जयपुर. राजस्थान में शुक्रवार को हरियाली तीज की धूम है. सावन के पवित्र महीने में कई त्योहारों की तरह ही हरियाली तीज का भी अपना महत्व है. इस लहरिया उत्सव की धूम जयपुर में देखने को मिल रही है. महिलाएं वर्षों से चली आ रही इस परम्परा को उत्सव के रूप में मना रही हैं. मान फाउंडेशन की ओर से तीज उत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें लहरिया परिधान (पारम्परिक वेश-भूषा) में महिलाएं और लड़कियां नजर आईं.
तीज का महत्व : फाउंडेशन की संस्थापक मनीषा सिंह बताती हैं कि धार्मिक मान्यता है कि माता पार्वती ने भोले शंकर को पाने के लिए कठिन तप और तपस्या करने के बाद हरियाली तीज का व्रत रखा था. इस दिन महिलाएं हरे रंग का कपड़ा पहनती हैं और सोलह शृंगार करती हैं. झूलों पर झूला झूलती हैं. हर साल सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है. इस दिन महिलाएं व्रत रखकर मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं. यह दिन सुहाग का प्रतीक है, यह परम्परा और विरासत का उत्सव है. कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर पाने के लिए हरियाली तीज का व्रत रखती हैं.
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हरियाली तीज की पूजा विधि : धार्मिक मान्यताओं की जानकार महेंद्र कंवर बताती हैं कि हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. महिलाएं माता पार्वती और भगवान शंकर की मूर्ति एक चौकी पर रख कर, पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करती हैं. महेंद्र कंवर बताती है कि मान्यताओं के अनुसार, हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और मां पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था. मां पार्वती ने भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. यही कारण है कि हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है. कहा जाता है कि हरियाली तीज का व्रत कुंवारी कन्या और सुहागिन महिला दोनों के लिए खास होता है.