जयपुर. 'राइट टू हेल्थ' बिल को लेकर सरकार और डॉक्टरों के बीच गतिरोध खत्म होता नहीं दिख रहा है. इसका खामियाजा मरीजों और उनके परिजनों को झेलना पड़ रहा है. 300-400 किलोमीटर का सफर तय कर इलाज के लिए पहुंचे मरीज और उनके परिजन आज भी एक कमरे से दूसरे कमरे में भटकते रहे. हालांकि, जेके लोन अस्पताल में कुछ डॉक्टर मरीजों का इलाज करते जरुर दिखे. लेकिन ज्यादातर डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार के कारण मरीजों और उनके परिजनों को लंबी कतार में अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है. इधर, गंभीर रूप से बीमार मरीजों के ऑपेरशन भी टाले जा रहे हैं.
केस 01- पता नहीं हमारा नंबर आएगा भी या नहीं
हरियाणा से अपने बच्चे के उपचार के लिए जयपुर के जेके लोन अस्पताल आए रोहिताश्व का कहना है कि डॉक्टरों की हड़ताल के कारण काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. वे सुबह से कतार में लगे हैं परंतु अभी तक कोई डॉक्टर उनके बच्चे को देखने नहीं आया है. कब नंबर आएगा या आएगा भी कि नहीं यह भी अभी तक पता नहीं है.
केस 02- बिना चाय नाश्ता किए सुबह 7 बजे से कतार में खड़े
करौली से आए नवीन का कहना है कि वे सुबह सात बजे से जेके लोन अस्पताल में लाइन में लगे हैंं. अपनी बारी के इंतजार में वे चाय-नाश्ता तक नहीं कर पाए. लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल के कारण उनकी समस्या कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. वे लंबी लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते-करते थक गए हैं.
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केस 03- करौली से उपचार की उम्मीद से आए भटकने को मजबूर
करौली से अपनी पत्नी के उपचार की लिए सैंकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर रूप सिंह जयपुर तो पहुंच गए लेकिन डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार के कारण यहां भी पीड़ा से निजात नहीं मिल पाई. मानों यहां आने के बाद उनकी समस्या ज्यादा ही बढ़ गई है. उनकी पत्नी पेट में सूजन की समस्या से परेशान है. वे एसएमएस अस्पताल के ओपीडी वार्ड की कतार में खड़े होकर डॉक्टर के आने का इंतजार कर रहे हैं.
हार्ट के मरीज परेशान व बेहाल
एसएमएस अस्पताल के ओपीडी में सबसे ज्यादा भीड़ हार्ट के मरीजों की है. हृदय रोग से जुड़े डॉक्टरों के चैम्बर के बाहर सबसे लंबी कतारें लगी है. खंडेला से आए विजय अपने पिताजी को दिखाने के लिए सुबह से कतार में अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. इसी तरह अलवर से आए राकेश अपने दादाजी का उपचार कराने यहां आए हैं. लेकिन कार्य बहिष्कार के कारण डॉक्टर ओपीडी में नहीं पहुंचे तो उनकी पीड़ा सुनने वाला भी अभी यहां कोई नहीं है.
'महाबंद' को मेडिकल टीचर्स का भी समर्थन
फिलहाल मरीजों और उनके परिजनों की पीड़ा खत्म होती नहीं दिख रही है. डॉक्टरों के आंदोलन को अब मेडिकल टीचर्स ने भी अपना समर्थन देने की घोषणा की है. बुधवार को प्रस्तावित महाबंद को मेडिकल टीचर्स ने भी समर्थन देने की घोषणा की है. मेडिकल टीचर्स के संगठन RMCTA और MCTAR ने महाबंद को समर्थन देने की घोषणा की है. हालांकि, इस दौरान इमरजेंसी और आईसीयू की सेवाएं चालू रखने की बात कही जा रही है.