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आवारा कुत्तों के आतंक को खत्म करने के लिए मेयर ने लगाई सरकार से गुहार

निगम की मुट्ठी से बजरी की तरह फिसली हुई बाजी पर काबू पाने के लिए अब मेयर ने सरकार से कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए पत्र लिखा है. मामला शहर में आवारा कुत्तों के आतंक का है जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर पुनर्विचार के लिए मेयर ने यूडीएच मंत्री को पत्र भेजा है.

मेयर ने यूडीएच मंत्री को पत्र भेजा
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Published : May 25, 2019, 9:12 AM IST

जयपुर. जिले में आवारा कुत्तों का आतंक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. इसे लेकर निगम की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढने के लिए मेयर विष्णु लाटा ने अब यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को पत्र भेजा है.

जिसमें लिखा है कि आवारा कुत्तों की रोकथाम और आमजन की सुरक्षा के लिए उनकी बाड़ाबंदी करना जरूरी है. इसके लिए राज्य सरकार अपने स्तर पर कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करें. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार संबंधित निकाय की ओर से आवारा कुत्तों को जहां से पकड़ा जाता है, उनका बधियाकरण करने के बाद दोबारा उसी स्थान पर छोड़ना पड़ता है.

मेयर ने यूडीएच मंत्री को पत्र भेजा

महापौर का तर्क है कि बधियाकरण और टीकाकरण के बाद अधिकांश कुत्तों के स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं आता और आदतन रूप से किसी ना किसी को काटते रहते हैं. लेकिन कोर्ट की सख्ती के कारण नगर निगम अपने स्तर पर कुत्तों की बाड़ाबंदी या उनका स्थान परिवर्तन नहीं कर सकता. महापौर ने पत्र में लिखा है कि कुत्तों के काटने से जयपुर में एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है.

ये बात तय है कि निगम अपनी नाकामी को छुपाने के लिए कोर्ट के निर्देशों की आड़ ले रहा है. लेकिन अब जब निगम मान चुका है कि ये मामला उनकी पकड़ से बाहर हो गया है, तो जरूरत है कि सरकार इसका रास्ता निकालें.

जयपुर. जिले में आवारा कुत्तों का आतंक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. इसे लेकर निगम की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढने के लिए मेयर विष्णु लाटा ने अब यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को पत्र भेजा है.

जिसमें लिखा है कि आवारा कुत्तों की रोकथाम और आमजन की सुरक्षा के लिए उनकी बाड़ाबंदी करना जरूरी है. इसके लिए राज्य सरकार अपने स्तर पर कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करें. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार संबंधित निकाय की ओर से आवारा कुत्तों को जहां से पकड़ा जाता है, उनका बधियाकरण करने के बाद दोबारा उसी स्थान पर छोड़ना पड़ता है.

मेयर ने यूडीएच मंत्री को पत्र भेजा

महापौर का तर्क है कि बधियाकरण और टीकाकरण के बाद अधिकांश कुत्तों के स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं आता और आदतन रूप से किसी ना किसी को काटते रहते हैं. लेकिन कोर्ट की सख्ती के कारण नगर निगम अपने स्तर पर कुत्तों की बाड़ाबंदी या उनका स्थान परिवर्तन नहीं कर सकता. महापौर ने पत्र में लिखा है कि कुत्तों के काटने से जयपुर में एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है.

ये बात तय है कि निगम अपनी नाकामी को छुपाने के लिए कोर्ट के निर्देशों की आड़ ले रहा है. लेकिन अब जब निगम मान चुका है कि ये मामला उनकी पकड़ से बाहर हो गया है, तो जरूरत है कि सरकार इसका रास्ता निकालें.

Intro:निगम की मुट्ठी से बजरी की तरह फिसली हुई बाजी पर काबू पाने के लिए अब मेयर ने सरकार से कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए पत्र लिखा है। मामला शहर में आवारा कुत्तों के आतंक का है जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर पुनर्विचार के लिए मेयर ने यूडीएच मंत्री को पत्र भेजा है।


Body:जयपुर में आवारा कुत्तों का आतंक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। इसे लेकर निगम की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढने के लिए मेयर विष्णु लाटा ने अब यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को पत्र भेजा है। जिसमें लिखा है कि आवारा कुत्तों की रोकथाम और आमजन की सुरक्षा के लिए उनकी बाड़ाबंदी करना जरूरी है। इसके लिए राज्य सरकार अपने स्तर पर कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करें। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार संबंधित निकाय की ओर से आवारा कुत्तों को जहां से पकड़ा जाता है, उनका बधियाकरण करने के बाद दोबारा उसी स्थान पर छोड़ना पड़ता है। महापौर का तर्क है कि बधियाकरण और टीकाकरण के बाद अधिकांश कुत्तों के स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं आता। और आदतन रूप से किसी ना किसी को काटते रहते हैं। लेकिन कोर्ट की सख्ती के कारण नगर निगम अपने स्तर पर कुत्तों की बाड़ाबंदी या उनका स्थान परिवर्तन नहीं कर सकता। महापौर ने पत्र में लिखा है कि कुत्तों के काटने से जयपुर में एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है।


Conclusion:ये बात तय है कि निगम अपनी नाकामी को छुपाने के लिए कोर्ट के निर्देशों की आड़ ले रहा है। लेकिन अब जब निगम मान चुका है कि ये मामला उनकी पकड़ से बाहर हो गया है, तो जरूरत है कि सरकार इसका रास्ता निकालें।

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