकती है. बावजूद इसके कुछ लोग बाज नहीं आते. सार्वजनिक स्थानों में साफ-सफाई रखना हमारा परम कर्तव्य होना चाहिए, लेकिन लाख कोशिशों और जागरूकता फैलाने के बाद भी इस पर लगाम नहीं लग पा रही. इसके पीछे प्रशासन का लापरवाह रवैया भी जिम्मेदार है.

जयपुर. प्रदेश की राजधानी जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का तमगा मिला हुआ है. इसके सौंदर्य को निहारने के लिए हर साल हजारों-लाखों देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं, लेकिन यहां के बाजारों में टॉयलेट की सुविधा उपलब्ध कराने में नाकाम प्रशासन की उदासीनता शहर की छवि पर बट्टा लगा रही है. वर्ल्ड टॉयलेट डे (World Toilet Day 2022) पर शहर में कई तरह के आयोजन किए जा रहे हैं. साथ ही लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जा रहा है. वहीं, दूसरी ओर जयपुर में सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था संतोषजनक नहीं होने के कारण लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

1727 में सवाई जयसिंह द्वितीय ने नगरीय व्यवस्था के तहत जयपुर में तारत की व्यवस्था सुनिश्चित की थी, जिसे घरेलू शौचालय कहते हैं. ये तारत सभी हवेली और घरों के एक हिस्से में हुआ करता था. वहीं जयसिंह ने ऐसी व्यवस्था कर रखी थी कि लोगों को खुले में शौच जाना ही नहीं पड़ता था, लेकिन आज जयपुर 295 साल का हो चुका है. लेकिन जनसंख्या के नजरिए से शहर में सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था संतोषजनक नहीं है. आलम यह है किशनपोल और अजमेरी गेट के पास महज एक सुलभ शौचालय है. ऐसे में छोटी चौपड़ के नजदीकी दुकानदार और ग्राहकों को शौचालय के लिए 1 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.

आज सार्वजनिक शौचालय की कमी

पढ़ें- जयपुर में 14 अस्थायी रैन बसेरे बनकर तैयार, व्यवस्थाओं के बारे में जानने को करें यहां क्लिक

कुछ कोतवाली थाने के पास बने सार्वजनिक शौचालय का रुख करते हैं. वो भी अमूमन गंदा ही पड़ा रहता है. वहीं महिलाओं के लिए तो ये व्यवस्था भी नहीं है. शहरवासियों का आरोप है कि सरकार शहर को स्मार्ट तो बना रही है, लेकिन सार्वजनिक शौचालय की कोई व्यवस्था ही नहीं कर रही. कुछ यही हालात चांदपोल और त्रिपोलिया बाजार के भी हैं. परकोटे के पुराने बाजार होने के चलते यहां सैकड़ों पर्यटक हर दिन पहुंचते हैं, लेकिन विरासत को निहारते वक्त जब टॉयलेट की दरकार होती है तो निराशा हाथ लगती है.

जयपुर को भले ही वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का तमगा मिला हो, लेकिन इसी हेरिटेज सिटी के बाजारों में महिलाओं के लिए टॉयलेट जैसी मूलभूत सुविधा तक का अभाव है. यहां कुछ बाजारों में गली के नुक्कड़ पर पुरुषों के लिए टॉयलेट जरूर बने हैं, लेकिन इनके हालात भी बद से बदतर हैं. इनकी कनेक्टिविटी सीवरेज से नहीं होने के चलते यूरीन सड़कों पर बहता रहता है. ऐसा नहीं कि बाजार में टॉयलेट बनाने का स्थान नहीं, लेकिन हकीकत ये है कि प्रशासन इसे लेकर गंभीर नहीं है.

शहर में लोगों को टॉयलेट के लिए शौचालय की सुविधा नहीं मिलने के कारण वो गलियों और कोनो में टॉयलेट करने लगते हैं, जिसको रोकने के लिए कई जगह 'यहां टॉयलेट करना मना है' जैसे स्लोगन लिखे हैं. परकोटे में कई नुक्कड़ और गलियों की दीवारों पर ये सूचना देखी-पढ़ी जा सकती है. बावजूद इसके कुछ लोग बाज नहीं आते. सार्वजनिक स्थानों में साफ-सफाई रखना हमारा परम कर्तव्य होना चाहिए, लेकिन लाख कोशिशों और जागरूकता फैलाने के बाद भी इस पर लगाम नहीं लग पा रही. इसके पीछे प्रशासन का लापरवाह रवैया भी जिम्मेदार है.

Last Updated : Nov 19, 2022, 2:27 PM IST
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