जयपुर. शहर की मुहाना थाना पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए 21 साल पहले बंद हो चुकी हाउसिंग सोसाइटी का पदाधिकारी बन फर्जी पट्टे बांटकर करोड़ों रुपए की ठगी करने वाले एक शातिर को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने प्रकरण में कार्रवाई करते हुए रामनिवास शर्मा को गिरफ्तार किया है.
आरोपी ने खुद को वर्ष 199 में बंद हो चुकी भांकरोटा गृह निर्माण सहकारी समिति का व्यवस्थापक बताया और कुछ लोगों के साथ मिलकर केशियावाला गांव के पास फर्जी इकरारनामा तैयार किया. इसके बाद आरोपी ने अनेक प्लॉट के फर्जी पट्टे तैयार किए और एक दर्जन लोगों से करोड़ों रुपए लेकर उन्हें वह फर्जी पट्टे बांट दिए.
यह भी पढ़ें: सिंधिया को CM बनाने वाले बयान पर MP के गृहमंत्री ने कांग्रेस से कहा- पहले राजस्थान में पायलट को तो बनाओ
बता दें कि आरोपी से हुई प्रारंभिक पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ है कि लोगों को फर्जी पट्टे बांटने के बाद आरोपी ने फर्जी तरीके से बेची गई भूमि को विवादग्रस्त बनाने के लिए विभिन्न न्यायालय में सिविल वाद पेश किया. वहीं जिन लोगों को फर्जी पट्टे बांटे गए जब वह उन पट्टों पर निर्माण कार्य करने पहुंचे तो न्यायालय का नोटिस चस्पा देख उनके होश उड़ गए.
जब पीड़ित लोगों ने पड़ताल की तो पता चला कि जो पट्टे उन्हें आरोपी की ओर से दिए गए हैं वह पूरी तरह से फर्जी हैं. इसके बाद पीड़ित लोगों ने पुलिस कमिश्नरेट में आला अधिकारियों से मिल अपनी शिकायत दर्ज करवाई. जिस पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी रामनिवास शर्मा को गिरफ्तार किया है, जिससे अब प्रकरण के बारे में पूछताछ की जा रही है.
बैंक की सतर्कता से बची करोड़ों रुपए की ठगी
राजधानी के कोतवाली थाना इलाके में बैंक की सतर्कता के चलते करोड़ों रुपए की ठगी होने से बच गई. दरअसल एक गिरोह के सदस्यों ने 101 रुपए के डीडी में एडिट करके 18.62 करोड़ रुपए भरकर बैंक में जमा करवा दिए. करोड़ों रुपए के अमाउंट की डीडी आने पर बैंक प्रशासन अलर्ट हुआ और इसके साथ ही डीडी जारी करने वाले एक निजी बैंक से डीडी को लेकर पड़ताल की. जिसमें यह डीडी पूरी तरह से फर्जी होना पाया गया.
यह भी पढ़ें: लापरवाह 'खाकी' पर सरकार की सख्ती जारी, अब नीमराणा के एचएम को किया सस्पेंड
बताया जा रहा है कि मुंबई के एक निजी बैंक की ओर से यह डीडी किसी अन्य व्यक्ति के नाम से 101 रुपए का जारी किया गया था जिसे बदमाशों की ओर से एडिट करके करोड़ों रुपए का बनाया गया. करोड़ों रुपए का डीडी आने पर बैंक की ओर से डीडी का वाटर ड्रॉपलेट टेस्ट और अल्ट्रावायलेट टेस्ट किया गया, जिसमें यह डीडी फर्जी पाया गया. उसके बाद बैंक प्रशासन की तरफ से कोतवाली थाने में प्रकरण दर्ज करवाया गया है, और डीडी किन लोगों के माध्यम से बैंक में जमा करवाया गया इसके बारे में पुलिस ने जांच पड़ताल कर रही है.