जयपुर/सवाई माधोपुर. राजस्थान की भारतीय जनता पार्टी बीते एक दशक से अंतर्द्वंद से जूझ रही है. हालात यह हैं कि पार्टी में खुलेआम धड़ेबाजी को लेकर आलाकमान से लेकर विपक्ष तक कई बार सवाल खड़े कर चुके हैं. पार्टी में वसुंधरा राजे समर्थक और विरोधी खेमे के वजूद के कारण दो दफा नजदीकी मुकाबलों में भाजपा ने सरकार बनाने का मौका गंवा दिया. ऐसे में सावन के पहले सोमवार पर बीजेपी के लिए सवाई माधोपुर से गुड न्यूज मिली. दिग्गज नेताओं के दिल की दूरियां तस्वीरों के जरिए ऑल इज वेल का पैगाम देते हुए नजर आई.
गणेश जी के दरबार में एकजुट: दरअसल, आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी के मंथन के लिए सवाई माधोपुर में भाजपा के दिग्गज जुटे हैं. नाहरगढ़ पैलेस होटल में रुके भाजपा नेता मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे. इस दौरान त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन के लिए निकलीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा लगातार साथ चलते हुए और बातचीत करते नजर आए. बाद में मंदिर में उप नेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया से इन दोनों नेताओं की मुलाकात हो गई. सियासी हलकों में विपरीत विचारों वाले इन नेताओं का गणेश जी के दरबार में एकजुट होना, अब न सिर्फ प्रदेश भाजपा में बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का मुद्दा बन चुका है. बता दें कि कि हाल ही में किरोड़ी लाल मीणा और सतीश पूनिया को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह दी गई थी.
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किरोड़ी ने वसुंधरा राजे से की थी बगावत : बतौर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पहले कार्यकाल के दौरान किरोड़ी लाल मीणा खाद्य मंत्री के रूप में सरकार में शामिल थे. इस दौरान राजे और मीणा के बीच की सियासी अदावत ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा था. किरोड़ी मीणा ने राजपा के बैनर तले भाजपा के खिलाफ ताल ठोक दी. इस दौरान 2008 में आए गहलोत राज में उनकी पत्नी गोलमा देवी ने खादी मंत्री के रूप में काम किया तो किरोड़ी ने दौसा से निर्दलीय सांसद के रूप में भाजपा के रामकिशोर मीणा को मात दी.
पांच साल पहले फिर से भाजपा से जुड़े: इसके बाद लगातार किरोड़ी सियासी मंचों पर राजे विरोधी बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते थे. पहले चुनाव में किरोड़ी की राजपा ने 134 सीटों पर भाजपा के विरोध में प्रत्याशी उतारे और 4 पर जीत हासिल की. इस दौरान सवा 4 फीसदी से ज्यादा वोट भी उन्हें मिले थे. करीब पांच साल पहले किरोड़ी फिर से भाजपा से जुड़े. 2023 तक दूरी रखने वाले किरोड़ी रीट को लेकर गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए फिर से पार्टी मुख्यालय में दाखिल हो गए. अब राजे के साथ मुलाकात और बातचीत, इनके बीच सियासी दूरियों के कम होने का पैगाम दे रही है.
पूनिया फ्रंट भी रहा विरोध में : सतीश पूनिया ने जब से भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष का पद संभाला था, उन्होंने खुद को भावी मुख्यमंत्री के रूप में मानने से कभी सार्वजनिक रूप से इनकार नहीं किया. गाहे-बगाहे पूनिया और उनके समर्थक चुनाव जीतने पर प्रदेशाध्यक्ष के नाते उन्हें सीएम के रूप में प्रोजेक्ट करते रहे थे. ऐसे में पार्टी में स्वाभाविक रूप से गुटबाजी परवान पर चढ़ती गई और पूनिया को पार्टी प्रेसिडेंट के रूप में एक्सटेंशन नहीं मिल सका. इस दौरान प्रदेश भाजपा की गुटबाजी को लेकर चर्चा भी चरम पर रही. ऐसे में विजय संकल्प बैठक के बीच की तस्वीर पार्टी के नजरिए से सुखद नतीजों की ओर इशारा कर रही है.
विजय संकल्प बैठक : राजस्थान भाजपा की ओर से विजय संकल्प बैठक के तहत सवाई माधोपुर के एक होटल में चिंतन और मंथन किया गया. बैठक में मोदी सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई. शिविर में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल, कैलाश चौधरी, नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ और उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया समेत प्रदेश के 40 वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी चुनाव से पहले ऑल इज वेल वाली तस्वीर को राजस्थान की जनता के बीच लाकर कांग्रेस के अंतर्द्वंद के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है.