जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को राज्य का बजट पेश किया. इस दौरान सीएम ने पेपर लीक मामले पर अपना पक्ष रखा. गहलोत ने अपनी स्पीच में कहा कि इसके लिए एसओजी के अधीन एसटीएफ का गठन किया है. इसमें स्पेशल अफसरों को शामिल किया जाएगा. ये अधिकारी पेपर लीक के मामलों कड़ी कार्रवाई करेंगे. वहीं, अब राज्य सरकार के इस फैसले को बेरोजगारों से लेकर पुलिस डिपार्टमेंट से जुड़े पूर्व अधिकारियों ने नाकाफी बताया.
बेरोजगार एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव ने कहा कि पेपर लीक को लेकर राज्य सरकार एक्टिव नहीं है, क्योंकि पेपर लीक करने के बाद गिरोह विदेश भाग जाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि पेपर लीक गिरोह को नेताओं का संरक्षण प्राप्त है. जब तक ये गठजोड़ नहीं टूटेगा, इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी. राजस्थान में जो रीट, सेकंड ग्रेड समेत 10 पेपर लीक हुए थे उसके अधिकतर अपराधी जेल से बाहर आ चुके हैं.
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उन्होंने कहा कि राजस्थान में एसओजी जांच करने में विफल रही है. आज तक एसओजी भी सरगनाओं का पता नहीं लगा पाई. एसओजी के रहते हुए पेपर लीक के सरगना विदेश में भाग गए. बेरोजगार एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष ने कहा कि बजट में एसटीएफ गठित करने की घोषणा की गई, लेकिन वह भी एसओजी की निगरानी में काम करेगी. ऐसे में जब एसओजी खुद पूर्व भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक सरगनाओं को पकड़ने में विफल हो चुकी है, तो क्या एसटीएफ कामयाब हो पाएगी?.
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पूर्व अधिकारी राजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि बजट के दौरान पेश स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के तहत स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करने का फैसला बेरोजगारों के साथ एक अन्याय है. उन्होंने कहा कि एसओजी कहीं न कहीं सत्तारूढ़ दल के नेताओं के कहने पर काम करती है. ये एजेंसी पूरी तरह विफल हो चुकी है. इसके तहत अगर कोई एसटीएफ का गठन किया जाएगा, तो वह एसओजी के निर्देशों पर काम करेगी. ऐसे में निश्चित रूप से इसमें राजनीतिक दखल होगा. राजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, एसटीएफ का एसओजी के तहत गठन करने के बजाए कोई स्वतंत्र एजेंसी बनानी चाहिए.
बता दें कि प्रदेश में पेपर लीक की घटनाओं पर नकेल कसने के लिए राजस्थान में नकल विरोधी कानून 2022 में लाया गया था. इस कानून के अंतर्गत संलिप्त व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसओजी के अधीन आधुनिक संसाधनों से सुसज्जित एसटीएफ के गठित करने की घोषणा की है.