जयपुर. ग्रेटर नगर निगम मेयर उचुनाव (Corporation Mayor By Election) को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त मधुकर गुप्ता ने (State Election Commissioner big statement) बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि महापौर के मामले को लेकर हाईकोर्ट ने इसलिए जल्दी फैसला सुनाया, क्योंकि राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रक्रिया शुरू कर दी थी. आयोग की प्रक्रिया शुरू होने की वजह से हाईकोर्ट पर दबाव बना, लिहाजा जल्द फैसला सुनाया गया, वरना सालों तक (HC gave decision under pressure) कोर्ट में मामले चलते रहते हैं.
आयोग की वजह से हाईकोर्ट प्रेशर में आया: आयोग के आयुक्त मधुकर गुप्ता ने कहा कि अगर कोई पद खाली पड़ा है तो क्या चुनाव नहीं करना चाहिए था ? हाईकोर्ट ने कमीशन पर कोई टिप्पणी नहीं की है. उन्होंने कहा कि जो प्रक्रिया है, उसको फॉलो नहीं किया गया. मेयर बर्खास्तगी को लेकर कोर्ट की टिप्पणी सरकार के लिए थी. आयोग को लेकर कोर्ट ने कुछ नहीं कहा. हमने तो बाद में भी वही किया जो हाईकोर्ट का आदेश था और उसके अनुसार ही सही वक्त पर चुनाव प्रक्रिया को रोका.
उन्होंने कहा कि जो खाली पद है, उस पर हम प्रक्रिया शुरू करते हैं. इसमें सरकार की तरफ से या सरकार के इशारे नहीं देखते हैं और ना ही सरकार आयोग को कोई इशारा करता है. निर्वाचन आयोग जो भी पद खाली है, उसको लेकर चुनाव कराता है. उन्होंने कहा कि कोर्ट में मामला सालों साल चलते हैं तो क्या तब तक इंतजार करेंगे ? अगर हम चुनाव की घोषणा नहीं करते तो कोर्ट का इतना जल्दी फैसला नहीं आता.
चुनाव प्रक्रिया पर सरकार का कोई दखल नहीं: दरअसल, ग्रेटर नगर निगम उपचुनाव को लेकर लगातार चली सियासी व कानूनी उठापटक के बीच मामला न्याय प्रक्रिया के अधीन है. राज्य निर्वाचन आयोग ने हाईकोर्ट के निर्देश के बाद उपचुनाव प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है, लेकिन मेयर उपचुनाव को लेकर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं. सवाल है कि अगर मामला पहले से ही न्यायालय में था तो आयोग ने निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू क्यों की ?.
क्या चुनाव जल्दी कराने की सरकार की मंशा थी ? इन सवालों का राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त मधुकर गुप्ता से जवाब दिया. उन्होंने कहा कि आयोग नियमों के अनुसार चुनाव प्रक्रिया शुरू करता है. इसमें सरकार की किसी तरह की कोई दखल नहीं होती है. आयोग के दबाव के चलते ही जयपुर ग्रेटर नगर निगम उपचुनाव पर हाईकोर्ट ने जल्दी फैसला सुनाया.
पद खाली रखना बहुत बड़ी भूल: मधुकर गुप्ता ने कहा कि लोकतंत्र में कोई भी पद खाली रखना एक बड़ी भूल है. जब भी कोई पद खाली होता है तो संबंधित विभाग निर्वाचन आयोग को सूचित करता है. उसकी सूचना के अनुसार ही निर्वाचन आयुक्त फिर अपनी चुनाव कार्यक्रम को जारी करते हैं. ऐसा कभी नहीं होता कि कोई सरकार या विभाग आयोग को निर्देश दे. वह सिर्फ अपने खाली पदों की सूचना आयोग देते हैं. इसके बाद आयोग तय करता है कि उसे कब चुनाव करना है और कब नहीं.