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Rajasthan High Court: धरने-प्रदर्शन और रैली को लेकर अब तक दिए आदेश को लेकर जवाब पेश करे सरकार

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Published : Aug 3, 2023, 6:57 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने भाजपा की ओर से हाल ही में आयोजित (High Court instructions to the government) सचिवालय घेराव के दौरान शहर में लगे जाम को लेकर सुनवाई की. कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार से जवाब पेश करने को कहा है.

Rajasthan High Court,  present the answer regarding the orders
आदेश को लेकर जवाब पेश करे सरकार.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने भाजपा की ओर से हाल ही में आयोजित सचिवालय घेराव को लेकर शहर में हुए जाम को लेकर राज्य सरकार से जवाब पेश करने को कहा है. इसके साथ ही अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को गृह विभाग में सचिव स्तर का अधिकारी नियुक्त करना चाहिए. यह अधिकारी विभिन्न अदालतों की ओर से इस संबंध में दिए आदेश को समग्र कर वस्तुस्थिति देखे. वहीं अदालत ने प्रकरण पर सुनवाई 21 अगस्त को रखी है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान गुरुवार को डीसीपी दक्षिण योगेश गोयल और डीसीपी ट्रैफिक प्रहलाद कृष्णिया अदालत में पेश हुए. अदालत ने कहा कि वर्ष 2016 से अब तक अलग-अलग याचिकाओं में कोर्ट ने धरने, प्रदर्शन और रैली के चलते हुए जाम के हालातों को लेकर दिशा-निर्देश दे रखे हैं, लेकिन अधिकारियों को इसकी जानकारी ही नहीं है. अदालत कई बार जनहित में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर निर्देश देती है, लेकिन उस बिन्दु पर कोर्ट की ओर से पूर्व में ही आदेश दिए हुए होते हैं. इसके बावजूद भी अधिकारी कोर्ट को इसकी जानकारी नहीं देते.

पढ़ेंः Rajasthan Highcourt : क्या पुलिस राजनीतिक पार्टियों के दबाव में काम कर रही है? शहर के बीच रैली की अनुमति क्यों दी?

अदालत ने डीसीपी दक्षिण योगेश गोयल से पूछा कि वो धरने, प्रदर्शन व रैली आयोजित करने के लिए किस परिपत्र या आदेश के आधार पर अनुमति देते हैं?. अदालत ने डीसीपी से पूछा कि क्या सरकारी परिपत्र के आधार पर इसकी अनुमति दी जाती है या इस संबंध में दिए अदालती आदेश को ध्यान में रखा जाता है. अदालत ने यह भी कहा कि यातायात संभालना हमारा काम नहीं है, यह तो अफसरों को ही करना पडे़गा. कोर्ट में पूर्व में आदेश दे रखे हैं. सरकार या तो उन आदेश को अपीलीय अदालत में चुनौती दे और यदि ऐसा नहीं किया जाता तो आदेश की पालना की जाए.

गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने जुलाई 2017 में शहरी सीमा में रैली और जुलूस आदि के आयोजन पर रोक लगा दी थी. वहीं बाद में सरकार की रिपोर्ट के आधार पर प्रदर्शनकारियों की संख्या के आधार पर कलेक्टर कार्यालय के बाहर, विद्याधर नगर, और मानसरोवर में धरने की अनुमति दी गई. हाईकोर्ट सुबह और शाम के वक्त भी ऐसे आयोजन पर रोक लगा चुका है. वहीं गत एक अगस्त को भाजपा की रैली से जाम के हालात होने पर हाईकोर्ट ने एक बार फिर स्व प्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने भाजपा की ओर से हाल ही में आयोजित सचिवालय घेराव को लेकर शहर में हुए जाम को लेकर राज्य सरकार से जवाब पेश करने को कहा है. इसके साथ ही अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को गृह विभाग में सचिव स्तर का अधिकारी नियुक्त करना चाहिए. यह अधिकारी विभिन्न अदालतों की ओर से इस संबंध में दिए आदेश को समग्र कर वस्तुस्थिति देखे. वहीं अदालत ने प्रकरण पर सुनवाई 21 अगस्त को रखी है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

सुनवाई के दौरान गुरुवार को डीसीपी दक्षिण योगेश गोयल और डीसीपी ट्रैफिक प्रहलाद कृष्णिया अदालत में पेश हुए. अदालत ने कहा कि वर्ष 2016 से अब तक अलग-अलग याचिकाओं में कोर्ट ने धरने, प्रदर्शन और रैली के चलते हुए जाम के हालातों को लेकर दिशा-निर्देश दे रखे हैं, लेकिन अधिकारियों को इसकी जानकारी ही नहीं है. अदालत कई बार जनहित में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर निर्देश देती है, लेकिन उस बिन्दु पर कोर्ट की ओर से पूर्व में ही आदेश दिए हुए होते हैं. इसके बावजूद भी अधिकारी कोर्ट को इसकी जानकारी नहीं देते.

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अदालत ने डीसीपी दक्षिण योगेश गोयल से पूछा कि वो धरने, प्रदर्शन व रैली आयोजित करने के लिए किस परिपत्र या आदेश के आधार पर अनुमति देते हैं?. अदालत ने डीसीपी से पूछा कि क्या सरकारी परिपत्र के आधार पर इसकी अनुमति दी जाती है या इस संबंध में दिए अदालती आदेश को ध्यान में रखा जाता है. अदालत ने यह भी कहा कि यातायात संभालना हमारा काम नहीं है, यह तो अफसरों को ही करना पडे़गा. कोर्ट में पूर्व में आदेश दे रखे हैं. सरकार या तो उन आदेश को अपीलीय अदालत में चुनौती दे और यदि ऐसा नहीं किया जाता तो आदेश की पालना की जाए.

गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने जुलाई 2017 में शहरी सीमा में रैली और जुलूस आदि के आयोजन पर रोक लगा दी थी. वहीं बाद में सरकार की रिपोर्ट के आधार पर प्रदर्शनकारियों की संख्या के आधार पर कलेक्टर कार्यालय के बाहर, विद्याधर नगर, और मानसरोवर में धरने की अनुमति दी गई. हाईकोर्ट सुबह और शाम के वक्त भी ऐसे आयोजन पर रोक लगा चुका है. वहीं गत एक अगस्त को भाजपा की रैली से जाम के हालात होने पर हाईकोर्ट ने एक बार फिर स्व प्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया है.

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