जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव में महज एक महीने का समय बचा है. चुनावों में युवाओं की भूमिका अहम रहती है, ऐसे में प्रमुख राजनीतिक दल युवाओं को रिझाने जुटे हैं. ये जिम्मेदारी पार्टियों ने अपने अनुषांगिक छात्र संगठन को सौंपी है. बीजेपी एबीवीपी की तरफ तो कांग्रेस एनएसयूआई की ओर टकटकी लगाए हुए है. वहीं, एसएफआई ने सीपीएम और निर्दलीय उम्मीदवारों के सपोर्ट में कमर कसी है.
वर्तमान समय में देश में आबादी का लगभग 65 फीसदी हिस्सा युवाओं का है. यही समीकरण राजस्थान में भी हैं, इसलिए प्रदेश के राजनीतिक दल भी काफी हद तक अपनी युवा टीम पर निर्भर हैं, खासकर उनसे जुड़े अनुषांगिक छात्र संगठनों पर. कांग्रेस से जुड़ा छात्र संगठन एनएसयूआई पूरी तरह विधानसभा चुनाव में जुट गया है. संगठन के कई पदाधिकारी विधानसभा चुनावों में टिकट की दावेदारी भी जता रहे हैं. वहीं, NSUI कार्यकर्ता कांग्रेस की ओर से मिली गाइडलाइन पर काम करना शुरू कर चुके हैं.
नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI): एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश भाटी ने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के लिए मैदान में उतरेगी. हाल ही में संगठन ने अपना सदस्यता अभियान पूर्ण किया है. जो नए वोटर हैं, उनको चिह्नित करते हुए एक पर्चा तैयार करवाया है कि कांग्रेस को क्यों चुनें? इस पर्चे के जरिए युवाओं और किसानों के बीच जाएंगे. उनको बताएंगे कि बीते 5 साल में कांग्रेस पार्टी ने क्या काम किया है, कौन सी योजना उनके लिए लाई गई, जिसके आधार पर वो आने वाले विधानसभा चुनाव में दोबारा कांग्रेस पार्टी को चुनेंगे.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परीषद (ABVP) : युवाओं के वोट के लिए बीजेपी काफी हद तक एबीवीपी पर निर्भर है. एबीवीपी के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने बताया कि बीते 5 साल में बहन-बेटियों के साथ अन्याय हुआ, परीक्षा में घोटाला हुआ, छात्र संघ चुनाव तक बंद किए गए. इनका हिसाब सरकार को देना होगा. राजस्थान में अब बुलडोजर नीति लाने वाली सरकार चाहिए. बुलडोजर नीति, राजनीतिक नियुक्तियों की जांच और आरपीएससी की प्रतिष्ठा बहाल करने को अपने चुनावी घोषणा पत्र में जोड़ने वाले राजनीतिक दल के साथ युवा जुड़ेंगे. उन्हीं का समर्थन करने के लिए नौजवान कस्बे से लेकर शहर में घूमेगा.
स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) : एबीवीपी और एनएसयूआई के अलावा राजस्थान में सक्रिय एसएफआई अपने गढ़ शेखावटी क्षेत्र में सीपीएम और एंटी बीजेपी-कांग्रेस दलों का समर्थन कर रही है. एसएफआई के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष जाखड़ ने बताया कि आम आदमी के लिए, जनता के लिए संघर्ष करने वाली सीपीएम को एसएफआई ने समर्थन दिया है. राजस्थान में जहां-जहां सीपीएम चुनाव लड़ रही है, वहां एसएफआई उनके साथ रहेगी. जहां सीपीएम चुनाव नहीं लड़ रही है, कोई वामपंथी पार्टी चुनाव नहीं लड़ रही है, वहां जो भी तीसरी पार्टी या निर्दलीय प्रत्याशी मजबूती से चुनावी मैदान में है, एसएफआई उनके साथ रहेगी. खास करके शेखावाटी संभाग में किसानों और मजदूरों के जनसंघर्षों को देखते हुए एसएफआई ने ये फैसला लिया है.
छात्र संगठनों की अहम भूमिका : बहरहाल, छात्रसंघ चुनावों में राजनीतिक दलों की दखलअंदाजी जरूर रहती है, लेकिन छात्र संगठनों को राजनीतिक दलों का सीधे तौर पर कोई सपोर्ट नहीं मिला. ये बात तय है कि विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की वैतरणी पार करने में छात्र संगठनों की अहम भूमिका रहेगी.