जयपुर. प्रदेश के सफाई कर्मचारी एक बार फिर झाड़ू डाउन हड़ताल पर जाएंगे. सफाई कर्मचारियों ने 30 हजार पदों पर भर्ती की मांग को लेकर स्वायत्त शासन विभाग को 24 घंटे का फाइनल अल्टीमेटम दिया है. ऐसे में यदि 24 घंटे में सफाई कर्मचारियों की भर्ती की संशोधित विज्ञप्ति जारी नहीं की जाती है तो प्रदेश भर के वाल्मीकि समाज से जुड़े सफाई कर्मचारी सपरिवार आंदोलन करते हुए एक बार फिर हड़ताल की राह पर उतरेंगे.
राज्य सरकार की ओर से बीते महीने सफाई कर्मचारियों के 13 हजार 184 पदों पर भर्ती निकाली गई थी. वाल्मीकि समाज ने आरक्षण पद्धति के आधार पर कराए जा रहे इस भर्ती का विरोध करते हुए हड़ताल की थी. ऐसे में सरकार को इस भर्ती प्रक्रिया को स्थगित करना पड़ा. वहीं, 26 अप्रैल को सफाई कर्मचारी की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई गई थी, जिसे एक महीना बीत चुका है. ऐसे में अब वाल्मीकि समाज ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से की गई 30 हजार पदों पर भर्ती की मांग को लेकर सोमवार को डीएलबी पहुंच फाइनल अल्टीमेटम दिया.
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वाल्मीकि समाज सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया ने बताया कि बीते दिनों 13 हजार 184 रिक्त पदों पर भर्ती विज्ञप्ति निकाली गई. उसमें वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता देने का उल्लेख नहीं किया गया था. जिसका विरोध किया गया. 4 दिन हड़ताल की गई. उसके बाद समझौता किया गया कि स्टाफिंग पैटर्न पर सफाई कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी. और जल्द संशोधित विज्ञप्ति निकाली जाएगी. जिसमें वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता देने का उल्लेख किया जाएगा. लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद भी अब तक संशोधित विज्ञप्ति जारी नहीं हुई है. इसे लेकर पहले 3 दिन का ज्ञापन दिया गया था, और अब 24 घंटे का फाइनल अल्टीमेटम दिया गया है.
यदि 24 घंटे में संशोधित विज्ञप्ति जारी नहीं होती है तो जयपुर शहर सहित पूरे राजस्थान में पहली की तरह झाड़ू डाउन हड़ताल की जाएगी. वाल्मीकि समाज से जुड़े सभी लोग काम छोड़ आंदोलन करते हुए हड़ताल करेंगे. उन्होंने बताया कि स्वायत्त शासन भवन पहुंचकर डायरेक्टर की अनुपस्थिति में एडिशनल डायरेक्टर को ज्ञापन दिया है. और 24 घंटे में मांग पूरी नहीं होती तो हड़ताल पर जाना निश्चित है.
आपको बता दें कि सफाई कर्मचारियों के पदों पर आखिरी बार साल 2018 में भर्ती हुई थी. उस वक्त भर्ती आरक्षण पद्धति के आधार पर की गई थी. लेकिन इस बार वाल्मीकि समाज से जुड़े सफाई कर्मचारी अपने समाज के लोगों को प्राथमिकता देने की मांग पर अड़े हुए हैं.