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जयपुर के एसएमएस अस्पताल में दवा नहीं...सरकार का दावा खोखला...मरीज परेशान

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना का दायरा बढ़ाया गया था. जिसमें कैंसर, हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियों को भी जोड़ा गया था. लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जयपुर के एसएमएस अस्पताल में दवा नहीं है, जिसके कारण गरीब मरीज मरने के कगार पर है.

एसएमएस अस्पताल में दवा नहीं
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Published : Aug 1, 2019, 11:28 AM IST

जयपुर: राज्य की गहलोत सरकार ने कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का उपचार फ्री करने की भले ही घोषणा कर दी हो, लेकिन अभी भी कैंसर पीड़ित को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. सरकारी दुकानों पर कैंसर की फ्री दवा नहीं मिल रही है और दवा महंगी होने के चलते कैंसर पीड़ित इसे खरीद नहीं पा रहे हैं. ऐसा ही एक मामला मानवाधिकार आयोग के सामने आया, जहां पर कैंसर पीड़ित के पति ने आयोग के समक्ष गुहार लगाते हुए कहा कि सरकारी दुकानों पर कैंसर की फ्री दवा नहीं मिल रही है. जिसके चलते मेरी पत्नी की जान खतरे में है. उन्होंने कहा कि अब तक 6 लाख रुपए की दवा खरीद चुके है. अब पैसा नहीं है. अगर दवा नहीं मिली तो पत्नी मर जाएगी. इस पर मानवाधिकार आयोग ने मजिस्ट्रेट सहकारी समिति और जिला कलेक्टर को परिवादी की पत्नी को 4 अगस्त से पहले दवा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं.

एसएमएस अस्पताल में दवा नहीं
पीड़ित पति की गुहार के बाद राज्य मानव अधिकार आयोग ने कहा कि मामला काफी संवेदनशील और अपातकालीन प्रकृति का भी है. ऐसे में सहकारी समिति राजस्थान मजिस्ट्रेट और जिला कलेक्टर से अपेक्षा की जाती है कि वह परिवादी की पत्नी की दवाई की व्यवस्था 4 अगस्त से पहले सुनिश्चित करें. आयोग के अनुसार परिवादी जगदीश चंद्र बारेगामा की पत्नी कोमल देवी कैंसर रोग से पीड़ित है. इसका इलाज एसएमएस अस्पताल में चल रहा है. जहां मेडिकल बोर्ड ने प्रतिदिन ओलापेरीब 600 एमजी की दवा देने की सलाह दी है. इस दवाई की 14 दिन की कीमत ₹3.06 लाख है. पीड़िता को इसकी 6 साइकिल लेनी होती है और 18 लाख रुपए की कीमत चुकानी होती है. ऐसे में परिवादी के पास आर्थिक तंगी के चलते हैं वह इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है.

ये भी पढ़ें- उदयपुर में एसीबी की बड़ी कार्रवाई, लेखा विभाग के दो अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी
बता दें कि प्रदेश में कांग्रेस की गहलोत सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना का दायरा बढ़ाया गया था. जिसमें कैंसर, हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियों को भी जोड़ा गया था. लेकिन जिस तरह से कैंसर रोगी पीड़ित का मामला मानवाधिकार आयोग पहुंचा है और उसमें साफ हुआ है कि सरकार की घोषणा के बाद भी सरकारी दुकानों पर फ्री दवा उपलब्ध नहीं है. तो ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि सरकार निशुल्क दवा योजना के नाम पर सिर्फ वाहवाही लूटना चाहती है. लेकिन धरातल पर इसका अभी तक कोई परिणाम नजर नहीं आ रहा है.

जयपुर: राज्य की गहलोत सरकार ने कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का उपचार फ्री करने की भले ही घोषणा कर दी हो, लेकिन अभी भी कैंसर पीड़ित को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. सरकारी दुकानों पर कैंसर की फ्री दवा नहीं मिल रही है और दवा महंगी होने के चलते कैंसर पीड़ित इसे खरीद नहीं पा रहे हैं. ऐसा ही एक मामला मानवाधिकार आयोग के सामने आया, जहां पर कैंसर पीड़ित के पति ने आयोग के समक्ष गुहार लगाते हुए कहा कि सरकारी दुकानों पर कैंसर की फ्री दवा नहीं मिल रही है. जिसके चलते मेरी पत्नी की जान खतरे में है. उन्होंने कहा कि अब तक 6 लाख रुपए की दवा खरीद चुके है. अब पैसा नहीं है. अगर दवा नहीं मिली तो पत्नी मर जाएगी. इस पर मानवाधिकार आयोग ने मजिस्ट्रेट सहकारी समिति और जिला कलेक्टर को परिवादी की पत्नी को 4 अगस्त से पहले दवा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं.

