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राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट बदहाल...शिक्षकों की कमी के कारण ये कोर्स हुआ बंद

राजस्थान स्कूल ऑफ ऑटर्स की पढ़ाई के मामले में स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. यहां फीस के नाम पर मोटी रकम तो वसूली जाती है. लेकिन पढ़ाई के नाम पर कुछ भी नहीं होता.

राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट के विद्यार्थी
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Published : Apr 15, 2019, 11:45 PM IST

जयपुर. कभी जिन कलाकृतियों के लिए गुलाबी नगरी पूरी दुनिया में विख्यात थी. वह आज गुम होती नजर आ रही है. जो विद्यार्थी इनका हुनर ले रहे हैं उनका भविष्य भी अंधकार में डूबता जा रहा है. जी हां हम बात कर रहे है वर्ल्ड-आर्ट-डे के मौके पर राजस्थान के सबसे बड़े राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट की. पेश है यह खास रिपोर्ट.

कलाकृति के नाम पर दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाला स्कूल हो रहा गुमनामी का शिकार

राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट से निकलने वाले विद्यार्थी राजस्थान की शान हुआ करते थे. उनकी कलाकृति को न केवल जयपुर बल्कि विश्वभर में पहचान मिलती थी. लेकिन अब ये गुमनामी का शिकार हो गई है. इसमें दोष विद्यार्थियों का नहीं बल्कि सिस्टम का है.

दरअसल, राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट को पिछले पांच सालों से शिक्षा संकुल में संचालित किया जा रहा है. जहां पर फाइन ऑर्ट्स में 250 से ज्यादा विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. लेकिन इन विद्यार्थियों के लिए मात्र 30 प्रोफेसर लगे हुए हैं, जिनमें से 2 रिटायर हो गए और एक का राजनीतिक जुमलों के चलते ट्रांसफर हो गया. ऐसे में जो लगे हुए हैं, उनमें भी यूजीसी नॉर्म्स का उलंघन हो रहा है. जो शिक्षक वहां लगे हुए है वे यूजीसी नॉर्म्स के अनुसार नहीं है और विभाग ने बीए और एमए किए हुए शिक्षकों को लगा रखा है, जिनको आर्ट की जानकारी तक नहीं है.
इतना ही नहीं शिक्षकों की कमी के चलते पिछले दो साल से मास्टर इन स्कल्पचर आर्ट कोर्स को ही बंद कर दिया गया. वहीं बैचलर्स ऑफ स्कल्पचर आर्ट में 25 सीटें हैं, जिनमें महज 4 से 5 विद्यार्थी ही अध्ययनरत हैं. स्कूल ऑफ आर्ट में जहां हिंदी और अंग्रेजी विषय में एक शिक्षक से काम हो सकता है. उस पर तीन से चार शिक्षकों को लगा रखा है. वहीं जो लाइब्रेरियन और लैब असिस्टेंट हैं. उनका भी अप्रैल में रिटारमेंट होने वाला है.

स्कूल ऑफ आर्ट के विद्यार्थियों ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट को 1857 से किशनपोल बाजार में संचालित किया जाता था. जहां पर हेरिटेज अंदाज को एक कलाकार अपनी कला में उकेर सकता था. लेकिन पिछले कुछ सालों से स्कूल ऑफ आर्ट को शिक्षा संकुल में संचालित किया जा रहा. जहां पर हमारी सारी कला खत्म हो रही है.
विद्यार्थियों ने कहा कि जो शिक्षक लगे हुए हैं वो भी कला की जानकारी नहीं रखते हैं. शिक्षकों की कमी से आज मास्टर इन स्कल्पचर को भी बंद कर दिया गया. पिछले 10 सालों से एडमिशन भी मेरिट के आधार पर होने लगे हैं. विद्यार्थियों ने कहा कि यहां तक कि प्रिंसिपल भी कला क्षेत्र से नहीं हैं. ऐसे में विभाग विद्यार्थियों से मोटी रकम लेकर भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. जयपुर के कई दिग्गज कलाकार इन विद्यार्थियों के समर्थन में आए हैं.

जयपुर. कभी जिन कलाकृतियों के लिए गुलाबी नगरी पूरी दुनिया में विख्यात थी. वह आज गुम होती नजर आ रही है. जो विद्यार्थी इनका हुनर ले रहे हैं उनका भविष्य भी अंधकार में डूबता जा रहा है. जी हां हम बात कर रहे है वर्ल्ड-आर्ट-डे के मौके पर राजस्थान के सबसे बड़े राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट की. पेश है यह खास रिपोर्ट.

कलाकृति के नाम पर दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाला स्कूल हो रहा गुमनामी का शिकार

राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट से निकलने वाले विद्यार्थी राजस्थान की शान हुआ करते थे. उनकी कलाकृति को न केवल जयपुर बल्कि विश्वभर में पहचान मिलती थी. लेकिन अब ये गुमनामी का शिकार हो गई है. इसमें दोष विद्यार्थियों का नहीं बल्कि सिस्टम का है.

