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यूनिवर्सिटी और संघटक कॉलेजों के 865 कर्मचारियों ने एक साथ किया कार्य बहिष्कार, प्रशासनिक-छात्रों के काम प्रभावित - प्रशासनिक और छात्रों के काम प्रभावित

यूनिवर्सिटी और संघटक कॉलेजों के 865 कर्मचारियों ने मंगलवार को एक साथ कार्य बहिष्कार कर दिया. इससे प्रशासनिक और छात्रों के काम प्रभावित हुए. यहां जानें पूरा मामला...

Work Boycott by University and College Employees
Work Boycott by University and College Employees
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Published : Jan 17, 2023, 7:17 PM IST

865 कर्मचारियों ने एक साथ किया कार्य बहिष्कार

जयपुर. राजस्थान यूनिवर्सिटी में ठेका प्रथा बंद कर संविदा नियम 2022 में सम्मिलित करने की मांग को लेकर ठेके पर लगे 800 से ज्यादा कर्मचारी सामूहिक कार्य बहिष्कार करते हुए अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. यूनिवर्सिटी के सभी विभागों और संघटक कॉलेजों में कार्यरत इन कर्मचारियों ने यूनिवर्सिटी मेन गेट से कुलपति सचिवालय तक रैली निकाली और यहां धरने पर जा बैठे. जिसकी वजह से पूरे दिन छात्र और विश्वविद्यालय प्रशासन के काम प्रभावित होते रहे.

राजस्थान विश्वविद्यालय के सभी विभागों और संघटक कॉलेजों में वित्त विभाग की ओर से स्वीकृत संविदा पदों पर 865 कर्मचारी कार्यरत हैं. इनमें से 80 फ़ीसदी कर्मचारी 10 साल से ज्यादा समय से प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए ठेके पर लगे हुए हैं. इन कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन 300 रुपये प्रतिदिन से भी कम मिल रहा है. ठेके पर लगे कर्मचारियों ने कहा कि इस वेतन में परिवार का भरण-पोषण संभव नहीं हो रहा है. इसलिए उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन से सिंडिकेट की बैठक में प्रस्ताव लाकर विश्वविद्यालय स्तर पर वेतन में न्यूनतम 600 रुपए प्रतिदिन की वृद्धि कराने की मांग की.

पढ़ें : विद्या संबल योजना के तहत कॉलेजों में लगे शिक्षकों को हटाने का विरोध, अस्थायी शिक्षकों ने किया कार्य बहिष्कार

इसके साथ ही कर्मचारियों ने राज्य सरकार के ठेके पर लगे कर्मचारियों को 'संविदा नियम 2022' में सम्मिलित करने की मांग की. संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ओम सिंह ने बताया कि यूनिवर्सिटी में ठेका प्रथा बंद कर कर्मचारियों को संविदा पर रखा जाए. उनका न्यूनतम वेतन 600 रुपये करते हुए 26 दिवस के स्थान पर 30-31 दिन का किया जाए. साथ ही सेवा सुरक्षा प्रदान किया. वहीं, उन्होंने दुर्घटना/मृत्यु बीमा करने की मांग रखते हुए सामूहिक कार्य बहिष्कार कर, अनिश्चतकालीन धरने पर बैठ गए हैं. उन्होंने कहा कि जब तक कर्मचारियों की मांग नहीं मानी जाती, कर्मचारी इसी तरह यूनिवर्सिटी कैंपस में आकर धरने पर बैठेंगे.

आपको बता दें कि राजस्थान विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और संघटक कॉलेजों में ये कर्मचारी कंप्यूटर ऑपरेटर, एलडीसी, प्यून, असिस्टेंट लैब टेक्नीशियन जैसे गैर शैक्षणिक पदों पर कार्यरत हैं. गैर शैक्षणिक कार्यों में लगे इन कर्मचारियों ने आंदोलन के दौरान जो कर्मचारी लाइब्रेरी या प्रशासनिक भवन में काम कर रहे थे, उनका काम छुड़वाकर अपने साथ जोड़ा. इसलिए जो छात्र यूनिवर्सिटी कैंपस में अपने काम के लिए पहुंचे थे, वो भी परेशान होते रहे.

865 कर्मचारियों ने एक साथ किया कार्य बहिष्कार

जयपुर. राजस्थान यूनिवर्सिटी में ठेका प्रथा बंद कर संविदा नियम 2022 में सम्मिलित करने की मांग को लेकर ठेके पर लगे 800 से ज्यादा कर्मचारी सामूहिक कार्य बहिष्कार करते हुए अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. यूनिवर्सिटी के सभी विभागों और संघटक कॉलेजों में कार्यरत इन कर्मचारियों ने यूनिवर्सिटी मेन गेट से कुलपति सचिवालय तक रैली निकाली और यहां धरने पर जा बैठे. जिसकी वजह से पूरे दिन छात्र और विश्वविद्यालय प्रशासन के काम प्रभावित होते रहे.

राजस्थान विश्वविद्यालय के सभी विभागों और संघटक कॉलेजों में वित्त विभाग की ओर से स्वीकृत संविदा पदों पर 865 कर्मचारी कार्यरत हैं. इनमें से 80 फ़ीसदी कर्मचारी 10 साल से ज्यादा समय से प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए ठेके पर लगे हुए हैं. इन कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन 300 रुपये प्रतिदिन से भी कम मिल रहा है. ठेके पर लगे कर्मचारियों ने कहा कि इस वेतन में परिवार का भरण-पोषण संभव नहीं हो रहा है. इसलिए उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन से सिंडिकेट की बैठक में प्रस्ताव लाकर विश्वविद्यालय स्तर पर वेतन में न्यूनतम 600 रुपए प्रतिदिन की वृद्धि कराने की मांग की.

पढ़ें : विद्या संबल योजना के तहत कॉलेजों में लगे शिक्षकों को हटाने का विरोध, अस्थायी शिक्षकों ने किया कार्य बहिष्कार

इसके साथ ही कर्मचारियों ने राज्य सरकार के ठेके पर लगे कर्मचारियों को 'संविदा नियम 2022' में सम्मिलित करने की मांग की. संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ओम सिंह ने बताया कि यूनिवर्सिटी में ठेका प्रथा बंद कर कर्मचारियों को संविदा पर रखा जाए. उनका न्यूनतम वेतन 600 रुपये करते हुए 26 दिवस के स्थान पर 30-31 दिन का किया जाए. साथ ही सेवा सुरक्षा प्रदान किया. वहीं, उन्होंने दुर्घटना/मृत्यु बीमा करने की मांग रखते हुए सामूहिक कार्य बहिष्कार कर, अनिश्चतकालीन धरने पर बैठ गए हैं. उन्होंने कहा कि जब तक कर्मचारियों की मांग नहीं मानी जाती, कर्मचारी इसी तरह यूनिवर्सिटी कैंपस में आकर धरने पर बैठेंगे.

आपको बता दें कि राजस्थान विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और संघटक कॉलेजों में ये कर्मचारी कंप्यूटर ऑपरेटर, एलडीसी, प्यून, असिस्टेंट लैब टेक्नीशियन जैसे गैर शैक्षणिक पदों पर कार्यरत हैं. गैर शैक्षणिक कार्यों में लगे इन कर्मचारियों ने आंदोलन के दौरान जो कर्मचारी लाइब्रेरी या प्रशासनिक भवन में काम कर रहे थे, उनका काम छुड़वाकर अपने साथ जोड़ा. इसलिए जो छात्र यूनिवर्सिटी कैंपस में अपने काम के लिए पहुंचे थे, वो भी परेशान होते रहे.

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