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गुलाबी सर्दी की दस्तक से डिस्कॉम को राहत: मांग में कमी से बिजली संकट के दौर में मिला सहारा

प्रदेश के कई जिलों में गुलाबी सर्दी ने दस्तक दे दी है, जिसके चलते बिजली की खपत कमी आई है. इसमें बिजली की उपलब्धता औसतन करीब 9926 मेगावाट है, तो अनुमानित मांग 9773 मेगावाट है. मौजूदा डिमांड और सप्लाई में ज्यादा अंतर नहीं रहने के चलते बिजली संकट के खत्म होने के आसार हैं.

Power crisis in Rajasthan
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Published : Oct 20, 2021, 5:46 PM IST

जयपुर. प्रदेश में कोयले की आपूर्ति की कमी से उत्पन्न हुए बिजली संकट से अब कुछ राहत मिल गई है. केंद्र से राजस्थान को मिलने वाला कोयला अब भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रहा है, लेकिन इस बीच मौसम में हुए परिवर्तन के चलते प्रदेश में बिजली की मांग में कमी आई है. इसके चलते बिजली संकट के इस दौर में डिस्कॉम ने राहत की सांस ली है.

दरअसल बीते 2 दिनों में प्रदेश के कई जिलों में गुलाबी सर्दी ने दस्तक दे दी है, जिसके चलते बिजली की खपत में कमी आई है. इसमें बिजली की उपलब्धता औसतन करीब 9926 मेगावाट है, तो अनुमानित मांग 9773 मेगावाट है. हालांकि अधिकतम मांग करीब 10500 मेगावाट तक पहुंची है, लेकिन लगातार विद्युत उत्पादन में हो रहे इजाफे के चलते इसकी भी पूर्ति डिस्कॉम कर पा रहा है. यही कारण है कि जिला मुख्यालय और ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले पावर कट अब बंद हो चुके हैं. हालांकि दीपावली पूर्व का मेंटेनेंस का कार्य जरूर जारी है, जिसके चलते जिलों में अलग-अलग इलाकों में शटडाउन लिया जा रहा है.

पढ़ें: राजस्थान सरकार ने 2014 से पेट्रोल-डीजल पर टैक्स नहीं बढ़ाया, केंद्र से हो रही बढ़ोतरी: खाचरियावास

कोयले की आपूर्ति पहुंची 18 रैक प्रतिदिन

प्रदेश में बिजली संकट का सबसे बड़ा कारण कोयले की पर्याप्त आपूर्ति ना होना है. वर्तमान में प्रदेश को कोयले आपूर्ति में कुछ इजाफा जरूर हुआ है. ऊर्जा विभाग से जुड़े अधिकारियों के अनुसार कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई एसईसीएल से कोयले की 3 रैक रेल मार्ग से और एक रैक रेल कम रोड मार्ग से डिस्पैच हो रही है. इसी तरह राज्य सरकार के अपने कॉल ब्लॉक से कोयले की 11 रैक डिस्पैच हुई. कुल मिलाकर 18 रैक अब प्रतिदिन डिस्पैच हो रही है. हालांकि अब भी प्रदेश को कोयले की आपूर्ति पूर्व में तय किए गए आधार पर नहीं हो पा रही.

पढ़ें: कलंकित होते शिक्षा मंदिर : राजस्थान में स्कूल में भी सुरक्षित नहीं लाडो, हर साल बढ़ रहे स्कूल में यौन प्रताड़ना के आंकड़े

दीपावली तक हालात सामान्य होने के आसार

दीपावली के दौरान प्रदेश में बिजली संकट के हालात सामान्य होने की उम्मीद है. इसके पीछे बड़ा कारण मौसम में बदलाव ही है, क्योंकि अब सर्दी ने प्रदेश में दस्तक दे दी है, जिसके चलते बिजली की खपत में लगातार कमी आ रही है. ऐसी स्थिति में उत्पादन नहीं भी बढ़ा, तो मौजूदा डिमांड और सप्लाई में ज्यादा अंतर नहीं रहेगा जिससे बिजली संकट खत्म होने के आसार है.

जयपुर. प्रदेश में कोयले की आपूर्ति की कमी से उत्पन्न हुए बिजली संकट से अब कुछ राहत मिल गई है. केंद्र से राजस्थान को मिलने वाला कोयला अब भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रहा है, लेकिन इस बीच मौसम में हुए परिवर्तन के चलते प्रदेश में बिजली की मांग में कमी आई है. इसके चलते बिजली संकट के इस दौर में डिस्कॉम ने राहत की सांस ली है.

दरअसल बीते 2 दिनों में प्रदेश के कई जिलों में गुलाबी सर्दी ने दस्तक दे दी है, जिसके चलते बिजली की खपत में कमी आई है. इसमें बिजली की उपलब्धता औसतन करीब 9926 मेगावाट है, तो अनुमानित मांग 9773 मेगावाट है. हालांकि अधिकतम मांग करीब 10500 मेगावाट तक पहुंची है, लेकिन लगातार विद्युत उत्पादन में हो रहे इजाफे के चलते इसकी भी पूर्ति डिस्कॉम कर पा रहा है. यही कारण है कि जिला मुख्यालय और ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले पावर कट अब बंद हो चुके हैं. हालांकि दीपावली पूर्व का मेंटेनेंस का कार्य जरूर जारी है, जिसके चलते जिलों में अलग-अलग इलाकों में शटडाउन लिया जा रहा है.

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कोयले की आपूर्ति पहुंची 18 रैक प्रतिदिन

प्रदेश में बिजली संकट का सबसे बड़ा कारण कोयले की पर्याप्त आपूर्ति ना होना है. वर्तमान में प्रदेश को कोयले आपूर्ति में कुछ इजाफा जरूर हुआ है. ऊर्जा विभाग से जुड़े अधिकारियों के अनुसार कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई एसईसीएल से कोयले की 3 रैक रेल मार्ग से और एक रैक रेल कम रोड मार्ग से डिस्पैच हो रही है. इसी तरह राज्य सरकार के अपने कॉल ब्लॉक से कोयले की 11 रैक डिस्पैच हुई. कुल मिलाकर 18 रैक अब प्रतिदिन डिस्पैच हो रही है. हालांकि अब भी प्रदेश को कोयले की आपूर्ति पूर्व में तय किए गए आधार पर नहीं हो पा रही.

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दीपावली तक हालात सामान्य होने के आसार

दीपावली के दौरान प्रदेश में बिजली संकट के हालात सामान्य होने की उम्मीद है. इसके पीछे बड़ा कारण मौसम में बदलाव ही है, क्योंकि अब सर्दी ने प्रदेश में दस्तक दे दी है, जिसके चलते बिजली की खपत में लगातार कमी आ रही है. ऐसी स्थिति में उत्पादन नहीं भी बढ़ा, तो मौजूदा डिमांड और सप्लाई में ज्यादा अंतर नहीं रहेगा जिससे बिजली संकट खत्म होने के आसार है.

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