दरअसल, राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट को पिछले पांच सालों से शिक्षा संकुल में संचालित किया जा रहा है. जहां पर फाइन ऑर्ट्स में 250 से ज्यादा विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. लेकिन इन विद्यार्थियों के लिए मात्र 30 प्रोफेसर लगे हुए हैं, जिनमें से 2 रिटायर हो गए और एक का राजनीतिक जुमलों के चलते ट्रांसफर हो गया. ऐसे में जो लगे हुए हैं, उनमें भी यूजीसी नॉर्म्स का उलंघन हो रहा है. जो शिक्षक वहां लगे हुए है वे यूजीसी नॉर्म्स के अनुसार नहीं है और विभाग ने बीए और एमए किए हुए शिक्षकों को लगा रखा है, जिनको आर्ट की जानकारी तक नहीं है.
इतना ही नहीं शिक्षकों की कमी के चलते पिछले दो साल से मास्टर इन स्कल्पचर आर्ट कोर्स को ही बंद कर दिया गया. वहीं बैचलर्स ऑफ स्कल्पचर आर्ट में 25 सीटें हैं, जिनमें महज 4 से 5 विद्यार्थी ही अध्ययनरत हैं. स्कूल ऑफ आर्ट में जहां हिंदी और अंग्रेजी विषय में एक शिक्षक से काम हो सकता है. उस पर तीन से चार शिक्षकों को लगा रखा है. वहीं जो लाइब्रेरियन और लैब असिस्टेंट हैं. उनका भी अप्रैल में रिटारमेंट होने वाला है.

स्कूल ऑफ आर्ट के विद्यार्थियों ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट को 1857 से किशनपोल बाजार में संचालित किया जाता था. जहां पर हेरिटेज अंदाज को एक कलाकार अपनी कला में उकेर सकता था. लेकिन पिछले कुछ सालों से स्कूल ऑफ आर्ट को शिक्षा संकुल में संचालित किया जा रहा. जहां पर हमारी सारी कला खत्म हो रही है.
विद्यार्थियों ने कहा कि जो शिक्षक लगे हुए हैं वो भी कला की जानकारी नहीं रखते हैं. शिक्षकों की कमी से आज मास्टर इन स्कल्पचर को भी बंद कर दिया गया. पिछले 10 सालों से एडमिशन भी मेरिट के आधार पर होने लगे हैं. विद्यार्थियों ने कहा कि यहां तक कि प्रिंसिपल भी कला क्षेत्र से नहीं हैं. ऐसे में विभाग विद्यार्थियों से मोटी रकम लेकर भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. जयपुर के कई दिग्गज कलाकार इन विद्यार्थियों के समर्थन में आए हैं.

Intro:जयपुर- कभी जिन कलाकृतियों के लिए गुलाबीनगरी पूरी दुनिया मे विख्यात था, वे आज गुम होता जा रहा है और आज जो विद्यार्थी इनका हुनुर ले रहे है उनका भविष्य भी अंधकार में डूबता जा रहा है। जी हां हम बात कर रहे है वर्ल्ड आर्ट डे के मौके पर राजस्थान के सबसे बड़े राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट की। वर्ल्ड आर्ट डे पर देखिए यह खास रिपोर्ट।


Body:राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट से निकलने वाले विद्यार्थी राजस्थान की शान हुआ करते थे और उनकी कलाकृति को ना केवल जयपुर बल्कि विश्वभर में पहचान मिलती थी लेकिन अब ये गुमनामी का शिकार हो गयी है। इसमें दोष विद्यार्थियों का नहीं बल्कि सिस्टम का है। दरअसल, राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट को पिछले पांच सालों से शिक्षा संकुल में संचालित किया जा रहा जहां पर फाइन आर्ट्स में 250 से ज्यादा विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे है लेकिन 250 विद्यार्थियों के बीच मात्र 30 प्रोफेसर लगे हुए जिनमे से 2 रिटायर हो गए और एक का राजीनीतिक जुमलों के चलते ट्रांसफर हो गया और जो लगे हुए है उनमें भी यूजीसी नॉर्म्स का उलंघन हो रहा है। दरअसल, जो शिक्षक वहां लगे हुए है वह यूजीसी नॉर्म्स के अनुसार नहीं है और विभाग ने बीए और एमए किए हुए शिक्षकों को लगा रखा है जिनको आर्ट की जानकारी तक नहीं है।

इतना ही नहीं शिक्षकों की कमी के चलते पिछले दो साल से मास्टर इन स्कल्पचर आर्ट कोर्स को ही बंद कर दिया गया। वही बैचलर्स ऑफ स्कल्पचर आर्ट में 25 सीटे है जिनमे महज 4 से 5 विद्यार्थी ही अध्ययनरत है। स्कूल ऑफ आर्ट में जहां हिंदी और अंग्रेजी विषय में जहां एक शिक्षक से काम हो सकता है उस पर तीन से चार शिक्षकों को लगा रखा है। वही ना लाइब्रेरियन है और लैब असिस्टेंट है उनका भी अप्रैल में रिटारमेंट होने वाला है।

स्कूल ऑफ आर्ट के विद्यार्थियों ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट को 1857 से किशनपोल बाजार में संचालित किया जाता था जहां पर हेरिटेज अंदाज को एक कलाकार अपनी कला में उकेर सकता था लेकिन पिछले कुछ सालों से स्कूल ऑफ आर्ट को शिक्षा संकुल में संचालित किया जा रहा जहां पर हमारी सारी कला खत्म हो रही है। शिक्षक लगे हुए है वो भी कला की जानकारी नहीं रखते है। विद्यार्थियों ने कहा कि शिक्षकों की कमी से आज मास्टर इन स्कल्पचर को भी बंद कर दिया गया। पिछले 10 सालों से एडमिशन भी मेरिट के आधार पर होने लगे है। विद्यार्थियों ने कहा कि यहां तक कि प्रिंसिपल भी कला क्षेत्र से नहीं है। ऐसे में विभाग विद्यार्थियों से मोटी रकम लेकर भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है। जयपुर के कई दिग्गज कलाकार इन विद्यार्थियों के समर्थन में आये है।


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