जयपुर. एक ऐसी बीमारी जो माता-पिता से बच्चों को अनुवांशिक मिलती है. इस बीमारी से जूझ रहे बच्चों के इलाज में लाखों रुपए का खर्च आता है. हालांकि प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएमएस में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के जरिए इस बीमारी से जूझ रहे बच्चों के लिए उम्मीद की किरण जगी है. खास बात ये है कि स्टेम सेल ट्रांसप्लांट चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत भी किया जा सकता है.
स्टेम सेल मूल कोशिकाएं होती हैं, जो शरीर में कोशिकाओं के निर्माण में सहायक है. ये रीजेनरेटिव मेडिसिन का हिस्सा है, जिसके जरिए खराब हो चुके अंगों को ठीक किया जा सकता है. बीते साल जयपुर के एसएमएस अस्पताल में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट किया गया. जिसे एक चमत्कार बताया जा रहा है. स्टेम सेल ट्रांसप्लांट थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए वरदान साबित हो सकता है. बशर्ते इस बीमारी को प्रारंभिक स्टेज में ही पहचान लिया जाए.
दरअसल, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के लिए एक डोनर की आवश्यकता होती है. डॉक्टर डोनर और मरीज दोनों को 5 दिनों तक कुछ दवाइयां देते हैं, जिससे मल्टीपल स्टेम सेल्स बनना शुरू हो जाता है. बाद में डॉक्टर उपयोगी स्टेम सेल्स को एक मशीन के जरिए ब्लड से अलग करते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में करीब 3 से 4 घंटे का समय लगता है. जिसमें डोनर को किसी तरह का दर्द नहीं होता. डोनेट हुए ब्लड में से स्टेम सेल्स अलग कर मरीज के शरीर में ट्रांसफ्यूज किया जाता है.
खास बात ये है कि एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में स्थित ब्लड बैंक को इसके लिए आवश्यक लाइसेंस भी प्राप्त है. जल्द ही कैंसर इंस्टिट्यूट और एसएमएस अस्पताल में स्थित ब्लड बैंक को भी ये लाइसेंस मिल जाएगा. बहरहाल, थैलेसीमिया रोग से पीड़ित मरीजों की संख्या भारत में सबसे ज्यादा है. अनुवांशिक रोग से हर साल 10 हजार से 15 हजार बच्चे पीड़ित मिलते हैं. चिकित्सा महकमा तो ये तक कहने लगा है कि अब शादी के वक्त कुंडली मिलाने के साथ-साथ ब्लड मैचिंग भी जरूर कराई जानी चाहिए. ऐसा करके ही देश को थैलेसीमिया से मुक्त किया जा सकेगा.
उधर, पुरातत्व विभाग की पहल पर सोमवार को वर्ल्ड थैलेसीमिया डे पर थैलेसीमिया पीड़ितों को स्मारक और संग्रहालय में निशुल्क प्रवेश के निर्देश जारी किए गए हैं. पुरातत्व विभाग के निदेशक डॉ महेंद्र सिंह खडगावत ने अल्बर्ट हॉल, आमेर, हवा महल, जंतर मंतर, नाहरगढ़ और शहर के अन्य स्मारकों में थैलेसीमिया पीड़ितों के प्रवेश को निशुल्क करने के निर्देश जारी किए हैं. इसके लिए थैलेसीमिया मरीज और उनके परिजन उपचार की डायरी और पहचान पत्र दिखाकर इन स्मारकों और संग्रहालयों पर निशुल्क भ्रमण कर सकेंगे.