जयपुर. प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बीच बीजेपी ने कांग्रेस के उस चुनावी घोषणा पत्र को बड़ा मुद्दा बना लिया है, जिसमें उन्होंने प्रदेश के किसानों की कर्ज माफी की बात कही थी. बीजेपी ने कर्ज माफी के मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा. उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया ने आरोप लगाया कि सरकार की वादाखिलाफी के चलते प्रदेश के 19000 से ज्यादा किसानों की जमीन नीलाम हुई है. पूनिया के बयान के बाद सदन में इस कदर हंगामा हुआ कि विधानसभा अध्यक्ष को मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा को फटकार तक लगानी पड़ी.
धोखेबाज सरकारः पूनिया ने कहा कि कांग्रेस के बड़े नेता जो दिल्ली में रहते हैं, उन्होंने साल 2018 में चुनाव से पहले किसानों की 10 तक गिनती बोलने के साथ कर्ज माफी की बात कही थी. लेकिन सरकार बनने के बाद आज भी 10 दिन में तो दूर 1700 दिन बीतने के बाद भी किसानों की कर्ज माफी नहीं हुई. किसान लाइव वीडियो जारी करके आत्महत्या को मजबूर हैं और वह आत्महत्या किसी किसान की नहीं बल्कि भरोसा टूटती सरकार की मौत थी. इस सरकार की धोखेबाजी की वजह से 19000 से ज्यादा किसानों की जमीन नीलाम हुई है. अब धोखेबाज सरकार किसानों कितना ही भटकाने की कोशिश करे, लेकिन किसानों की आवाज दबने वाली नहीं है. सदन से सड़क तक किसानों की पीड़ा को जनता के बीच में रखेंगे.
यूं बरपा हंगामाः किसानों की आत्महत्या और जमीन नीलामी का मुद्दा उठाते हुए पूनिया ने कहा कि इनके नेता ने 2018 के बयान में दावा किया था सूरज चाहे नहीं उगे, चंद्रमा भले ही गायब हो जाए, लेकिन हम सरकार में आते ही किसानों का कर्ज 10 दिन में माफ करेंगे. 60 लाख किसान एक लाख करोड़ रुपए की कर्ज माफी का आज भी इंतजार कर रहे हैं. इसके बाद पूनिया ने कहा कि यही सदन है और यही सरकार जिन्होंने सदन में पूछे गए सवाल पर कहा कि 19422 किसानों की जमीन नीलामी को स्वीकार किया था. इस तरह की वादाखिलाफी बयानों में नहीं बल्कि जन घोषणा पत्र के कागजों में भी शामिल है. इसके बाद सदन में जोरदार हंगामा शुरू हो गया.
सीएम सलाहकार को फटकारः किसान कर्ज माफी पर विपक्ष ने जमकर सदर में नारेबाजी की. इस दौरान पक्ष-विपक्ष के सदस्य एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे. सदन में जोरदार हंगामा हुआ. हंगामे के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा भी विपक्ष पर हमलावर हुए. इस पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी आसन से खड़े हुए और उन्होंने कहा कि सदस्यों को बोलने दीजिए, लेकिन वह नहीं माने. इस पर जोशी ने लोढ़ा को फटकार लगाते हुए कहा कि पहले की तरह सदन से बाहर निकाल दूंगा.