जयपुर. ग्रेटर नगर निगम महापौर कमिश्नर व पार्षद विवाद प्रकरण में बर्खास्त हुए तीनों पार्षदों को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाई कोर्ट ने तीनों पार्षदों के बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया है. जस्टिस इंद्रजीत सिंह की एकल पीठ के आदेश के साथ ही पारस जैन, अजय सिंह और शंकर शर्मा ग्रेटर नगर निगम में वापसी हुई.
स्वायत्त शासन निदेशालय की ओर से पिछले साल 22 अगस्त को आदेश जारी कर वार्ड 72 से पार्षद पारस जैन, वार्ड 39 से अजय सिंह और वार्ड 103 से निर्दलीय पार्षद शंकर शर्मा को पद से बर्खास्त किया गया था. तीनों ही पार्षदों को सरकार ने न्यायिक जांच में दोषी पाए जाने के बाद बर्खास्त किया था. सरकार से जारी आदेशों के बाद इन तीनों पार्षदों को अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य घोषित कर दिया था.
हालांकि बर्खास्तगी के आदेशों को बुधवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया. ऐसे में अब तीनों बर्खास्त पार्षद एक बार फिर पार्षद बनेंगे. पार्षदों की ओर से सीनियर एडवोकेट आरएन माथुर सहित एडवोकेट आरके डागा और अखिल सिमलोट ने कहा कि मामले में प्रार्थियों को सरकार ने सुनवाई का कोई मौका नहीं दिया है. सरकार का ऐसा करना प्राकृतिक न्याय के सिद्दांतों का उल्लंघन है. इसी मामले में हाईकोर्ट पहले भी मेयर सौम्या गुर्जर को बर्खास्त करने वाले आदेश को रद्द कर चुका है.
ऐसे में प्रार्थियों का मामला और तथ्य भी पूर्व के मामले के समान ही हैं. इसलिए उन्हें बर्खास्त करने वाले आदेश को रद्द किया जाए और वापस पद पर बहाल किया जाए. कोर्ट ने प्रार्थियों की बहस को सुनकर उन्हें बर्खास्त करने वाला आदेश रद्द कर दिया. कोर्ट से राहत मिलने के बाद पार्षद पारस जैन ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं. इस पर कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है. जो बर्खास्तगी के आदेश थे, उन्हें कोर्ट ने निरस्त कर दिया. अब सरकार को फ्रेश नोटिस जारी कर जवाब प्राप्त करने के लिए कहा गया है. लेकिन फिलहाल उनकी बहाली हो गई है. उन्होंने कहा कि जिस तरह के न्याय की कोर्ट से उम्मीद थी, वो मिला है.
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बता दें सरकार ने 6 जून 2021 को सबसे पहले इन सभी को निलंबित कर दिया था. इन पार्षदों को तत्कालीन नगर निगम ग्रेटर के कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव के साथ मारपीट, धक्का-मुक्की और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के मामले में दोषी मानते हुए निलंबित किया था. इसके बाद सरकार ने इन तीनों पार्षदों के साथ मेयर सौम्या गुर्जर के खिलाफ न्यायिक जांच शुरू करवा दी थी. जिसमें दोषी पाए जाने पर इन पार्षदों को बर्खास्त किया गया था.