जयपुर. 15 अगस्त 1947 का वो दिन जब देशवासियों ने आजाद भारत की सुबह देखी. उस दिन हर देशवासी उत्साह से भरा था. पूरे देश में जश्न का माहौल था. जयपुर भी इस माहौल से अछूता नहीं था. यहां युवा तरुणाई के साथ आजाद मोर्चा ने प्रभात फेरी निकाली थी, तो टीकाराम पालीवाल ने प्रजामंडल के साथ बड़ी चौपड़ पर तिरंगा ध्वज फहराया गया था. शाम ढलने पर बाबा हरिश्चंद्र के नेतृत्व में मशाल जुलूस निकाला गया था. उस दिन गुलाबी नगरी भारत माता के जयकारों से गूंज उठी थी. यही नहीं जयपुर में हर घर पर घी के दिए जलाए गए थे. आजाद भारत के पहले दिन जयपुर में क्या हुआ था खास, पेश है ये रिपोर्ट....
जयपुर में बड़ी चौपड़ पर फहराया गया था तिरंगा : भारत देश आज अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है इन 77 सालों में देश अनेक सोपान चढ़ता, विकास के नए आयाम गढ़ता, प्रगति के पथ पर अग्रसर हुआ. परंतु स्वतंत्रता दिवस मनाने का उत्साह आज भी 15 अगस्त 1947 जैसा ही है जब देश आजाद हुआ. तब गुलाबी नगरी में पहला तिरंगा ह्रदयस्थली कहे जाने वाले बड़ी चौपड़ पर फहराया गया था. राजस्थान समग्र सेवा संघ के अध्यक्ष सवाई सिंह ने बताया कि 15 अगस्त 1947 से पहले राजस्थान में रियासत की व्यवस्था थी और रियासत के पीरियड में यहां प्रजामंडल काम करती थी. प्रजामंडल के माध्यम से ही आजादी का आंदोलन चलाया गया. जब देश के स्वतंत्र होने की घोषणा हुई, तो जयपुर में भी बड़े जश्न का माहौल बना.
प्रजामंडल के बड़े नेताओं ने यहां जगह-जगह झंडारोहण किया, लेकिन पहला और बड़ा झंडारोहण कांग्रेस नेता टीकाराम पालीवाल ने बड़ी चौपड़ पर किया था. जिसमें हजारों लोग शरीक हुए. इस दौरान आजादी के जश्न से लेकर, आजादी को बरकरार रखने को लेकर चर्चा हुई. ये ऐसा जश्न था, जिससे पूरे प्रदेश को ये पता लग गया था कि अब हम आजाद हैं, अंग्रेजों का राज यहां से खत्म हो गया है. हम अपने ढंग से अपनी व्यवस्थाएं चलाएंगे. उस वक्त जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह जयपुर में नहीं थे, लेकिन उनके प्रधानमंत्री टी कृष्णमाचारी झंडारोहण समारोह में शामिल हुए थे. उनके अलावा कांग्रेस के अन्य नेता दौलतमंद भंडारी, देवी शंकर तिवाड़ी और अन्य रियासतों के प्रतिनिधि अमर सिंह, कुशल सिंह भी मौजूद रहे थे. इससे पहले 14 अगस्त की शाम महाराजा कॉलेज में प्रजामंडल से अलग आजाद मोर्चा की मीटिंग हुई थी. फिर विद्यार्थियों को साथ लेकर 15 अगस्त की सुबह आजाद मोर्चा ने प्रभात फेरी निकाली. इस बाद में महाराजा कॉलेज में ध्वजारोहण किया. बड़ी चौपड़ और महाराजा कॉलेज में आज भी उन्हीं स्थानों पर ध्वजारोहण होता है.
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भारत माता के जयकारों के साथ निकला था मशाल जुलूस : महात्मा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ़ गवर्नेंस एंड सोशल साइंसेज के निदेशक प्रो बीएम शर्मा ने बताया कि आजादी की पहली शाम को बाबा हरिश्चन्द्र ने भारत माता जयकारों के साथ शहर में मशाल जुलूस निकाल कर आजादी का जश्न मनाया गया था. जिसमें शहर की युवा तरुणाई के साथ तिरंगा यात्रा की. वहीं जयपुर वासी देश की आजादी बरकरार रहे और देश दिनों दिन तरक्की करें इस कामना के साथ जयपुर के आराध्य गोविंद देवजी के मंदिर गए थे. आजादी के दिन गोविंद देव जी में होने वाली सभी झांकियां में शहर वासियों का हुजूम उमड़ पड़ा था.
घरों में जलाए गए थे घी के दीये : वहीं आजादी की रात को शहर की हर एक घर में घी के दीये जोड़े गए थे. प्रो शर्मा ने बताया कि उस दौर में जयपुर नगर पालिका ने कई क्विंटल मिलावटी घी पकड़ा था. तब इस घी को नष्ट करने की प्लानिंग थी. इसी बीच आजादी का दिन आया, तो नगर पालिका अध्यक्ष गुलाबचन्द कासलीवाल ने उस घी को नष्ट करने की बजाय घरों में बंटवा दिया था. जिससे शहर भर के घर और हवेलियां जगमग हो उठी थी.
दलितों के साथ बांटी आजादी की खुशी : उस दौर में जयपुर के सेठ सोहनलाल दुग्गड़ ने आजादी की खुशी में शहर के सभी दलितों को खुद की हवेली पर बुलवाकर भोजन करवाया था. और खुद भी दलितों के साथ ही भोजन किया था. यही नहीं दलित कन्याओं को मिठाई खिलाई थी. यही नहीं दुग्गड़ ने दलित महिलाओं को साड़ी के लिए 5-5 रुपए भी दिए थे. दरअसल, उस दौर में महात्मा गांधी ने दलित कल्याण कार्यक्रम चला रखा था. सेठ सोहनलाल दुग्गड़ उनके इस दलित कल्याण कार्यक्रम से काफी प्रभावित थे