जयपुर. विधानसभा में मंगलवार को स्थानीय लोगों को नौकरी दिए जाने के एक सवाल पर मंत्री बीडी कल्ला ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि पंजाब, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक में वहां की स्थानीय भाषा का उपयोग करने की अनिवार्यता है तो उत्तराखंड और तेलंगाना में शैक्षणिक योग्यता उसी राज्य के शैक्षणिक संस्थान से होने को पात्रता में शामिल किया गया है. मंत्री ने कहा कि अधिकांश राज्यों में सरकारी नौकरियों में उस राज्य के निवासियों के लिए आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. सभी सेवा नियमों में भारत का नागरिक होना ही शर्त है. ऐसे में निवास स्थान के आधार पर सार्वजनिक नियोजन में विधिक प्रावधान करने का अधिकार केवल संसद के पास है.
इस पर पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि वर्तमान में सरकारी नौकरियों में राज्य के बाहर के कितने लोग हैं और अन्य राज्यों के जो विवरण पेश किए गए हैं, क्या उसके अनुसार सरकार किसी तरह के नियम परिवर्तन के बारे में विचार कर रही है या नहीं. इस दौरान देवनानी ने उत्तराखंड और तेलंगाना की तर्ज पर उसी राज्य से शैक्षणिक योग्यता प्राप्त करने की बात पर विशेष रूप से जोर दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि राजस्थान में आज बाहर के लोग फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी अर्जित कर रहे हैं. ऐसे में क्या राजस्थान सरकार पंजाब और तमिलनाडु की तर्ज पर नियमों में बदलाव के बारे में कुछ सोच रही है.
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पूर्व शिक्षा मंत्री के इस सवाल का जवाब देते हुए मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि राजस्थान में जो परीक्षाएं होती हैं, उनमें राजस्थान से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं और पूर्व में आप की सरकार भी रही है, लेकिन तब ऐसे प्रावधान क्यों नहीं लागू किए गए. इस पर स्पीकर सीपी जोशी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि तमिलनाडु की तर्ज पर अगर राज्य में सरकारी नौकरी के लिए स्थानीय विद्यालयों में पढ़ाई को अनिवार्यता किया गया तो खुद ब खुद इस समस्या का समाधान हो जाएगा.
सरकार निश्चित तौर पर इस पर चिंता करें, ताकि प्रिलिमनरी स्टेज पर ही बाहर के लोग बाहर हो जाएं. उन्होंने आगे कहा कि तमिलनाडु का उदाहरण संविधान के प्रावधानों से टकराव का नहीं है. ऐसे में जितनी भर्तियां निकले उसमें तमिलनाडु की तरह ही राजस्थान के स्थानीय बच्चों को अधिक से अधिक मौका देने को कुछ बदलाव की जरूरत है. जोशी ने आगे कहा कि इस प्रावधान को सरकार पढ़ ले, ताकि स्थानीय छात्रों को इसका फायदा मिल सके.
स्कूलों को मिले गेस्ट फैकल्टी रखने का अधिकार: विद्या संबल योजना में स्कूलों में गेस्ट फैकल्टी रखने के सवाल पर भी स्पीकर ने मंत्री कल्ला से कहा कि जहां स्कूल में पोस्ट खाली है, वहां स्थायी व्यवस्था करनी चाहिए थी. वहीं, रिजर्वेशन के मसले पर जोशी ने कहा कि ये इश्यू इसलिए आया, क्योंकि आपने एप्लीकेशन इनवाइट की, जिसकी संख्या ज्यादा हो गई. स्पीकर ने कहा कि इस प्रश्न का उत्तर सरकार को देना चाहिए कि विद्या संबल में गेस्ट फैकल्टी रखना चाहते हैं तो वो अधिकार स्कूल को दे दें, अगर संविदा पर नियुक्ति करना चाहते हैं तो फिर आरक्षण का जो प्रावधान है, वो लगाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि साल भर से विद्या संबल लागू नहीं होने से पढ़ाई नहीं हो पा रही है. इस पर मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि हम स्कूलों के प्राचार्य को अधिकार दे देंगे कि वो गेस्ट फैकल्टी के रूप में नियुक्ति कर पाएं. इस पर स्पीकर जोशी ने कहा कि किसी स्कूल में 10 वैकेंसी हैं तो फिर आरक्षण की दिक्कत आएगी, लिहाजा उस स्थिति को भी सरकार पहले स्पष्ट करें.