जयपुर. मुझे जो नगरीय विकास व स्वायत्त शासन विभाग दिया गया है, वो काफी बदनाम विभाग है. यह कहना है प्रदेश के नए यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा का. खर्रा ने दो टूक चेतावनी देते हुए कहा कि विभाग से कई तरह की शिकायतें आ रही हैं. बहुत सारे मामलों में अनियमितताएं हैं. ये सारा रिव्यू करने के बाद अगर कहीं भी अनिमितता या गड़बड़ी पाई गई तो फिर उनकी जांच करवा कर दोषी के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.
दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई : वहीं, जयपुर के सर्किट हाउस में यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा सोमवार को कार्यभार ग्रहण करेंगे. इससे पहले शनिवार को ईटीवी भारत से खास बातचीत में खर्रा ने कहा, ''अधिकारियों की मीटिंग लेकर जितने भी प्रोजेक्ट चल रहे हैं, उनकी रिपोर्ट लेंगे. ऐसे में जो प्रोजेक्ट सही चल रहे हैं, उनमें तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सामान्यत: जिस तरह की शिकायतें आ रही है उसमें बहुत सारे मामलों में अनियमितताएं पाई गई हैं. ऐसे में सभी की समीक्षा करने के बाद अगर कहीं भी अनिमितता या गड़बड़ी पाई जाती है तो उनकी जांच करवा कर दोषी के खिलाफ कार्रवाई करेंगे और भविष्य में अनिमितता न हो इसके लिए पारदर्शी नियमावली व दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे.''
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जनप्रतिनिधियों से लेंगे राय : चंबल रिवर फ्रंट हादसा पर पूर्व यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल पर लगे आरोप की जांच को लेकर खर्रा ने कहा, ''जितने भी प्रकरण उनके सामने आएंगे और जिनमें लापरवाही, अनिमितता या भ्रष्टाचार हुआ होगा. उन सभी का निष्पक्ष रूप से जांच करवा कर दोषियों को चिह्नित किया जाएगा और दोषियों को चिह्नित करने के बाद विधि अनुसार कार्रवाई की जाएगी.'' आगे जयपुर, कोटा और जोधपुर में दो निगम बनाए जाने के फैसले को रिव्यू करने के सवाल पर यूडीएच मंत्री ने कहा, ''ये एक गंभीर विषय है. इस संबंध में पहले सभी दलों के जनप्रतिनिधियों से राय लेंगे और बहुमत में क्या राय बनती है, उसके अनुसार कैबिनेट को नोट भेजेंगे. यह विषय कैबिनेट से जुड़ा है तो निश्चित रूप से कोई न कोई सकारात्मक फैसला निकलेगा.''
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ये है सबसे बड़ी समस्या : अपनी प्राथमिकता बताते हुए खर्रा ने कहा, ''उन्हें जो नगरीय विकास व स्वायत्त शासन विभाग दिया गया है, वो काफी बदनाम विभाग है. हालांकि, 2013 से 2018 में जब वो इस विभाग से संबंधित विधानसभा की समिति के सदस्य थे, तब बहुत काम करने की कोशिश भी की थी. इसमें सबसे बड़ी समस्या नियमों की व्याख्या की है. नियम इतने जटिल है कि उसमें से 10 तरह की गलियां निकलती है और उसके लिए करीब 200 परिपत्र विभाग की ओर से जारी किए हुए हैं. उस दौर में भी प्रयास किया गया था कि एक ऐसा सुस्पष्ट नियमावली बने, जिसमें किसी तरह की गली निकलने की गुंजाइश न हो. उस पर काफी हद तक काम किया था, लेकिन फिर आचार संहिता लग गई और फिर काम आगे नहीं बढ़ पाया. अब कोशिश यही है कि सभी जनप्रतिनिधियों से राय लेकर और अधिकारियों के साथ बैठकर सुस्पष्ट नियमावली का काम आगे बढ़ाएं. ताकि जनता उसको सहज रूप से समझ सके और कोई भी अधिकारी उसमें इधर-उधर की कार्रवाई करने की हिम्मत न जुटा पाए.''
सभी योजनाओं का होगा रिव्यू : वहीं पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की ओर से चलाए गए प्रशासन शहरों के संग अभियान को लेकर खर्रा ने कहा, ''उसमें कई कमी और खामियों की शिकायत मिली है और उन्होंने खुद इसको अनुभव किया है. ऐसे में अब सबसे पहले उस अभियान की समीक्षा की जाएगी और आने वाले 100 साल में जनता को इस पट्टा वितरण अभियान से किसी तरह की परेशानी न हो, इस तरह का सुधार करने के बाद निश्चित रूप से ये अभियान भविष्य में भी जारी रह सकता है. इसमें जनहित में अनावश्यक छूट ना देकर अभियान को जारी रखा जा सकेगा.''
इस दौरान पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना द्रव्यवती नदी सहित अन्य प्रोजेक्ट्स को लेकर खर्रा ने कहा, ''पूरे विभाग के जितने भी प्रोजेक्ट हैं, सभी का रिव्यू किया जाएगा और उसके बाद अगले सप्ताह वो हर प्रश्न का जवाब देने में सक्षम होंगे.