जयपुर. सूरत में हुए कोचिंग अग्निकांड मामले के बाद ईटीवी भारत सोमवार को राजधानी जयपुर के कोचिंग सेंटर्स का जायजा लेने पहुंचा. जहां हकीकत काफी गंभीर नजर आई. शहर के कई कोचिंग सेंटर बेसमेंट में चलते हुए मिले. जहां ना तो इमरजेंसी एग्जिट थी और ना ही फायर इक्विपमेंट.
वहीं कुछ कोचिंग सेंटर्स में फायर इक्विपमेंट तो थे लेकिन एक्सपायर्ड हो चुके है. वहीं कुछ कोचिंग सेंटर ऐसे भी थे जो चौथी या पांचवी मंजिल पर थे, लेकिन उनने भी फायर एनओसी नहीं ली थी. आपने प्यास लगने पर कुआं खोदने वाली कहावत तो सुनी होगी. कुछ ऐसा ही हाल राजधानी के कोचिंग सेंटर्स का है. जो शायद इंतजार कर रहे हैं सूरत जैसे किसी बड़े हादसे का.
ईटीवी भारत आज राजधानी के कुछ कोचिंग सेंटर्स में फायर इक्विपमेंट, फायर एनओसी और इमरजेंसी एग्जिट को लेकर रियलिटी चेक करने पहुंच, तो वहां हकीकत भयावह मिली. ईटीवी भारत ने शुरुआत टोंक रोड पर स्थित पैरामाउंट कोचिंग सेंटर से की. चार मंजिला इमारत में बने इस कोचिंग सेंटर में बेसमेंट में भी कक्षाएं लग रही थी. जहां कक्षाओं के बीच पार्टीशन के लिए वुडन वर्क हुआ था. इस कोचिंग सेंटर में करीब 400 छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं. लेकिन यदि यहां आग लगती है तो कोचिंग सेंटर के पास कोई इमरजेंसी एग्जिट नहीं है. यहां तक कि इस बिल्डिंग में लगे हुए फायर इक्विपमेंट भी 2 साल से रिफिल नहीं कराए गए है.
इसके बाद ईटीवी भारत की टीम लाल कोठी स्थित अपेक्स मॉल में चलने वाले विजन क्लासेस पहुंची. यहां संचालक की ओर से दावा किया गया कि तमाम फायर इक्विपमेंट इन ऑर्डर है और यहां फायर एग्जिट की भी व्यवस्था है. लेकिन लापरवाही इस हद तक कि यहां कोचिंग सेंटर के ठीक बाहर तारों का जंजाल लगा हुआ था. इसमें कई खुले तार भी थे. जिसमें हर समय शॉर्ट सर्किट की आशंका बनी रहती है.
आखिर में ईटीवी भारत की टीम सहकार मार्ग स्थित फेलिसिटी टावर स्थित चाणक्य कोचिंग सेंटर पहुंची. बीते महीने ही इसी फेलिसिटी टावर के चौथे फ्लोर पर आग लग गई थी. जिसमें लाखों का सामान जलकर खाक हो गया था. उस वक्त चाणक्य कोचिंग सेंटर पर कोई आंच नहीं आई. बावजूद इसके इस घटना से सीख ली जाए, कोचिंग सेंटर यूं ही चलता रहा. आलम ये था कि एक ही दरवाजे के पीछे तकरीबन पांच कक्षाएं और लाइब्रेरी संचालित है और जिस तरह का कोचिंग सेंटर का स्ट्रक्चर था उसमें एक गेट बंद होने के साथ ही सैकड़ों जिंदगी दांव पर लग सकती हैं.
इन तीनों ही कोचिंग सेंटर में एक चीज कॉमन थी, और वो थी निगम की ओर से किसी भी कोचिंग सेंटर को फायर एनओसी नहीं मिली हुई थी. बावजूद इसके संचालक बेपरवाह होकर सैकड़ों बच्चों को यहां तालीम दे रहे थे, ताकि उनका भविष्य संवर सके. लेकिन उनकी ये लापरवाही उनके भविष्य तो क्या वर्तमान को भी खतरे में डाले हुए है.