एसएमएस अस्पताल में दवा नहीं
पीड़ित पति की गुहार के बाद राज्य मानव अधिकार आयोग ने कहा कि मामला काफी संवेदनशील और अपातकालीन प्रकृति का भी है. ऐसे में सहकारी समिति राजस्थान मजिस्ट्रेट और जिला कलेक्टर से अपेक्षा की जाती है कि वह परिवादी की पत्नी की दवाई की व्यवस्था 4 अगस्त से पहले सुनिश्चित करें. आयोग के अनुसार परिवादी जगदीश चंद्र बारेगामा की पत्नी कोमल देवी कैंसर रोग से पीड़ित है. इसका इलाज एसएमएस अस्पताल में चल रहा है. जहां मेडिकल बोर्ड ने प्रतिदिन ओलापेरीब 600 एमजी की दवा देने की सलाह दी है. इस दवाई की 14 दिन की कीमत ₹3.06 लाख है. पीड़िता को इसकी 6 साइकिल लेनी होती है और 18 लाख रुपए की कीमत चुकानी होती है. ऐसे में परिवादी के पास आर्थिक तंगी के चलते हैं वह इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है.

ये भी पढ़ें- उदयपुर में एसीबी की बड़ी कार्रवाई, लेखा विभाग के दो अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी
बता दें कि प्रदेश में कांग्रेस की गहलोत सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना का दायरा बढ़ाया गया था. जिसमें कैंसर, हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियों को भी जोड़ा गया था. लेकिन जिस तरह से कैंसर रोगी पीड़ित का मामला मानवाधिकार आयोग पहुंचा है और उसमें साफ हुआ है कि सरकार की घोषणा के बाद भी सरकारी दुकानों पर फ्री दवा उपलब्ध नहीं है. तो ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि सरकार निशुल्क दवा योजना के नाम पर सिर्फ वाहवाही लूटना चाहती है. लेकिन धरातल पर इसका अभी तक कोई परिणाम नजर नहीं आ रहा है.

Intro:जयपुर

कैंसर रोग से पीड़ित महिला के पति की मानव अधिकार आयोग को गुहार , कहा 6 हजार की दवा खरीद चुका , अब रुपए नहीं , दवा नहीं मिली तो पत्नी मर जाएगी

एंकर:- राज्य की गहलोत सरकार ने कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का उपचार फ्री करने की भले ही घोषणा कर दी हो लेकिन अभी भी कैंसर पीड़ित को इसका लाभ नहीं मिल रहा है सरकारी दुकानों पर कैंसर की फ्री दवा नहीं मिल रही है और दवा महंगी होने के चलते कैंसर पीड़ित इसे खरीद नहीं पा रहे हैं ऐसा एक मामला मानव अधिकार आयोग के सामने आए जहां पर कैंसर पीड़ित के पति ने आयोग के समक्ष गुहार लगाते हुए कहा कि सरकारी दुकानों पर कैंसर की फ्री दवा नहीं मिल रही है उन्होंने अब तक छह लाख की दवा खरीद ली अब उनके पास पैसे नहीं है अगर दवा नहीं मिली तो उनकी पत्नी मर जाएगी इस पर मानव अधिकार आयोग ने मजिस्ट्रेट सहकारी समिति और जिला कलेक्टर को परिवादी की पत्नी को दवाई की व्यवस्था 4 अगस्त से पहले करने के निर्देश दिए हैं ।


Body:VO:- दरअसल एसएमएस अस्पताल में उपभोक्ता संघ की दुकानों पर कैंसर की दवाइयां उपलब्ध नहीं है बाजार से ₹6 लाख की दवाई खरीद ने के बाद जब कैंसर पीड़ित महिला के पति के पास दवा खरीदने के पैसे खत्म हो गए तब उसने मानव अधिकार आयोग के सामने अपनी व्यथा बताई , पीड़ित ने कहा कि अगर दवा नहीं मिली तो उसकी पत्नी की मृत्यु निश्चित है कैंसर पीड़ित पति की गुहार को लेकर राज्य मानव अधिकार आयोग ने कहा कि मामला काफी संवेदनशील और अपातीक प्रकृति का भी है ऐसे में सहकारी समिति राजस्थान मजिस्ट्रेट और जिला कलेक्टर से अपेक्षा की जाती है कि वह परिवादी की पत्नी की दवाई की व्यवस्था 4 अगस्त से पहले सुनिश्चित करें , आयोग के अनुसार परिवादी जगदीश चंद्र बारेगामा की पत्नी कोमल देवी कैंसर रोग से पीड़ित है इसका इलाज एसएमएस अस्पताल में चल रहा है मेडिकल बोर्ड गठित दवा ओलापेरीब 600 एमजी प्रतिदिन देने की सलाह दी है इस दवाई की 14 दिन की कीमत ₹306000 पीड़िता को इसकी 6 साइकिल लेनी है और कीमत ₹1800000 है ऐसे में परिवादी के पास आर्थिक तंगी के चलते हैं वह इतनी बड़ी रकम की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है ।


Conclusion:VO:- दरअसल प्रदेश में कांग्रेस की गहलोत सरकार बनने के साथ ही मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना का दायरा बढ़ाया गया था और इसमें कैंसर हार्ट जैसी गंभीर बीमारियों को भी जोड़ा गया था लेकिन जिस तरह से कैंसर रोगी पीड़ित का मामला मानव अधिकार आयोग पहुंचा है और उसमें साफ हुआ है कि सरकार की घोषणा के बाद भी सरकारी दुकानों पर फ्री दवा उपलब्ध नहीं है ऐसे में बड़ा सवाल ये कि सरकार निशुल्क दवा योजना के नाम पर सिर्फ वाहवाही लूटना चाहती है धरातल पर इसका अभी तक कोई परिणाम नजर नहीं आ रहा है
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