जयपुर. 28 जुलाई को दुनियाभर में विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है. इस दिन दुनिया के मौसम और जलवायु में तेजी से हो रहे परिवर्तन को लेकर चर्चा होती है और जागरूकता के लिए आयोजन होते हैं. इस दिवस को ज्यादा गंभीरता के साथ मनाने की जरूरत है, लेकिन ऐसा लगने लगा है कि ऐसे दिवस अब केवल कागजों और आयोजनों के भीतर कैद होकर रह गए हैं.
सरकार की तरफ से इस दिवस को लेकर भले ही गंभीरता के साथ कोई खास आयोजन नहीं हो रहे हैं, लेकिन देश की युवा पीढ़ी इसको लेकर गंभीर भी है और सक्रियता के साथ सोचते हुए इस दिशा में काम भी कर रहे हैं. जयपुर के एक निजी कॉलेज में देशभर के कई कॉलेज के स्टूडेंट्स ने आधुनिकता के साथ अपने-अपने तरीके से कुछ नया कर दिखाया है. जिससे प्रकृति संरक्षण के साथ ही इस पर हो रहे नकारात्मक असर का समाधान भी है.
स्टूडेंट्स ने तैयार किए प्रोजेक्टः एक्सपर्ट विमल डागा ने बताया कि धरती को बचाने में आधुनिक संसाधनों के संरक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका है. प्राकृतिक सुंदरता में संतुलन प्रकृति के कई हिस्सों से किया जा सकता है. इन संसाधनों का उपयोग मनुष्यों के साथ-साथ बाकी जीवों के लिए भी महत्व है. सिंगल यूज प्लास्टिक न केवल हमारे देश के पर्यावरण को खराब कर रही है, बल्कि विश्व स्तर पर भी हमारी प्रकृति को नुकसान पहुंचा रही है. उन्होंने कहा कि साउंड पॉल्यूशन जो दिखाई नहीं देता, लेकिन अनचाही बीमारियों के साथ वन्य जीवों को नुकसान देता है. इसी तरह से कोयले, गैस और तेल जैसे जीवाश्म ईंधन को जलाने से निकलने वाली ऊष्मा धरती को ज्यादा गर्म और खतरनाक बना रही है. जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है. इन तरह के बिगड़े संतुलन को आधुनिक संसाधनों के साथ कैसे बचाया जाए. इसको लेकर देश के अलग-अलग कॉलेज के स्टूडेंट्स ने अपने अपने प्रोजेक्ट्स तैयार किए है. जो टेक्नोलॉजी के साथ प्रकृति को हो रहे नुकसान की समस्या का समाधान निकल रहे हैं.
'ध्वनि' रोकेगा ध्वनि प्रदूषणः 'टीम ध्वनि' के सदस्य दिव्यांशु ने बताया कि मौजूदा दौर में कुछ पॉल्यूशन ऐसे हैं जो हमारी प्रकृति को अनचाहे तरीके से नुकसान पहुंचा रहे हैं. ऐसे ही प्रदूषण में से एक है ध्वनि प्रदूषण, जो भले ही दिखाई नहीं देता है लेकिन उसके साउंड से नेचर पर असर पड़ता है. ध्वनि प्रदूषण सबसे ज्यादा मेंटल हेल्थ इश्यूज को क्रिएट करता है, लेकिन इसके पीछे का कारण जानने की किसी ने कोशिश नहीं की. उन्होंने ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए 'ध्वनि' डिवाइस तैयार की है. जिसे दुपहिया और उससे बड़ी गाड़ियों में लगाया जा सकता है. यह डिवाइस नॉइज पॉल्यूशन को कम करने के साथ-साथ लोगों में जागरूकता भी बढ़ाता है.
दिव्यांशु ने बताया कि वह सरकार के साथ मिलकर इस डिवाइस के माध्यम से एक पॉलिसी लाना चाहते हैं, ताकि कानूनन रूप से इसका उपयोग लिया जा सके. उनका दवा है कि इस डिवाइस के जरिए एनवायरनमेंट को सुरक्षित कर सकते हैं. इससे यह पता लगता है कि आबादी वाले क्षेत्र में बिना वजह हॉर्न नहीं बजना चाहिए. गाड़ियों में 'ध्वनि' को इंस्टॉल करने के बाद वह हमारे सर में लाइव डाटा फीड करेगा. उससे जहां पर भी वह तय मानक से ज्यादा नॉइज पॉल्यूशन क्रिएट करता है तो हम उसको एक अलर्ट जारी करके चेतावनी दे सकते हैं कि आप लिमिट कायम रखें. साथ ही सोसाइटी में नॉइज पॉल्यूशन को कम करने में सहायता करें. फिर भी वो नहीं मानता है तो अगला मैसेज चालान के रूप में जाएगा.
केमिकल कर रहा खेती खराबः किसानों के लिए डिवाइस डेवलप करने वाले प्रतीक बताते हैं कि मौजूदा वक्त में किसान ज्यादा से ज्यादा उपज लेने के लिए अपने खेतों में यूरिया और अन्य केमिकल पदार्थों का इस्तेमाल करता है. इससे कुछ वक्त के लिए फसल की उपज अच्छी हो जाती है, लेकिन धीरे-धीरे जमीन और फसल को नुकसान होना शुरू हो जाता है. इन केमिकल पदार्थों की वजह से खेतों से निकलने वाला प्रदूषण भी एनवायरमेंट को खराब कर रहा है. इसी को देखते एक सॉफ्टवेयर डवलप किया है, जो किसानों को यह बताता है कि किस तरीके से उन्हें उनकी खेती में इन केमिकल पदार्थों का इस्तेमाल नहीं करना है. उन्हें जागरूक करता है कि इससे क्या नुकसान और क्या फायदे हैं. इस सॉफ्टवेयर में वीडियो का ऑप्शन भी दिया हुआ है, जिसमें किसान अपनी भाषा में देखकर समझ सकता है. इसी तरह से एक सॉफ्टवेयर 'भड़ास' भी डवलप किया है, जो खानपान की वजह से डिप्रेशन में आने वाले लोगों को बेहतर उपाय के बारे में जागरूक कर रहा है.
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का उद्देश्य और 2023 की थीमः विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाने का उद्देश्य उन जानवरों और पेड़ों का संरक्षण करना है, जो पृथ्वी के प्राकृतिक पर्यावरण से विलुप्त होने के कगार पर हैं. इसके साथ मनुष्य की ओर से की जा रही छोटी-छोटी गलतियों को सुधार कर प्रकृति संरक्षण करना इस दिन का उद्देश्य है. यही वजह है कि इस बार विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस 2023 की थीम भी 'वन और आजीविका: लोगों और ग्रह को कायम रखना' रखी गई है, जिससे जीवित चीजों की भलाई को बनाए रखने के लिए पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके.