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राजस्थान बीजेपी का केन्द्र में बढ़ता कद...कहीं वसुंधरा खेमे के लिए 'खतरे की घंटी' तो नहीं - rajasthan

लोकसभा चुनाव के साथ ही केंद्र की सियासत में राजस्थान भाजपा का कद लगातार बढ़ता जा रहा है. जिन नेताओं को राजस्थान से मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिली वह पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नजदीकी नहीं हैं. वहीं लेकिन, संघ पृष्ठभूमि और केंद्रीय नेतृत्व के नजदीकी जरूर माने जाते हैं.

मोदी सरकार में वसुंधरा खेमे की बजाय संघ पृष्ठभूमि के नेताओं को मिली
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Published : Jun 19, 2019, 9:56 PM IST

जयपुर. इस लोकसभा चुनाव में भाजपा केंद्रीय नेतृत्व और केंद्र की मोदी सरकार में राजस्थान का सियासी कद बढ़ा है. चुनाव में जहां प्रदेश की 25 सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगी ने कब्जा जमाया, तो वहीं मोदी मंत्रिमंडल में एक कैबिनेट मंत्री सहित राजस्थान से तीन चेहरों को जगह दी गई. इसके बाद अब राजस्थान से ही सांसद ओम बिरला को लोकसभा स्पीकर का पद भी सौंप दिया गया है. लेकिन, इन सब में खास बात यह है कि केंद्रीय राजस्थान के जिन नेताओं का सियासी कद बढ़ा है, ये तमाम नेता वसुंधरा राजे खेमे से नहीं, बल्कि संघ पृष्ठभूमि से आते हैं. जो कुछ और ही इशारा कर रहे हैं.

अब राजस्थान के हर फैसले में राजे की राय को तरजीह नहीं
लोकसभा चुनाव के साथ ही केंद्र की सियासत में राजस्थान भाजपा का कद लगातार बढ़ता जा रहा है. जिन नेताओं को राजस्थान से मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिली वह पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नजदीकी नहीं हैं. लेकिन, संघ पृष्ठभूमि और केंद्रीय नेतृत्व के नजदीकी जरूर माने जाते हैं. वहीं, लोकसभा चुनाव के दौरान हनुमान बेनीवाल जैसे वसुंधरा विरोधी नेताओं को भाजपा से जोड़कर पार्टी ने पहले ही बहुत कुछ संकेत दे दिए थे और अब ओम बिरला के लोकसभा स्पीकर बनाये जाने के बाद ये साफ हो चुका है कि अब भाजपा में प्रमोशन के लिए प्रदेश नेताओं को राजस्थान की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे की कृपा की जरूरत नहीं होगी.

पीयूष शर्मा, संवाददाता, जयपुर

दअरसल, मोदी और शाह के सरप्राइजिंग फैसलों के बाद तो ये साफ हो गया है कि अब पार्टी में पूर्व सीएम राजे की भूमिका पहले से कम होती जा रहीं है और शीर्ष स्तर पर राजस्थान के लिए होने वाले फैसलों में भी राजे की राय को महत्व कम ही मिल रहा है.

जिसका राजे ने किया विरोध उसे ही पार्टी ने दिया महत्व
राजस्थान में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को लेकर पूर्व में हुए विवाद के बाद लगातार उन नेताओं को पार्टी बड़ा बना रही है, जो वसुंधरा खेमे से नहीं आते हैं. गजेंद्र सिंह शेखावत को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का राजे ने विरोध किया, लेकिन मोदी मंत्रिमंडल में शेखावत को प्रमोशन मिला और इस बार कैबिनेट मंत्री बनाकर मोदी ने जल शक्ति विभाग भी सौंपा. वहीं, वसुंधरा के खास और नजदीकी नेताओं में शामिल देवी सिंह भाटी ने लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी प्रत्याशी और सांसद अर्जुन राम मेघवाल का विरोध किया, लेकिन मेघवाल को मोदी मंत्रिमंडल में इस बार फिर जीत का तोहफा देकर शामिल किया गया.

इसी तरह लोकसभा चुनाव के दौरान राजस्थान में वसुंधरा राजे के घोर विरोधी माने जाने वाले हनुमान बेनीवाल से भी भाजपा ने हाथ मिलाया और गठबंधन के तहत नागौर से उनकी उम्मीदवारी का समर्थन भी किया. हाल ही में लोकसभा स्पीकर बनाए गए ओम बिरला भी वसुंधरा राजे के नजदीकी नहीं बल्कि दूर रहने वाले नेताओं में शामिल हैं. लेकिन, पार्टी ने उन्हें स्पीकर बनाकर राजस्थान में उनका सियासी कद बढ़ा दिया है. यह तमाम नेता संघ पृष्ठभूमि से भी आते हैं. ऐसे में ये तमाम घटनाक्रम और फैसले इस बात का इशारा करते हैं कि राजस्थान की राजनीति में कभी दिग्गज रहे कुछ नेताओं के सियासी पर अप्रत्यक्ष रूप से पर कतरे जा रहे हैं, ताकि राजनीति में उनकी उड़ान ज्यादा लंबी न हो सके.

जयपुर. इस लोकसभा चुनाव में भाजपा केंद्रीय नेतृत्व और केंद्र की मोदी सरकार में राजस्थान का सियासी कद बढ़ा है. चुनाव में जहां प्रदेश की 25 सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगी ने कब्जा जमाया, तो वहीं मोदी मंत्रिमंडल में एक कैबिनेट मंत्री सहित राजस्थान से तीन चेहरों को जगह दी गई. इसके बाद अब राजस्थान से ही सांसद ओम बिरला को लोकसभा स्पीकर का पद भी सौंप दिया गया है. लेकिन, इन सब में खास बात यह है कि केंद्रीय राजस्थान के जिन नेताओं का सियासी कद बढ़ा है, ये तमाम नेता वसुंधरा राजे खेमे से नहीं, बल्कि संघ पृष्ठभूमि से आते हैं. जो कुछ और ही इशारा कर रहे हैं.

अब राजस्थान के हर फैसले में राजे की राय को तरजीह नहीं
लोकसभा चुनाव के साथ ही केंद्र की सियासत में राजस्थान भाजपा का कद लगातार बढ़ता जा रहा है. जिन नेताओं को राजस्थान से मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिली वह पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नजदीकी नहीं हैं. लेकिन, संघ पृष्ठभूमि और केंद्रीय नेतृत्व के नजदीकी जरूर माने जाते हैं. वहीं, लोकसभा चुनाव के दौरान हनुमान बेनीवाल जैसे वसुंधरा विरोधी नेताओं को भाजपा से जोड़कर पार्टी ने पहले ही बहुत कुछ संकेत दे दिए थे और अब ओम बिरला के लोकसभा स्पीकर बनाये जाने के बाद ये साफ हो चुका है कि अब भाजपा में प्रमोशन के लिए प्रदेश नेताओं को राजस्थान की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे की कृपा की जरूरत नहीं होगी.

पीयूष शर्मा, संवाददाता, जयपुर

दअरसल, मोदी और शाह के सरप्राइजिंग फैसलों के बाद तो ये साफ हो गया है कि अब पार्टी में पूर्व सीएम राजे की भूमिका पहले से कम होती जा रहीं है और शीर्ष स्तर पर राजस्थान के लिए होने वाले फैसलों में भी राजे की राय को महत्व कम ही मिल रहा है.

जिसका राजे ने किया विरोध उसे ही पार्टी ने दिया महत्व
राजस्थान में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को लेकर पूर्व में हुए विवाद के बाद लगातार उन नेताओं को पार्टी बड़ा बना रही है, जो वसुंधरा खेमे से नहीं आते हैं. गजेंद्र सिंह शेखावत को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का राजे ने विरोध किया, लेकिन मोदी मंत्रिमंडल में शेखावत को प्रमोशन मिला और इस बार कैबिनेट मंत्री बनाकर मोदी ने जल शक्ति विभाग भी सौंपा. वहीं, वसुंधरा के खास और नजदीकी नेताओं में शामिल देवी सिंह भाटी ने लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी प्रत्याशी और सांसद अर्जुन राम मेघवाल का विरोध किया, लेकिन मेघवाल को मोदी मंत्रिमंडल में इस बार फिर जीत का तोहफा देकर शामिल किया गया.

इसी तरह लोकसभा चुनाव के दौरान राजस्थान में वसुंधरा राजे के घोर विरोधी माने जाने वाले हनुमान बेनीवाल से भी भाजपा ने हाथ मिलाया और गठबंधन के तहत नागौर से उनकी उम्मीदवारी का समर्थन भी किया. हाल ही में लोकसभा स्पीकर बनाए गए ओम बिरला भी वसुंधरा राजे के नजदीकी नहीं बल्कि दूर रहने वाले नेताओं में शामिल हैं. लेकिन, पार्टी ने उन्हें स्पीकर बनाकर राजस्थान में उनका सियासी कद बढ़ा दिया है. यह तमाम नेता संघ पृष्ठभूमि से भी आते हैं. ऐसे में ये तमाम घटनाक्रम और फैसले इस बात का इशारा करते हैं कि राजस्थान की राजनीति में कभी दिग्गज रहे कुछ नेताओं के सियासी पर अप्रत्यक्ष रूप से पर कतरे जा रहे हैं, ताकि राजनीति में उनकी उड़ान ज्यादा लंबी न हो सके.

Intro:राजस्थान भाजपा का केंद्र में बढ़ता कद...कहीं कुछ और इशारा तो नहीं

मोदी सरकार में वसुंधरा खेमा नहीं संघ पृष्ठभूमि के नेताओं को मिली

जयपुर (इंट्रो)
इस लोकसभा चुनाव में भाजपा केंद्रीय नेतृत्व और केंद्र की मोदी सरकार में राजस्थान का सियासी कद बढ़ा है चुनाव में जहां प्रदेश की 25 सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगी ने कब्जा जमाया तो वही मोदी मंत्रिमंडल में एक कैबिनेट मंत्री सहित राजस्थान से तीन चेहरों को जगह दी गई और अब राजस्थान से ही सांसद ओम बिरला ने लोक सभा स्पीकर का पद भी संभाल लिया। लेकिन इन सब में खास बात यह है कि केंद्रीय राजस्थान के जिन नेताओं का सियासी कद बड़ा है ये तमाम नेता वसुंधरा राजे खेमे से नही बल्कि संघ पृष्ठभूमि से आते हैं,जो कुछ और ही इशारा कर रहा है।


Body:अब राजस्थान के हर फैसले में राजे की राय को तरजीह नहीं-

लोकसभा चुनाव के साथ ही केंद्र की सियासत में राजस्थान भाजपा का कद लगातार बढ़ता जा रहा है। जिन नेताओं को राजस्थान से मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिली वह पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नजदीकी नहीं है लेकिन संघ पृष्ठभूमि और केंद्रीय नेतृत्व के नजदीकी जरूर माने जाते हैं। वही लोकसभा चुनाव के दौरान हनुमान बेनीवाल जैसे वसुंधरा विरोधी नेताओं को भाजपा से जुड़कर पार्टी ने पहले ही बहुत कुछ संकेत दे दिए थे और अब ओम बिरला के लोकसभा स्पीकर बनाये जाने के बाद ये साफ हो चुका है कि अब भाजपा में प्रमोशन के लिए प्रदेश नेताओं को राजस्थान की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे की कृपा की जरूरत नहीं होगी। दअरसल मोदी और शाह के सरप्राइजिंग फैसलों के बाद तो ये साफ हो गया है कि अब पार्टी में पूर्व cm राजे की भूमिका पहले से कम होती जा रहीं है और शीर्ष स्तर पर राजस्थान के लिए होने वाले फैसलों में भी राजे की राय को महत्व कम ही मिल रहा है।

जिसका राजे ने किया विरोध उसे ही पार्टी ने दिया महत्व।-

राजस्थान में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को लेकर पूर्व में हुए विवाद के बाद लगातार उन नेताओं को पार्टी बढ़ा बना रही है जो वसुंधरा खेमे से नहीं आते। गजेंद्र सिंह शेखावत को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का राजे ने विरोध किया लेकिन मोदी मंत्रिमंडल में शेखावत को प्रमोशन मिला और इस बार कैबिनेट मंत्री बनाकर मोदी ने जल शक्ति विभाग भी सौंपा वही वसुंधरा के खास और नजदीकी नेताओं में शामिल देवी सिंह भाटी ने लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी प्रत्याशी और सांसद अर्जुन राम मेघवाल का विरोध किया लेकिन मेघवाल को मोदी मंत्रिमंडल में इस बार फिर जीत का तोहफा देकर शामिल किया गया। इसी तरह लोकसभा चुनाव के दौरान राजस्थान में वसुंधरा राज्य के घोर विरोधी माने जाने वाले हनुमान बेनीवाल से भी भाजपा ने हाथ मिलाया और गठबंधन के तहत नागौर से उनकी उम्मीदवारी का समर्थन भी किया। हाल ही में लोकसभा स्पीकर बनाए गए ओम बिरला भी वसुंधरा राजे के नजदीकी नहीं बल्कि दूर रहने वाले नेताओं में शामिल है लेकिन पार्टी ने उन्हें स्पीकर बना कर राजस्थान में उनका सियासी कद बड़ा दिया । यह तमाम नेता संघ पृष्ठभूमि से भी आते हैं। कि तमाम घटनाक्रम और फैसले इस बात का इशारा करते हैं कि राजस्थान की राजनीति में कभी दिग्गज रहे कुछ नेताओं के सियासी पर अप्रत्यक्ष रूप से कतरे जा रहे है ताकि राजनीति में उनकी उनकी उड़ान ज्यादा लंबी न हो सके

रिपोर्टर पीटीसी- पीयूष शर्मा जयपुर




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